अब नौनिहाल कुमाऊंनी भाषा में जान सकेंगे विभूतियों की जीवनी
विद्यार्थियों को कुमाऊंनी भाषा को ज्ञान देने की तैयारी।
संवाद सहयोगी, रानीखेत : विद्यार्थियों को हिदी, अंग्रेजी के अलावा कुमाऊंनी भाषा को ज्ञान देने तथा अपनी भाषा को बढ़ावा देने के मकसद से दिल्ली निवासी समाजसेवी ने जनौली (ताड़ीखेत ब्लॉक) के खग्यार गाव निवासी लेखक पूरन कांडपाल की लिखित पुस्तकों को ब्लॉक के 10 विद्यालयों को वितरित की हैं। इन पुस्तकों में देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, नोबेल पुरस्कार, भारत रत्न, परमवीर चक्र विजेताओं की जीवनी को लिखा गया है।
मूल रूप से ताड़ीखेत ब्लॉक के बयेड़ी गाव निवासी केसी पाडे को बचपन से ही कुमाऊंनी भाषा का शौक रहा। कुमाऊंनी भाषा को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने खग्यार गांव (ताड़ीखेत ब्लॉक) निवासी लेखक पूरन कांडपाल की लिखित 'बटौव', 'लगुल', 'महामनखी कुमाऊंनी भाषाक व्याकरण' आदि पुस्तकों को एकत्र कर ताड़ीखेत के जीआइसी जैना, भुजान, शेर जनौली, लोधियाखान व बेतालघाट ब्लॉक के जीआइसी हल्सौ, खैरना व बेतालघाट स्थित विद्यालयों के पुस्तकालयों को भेंट की हैं। बताया कि 'बटौव पुस्तक' में उत्तराखंड की भौगोलिक, सामाजिक व संस्कृति से जुड़ी 21 कहानी संग्रह, 'लगुल' में देश के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति समेत 42 महावभूतियों की जीवनी, हिदी, कुमाऊंनी व अंग्रेजी में संजोई गई हैं। वहीं 'महामनखी' में नोबेल पुरस्कार, भारत रत्न, परमवीर चक्त्र, अशोक चक्त्र विजेता तथा 'कुमाऊनी भाषा व्याकरण' में कुमाऊंनी भाषा व्याकरण पर लिखी गई अध्ययनों में रचित कहानियां हैं।