Move to Jagran APP

एक जिद ने भीख मांगने की हालत में ला दिया मेधावी हंसी को

अल्मोड़ा के सोबन सिंह जीना (एसएसजे) परिसर में छात्र राजनीति से शुरूआत करने वाली हंसी की एक जिद ने उसे भीख मांगने पर कर दिया विवश

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 10:48 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 05:16 AM (IST)
एक जिद ने भीख मांगने की हालत में ला दिया मेधावी हंसी को
एक जिद ने भीख मांगने की हालत में ला दिया मेधावी हंसी को

संस, अल्मोड़ा : सोबन सिंह जीना (एसएसजे) परिसर में छात्र राजनीति से शुरूआत और अब हरिद्वार में घुमक्कड़ी जीवन की बेबसी। दो दशक पूर्व छात्रा उपाध्यक्ष रही मेधावी बेटी हंसी प्रहरी की इस दुर्गति पर गांव में उसकी बूढ़ी मां पानादेवी फफक पड़ी। भारी मन, आंखों से आंसू व रुंधे गले से बोलना शुरू किया तो हंसी की जिंदगी का फलसफा और उसकी सफलता से गरीबी तक के उतार चढ़ाव में छिपे राज खुलते चले गए। मां बोली-वह जिद्दी रही। जो ठान लिया उसे पूरा कर ही दे लेती। मनमर्जी से विवाह की जिद ही उसे आज इस मोड़ पर ले आई है।

loksabha election banner

हंसी प्रहरी के रणखिला गांव (हवालबाग ब्लॉक) में मंगलवार को उसकी मां पानादेवी व बहन पुष्पा देवी से जागरण ने बात की तो उनकी पीड़ा जुबां पर आ गई। हंसी की बहन पुष्पा ने बताया कि थाना बाजार (अल्मोड़ा) की एक आंटी ने हंसी को अपने लखनऊ निवासी मुंहबोले भाई नन्हे लाल से मिलाया। नन्हे को सेना में जेसीओ बता शादी के लिए मना भी लिया। पर पिता हरीराम राजी नहीं थे। हंसी की जिद पर लखनऊ भी गए लेकिन व्यवहार ठीक न लगा तो गांव लौट कर उन्होंने शादी से मना कर दिया। हंसी ने एसएसजे परिसर के एक प्रोफेसर से भी मदद मांगी। पर वह भी नहीं माने। तब हंसी व नन्हे ने काशी जाकर 2003 में शादी कर ली। पुष्पा कहती हैं कि नन्हे ने कुछ ही माह में उसका उत्पीड़न शुरू कर दिया। परेशान होकर हंसी खत्याड़ी में किराए के कमरे में रह रही उसके व भाई आनंदराम (अनुराग) के पास आ गई। 2004 में हंसी ने बेटी को जन्म दिया। मगर हालात कुछ ऐसे बने कि पति ने अपनाया ही नहीं।

=======

पति के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत

हंसी विवाह के तीन वर्ष बाद अवसाद से घिरने लगी थी। बच्ची को बालआश्रम में छोड़ने की बात पर मा पानादेवी ने पोती को अपने पास रख लिया। 2006 में जब वह गांव लौटी तो पति नन्हे के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी। पुष्पा के अनुसार आखिरी तारीख में हंसी ने केस वापस ले लिया। उसके बाद वह लखनऊ गई या नहीं, कुछ पता नहीं लगा। एक-डेढ़ साल बाद फिर गाव आई तो बताया कि हरिद्वार में ट्यूशन पढ़ा खर्चा चला रही है। अब सुना कि वह हरिद्वार में भीख मांग दरबदर भटक रही।

=====

सदमे में चल बसे पिता

मां पानादेवी ने बताया कि पिता हरीराम हंसी की नन्हे से शादी के खिलाफ थे। शादी के सालभर में ही उन्होंने सदमे से दम तोड़ दिया। हरीराम ने पत्थर तोड़ कर जो कमाया, उससे चार बेटियों व एक बेटे का पालन-पोषण व शिक्षा दिलाने में खुद को झोंक दिया था। ======

हंसी ने विधानसभा चुनाव भी लड़ा

हंसी ने एमए साहित्य व राजनीतिक शास्त्र में एमए किया है। 1999 में वह छात्र संघ चुनाव में निर्विरोध छात्रा उपाध्यक्ष बनी। तीन वर्ष तक एसएसजे परिसर में ही लाइब्रेरियन भी रही। 2002 में सोमेश्वर विधानसभा से काग्रेस के प्रदीप टम्टा व भाजपा के अजय टम्टा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा।

=======

बेटी पूर्णिामा है भी मेधावी

हंसी की बेटी पूर्णिमा जवाहर नवोदय विद्यालय ताड़ीखेत में 11वीं की छात्रा है। हाईस्कूल में 93 प्रतिशत अंक पाए। वह आइएस बनने की धुन पाले है। पानादेवी व पुष्पादेवी ने कहा कि शासन प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से पूर्णिमा की उच्चशिक्षा के लिए गुहार लगाएंगी।

=====

बिटिया की मदद को आगे आए जनप्रतिनिधि

हंसी की मेधावी बेटी पूर्णिमा की उच्चशिक्षा व प्रशासनिक सेवा की तैयारी में मदद के लिए जनप्रतिनिधि तैयार हैं। उपनेता प्रतिपक्ष करन सिंह माहरा ने कहा कि लाचार मां की बेटी के लिए जो भी बन पड़ेगा करेंगे। वहीं भाजपा प्रदेश सहमीडिया प्रभारी विमला रावत ने भी पूर्णिमा का करियर संवारने में सहायता देने की बात कही।

=====


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.