पहाड़ का किसान नहीं बनेगा बिचौलियों की कठपुतली
जासं अल्मोड़ा पर्वतीय किसान अब बिचौलियों की कठपुतली नहीं बनेंगे। न ही उन्हें अपनी उपज मं
जासं, अल्मोड़ा : पर्वतीय किसान अब बिचौलियों की कठपुतली नहीं बनेंगे। न ही उन्हें अपनी उपज मंडी तक पहुंचाने का झंझट रहेगा। राज्य मंडी परिषद की टीम अब फसल उत्पादक गांवों के बीच जाकर उपज खरीदेगी। काश्तकार का भुगतान सीधा उसके खाते में जमा कराया जाएगा। इस काम को आसान करने के लिए मंडी परिषद प्रत्येक जनपद में जरूरत के मुताबिक दो से तीन कलेक्शन सेंटर खोलने जा रही।
दरअसल, पहाड़ में छोटी जोत का किसान उचित बाजार न मिलने से परेशान है। विपणन के अभाव बिचौलिये ही लाभ उठाते आ रहे। हाड़तोड़ मेहनत के बाद औने पौने दाम पर उपज बेचना यहां के किसानों की बड़ी मजबूरी है। दूसरा अपनी उपज बेचने के लिए जो किसान वाहन आदि की व्यवस्था कर बड़ी मंडियों तक पहुंचते भी हैं तो ढुलान, पैकिंग परिवहन आदि का अतिरिक्त बोझ उन्हें घाटा ही देता है। यही वजह है कि किसानों का खेती से मोह भंग भी होने लगा है। मगर कठिन परिस्थितियों को आसान बनाने के लिए राज्य मंडी परिषद ने कसरत तेज कर दी है। सूत्रों के मुताबिक उपज खरीद के लिए 10 करोड़ का बजट भी रखा गया है।
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तीन चार गांवों के बीच खुलेंगे केंद्र
उपज का समर्थन मूल्य पहाड़ के किसानों को पूरा मिले, इसके लिए मंडी परिषद पूरे प्रदेश में 40 से 45 कलेक्शन सेंटर स्थापित करेगी। खास बात कि सब्जी व दलहन उत्पादक कुछ गांवों के बीच ये सेंटर बनाए जाएंगे। ताकि सभी काश्तकारों की पहुंच करीब हो सके और उन्हें पूरा मूल्य भी मिल सकेगा। इससे बिचौलियों का बाजार खत्म होगा।
====== वर्जन
किसानों को अपने उत्पाद मंडी तक पहुंचाने में अनुमानत: आधी कीमत ही मिल पाती है। आधा तो ट्रांसपोर्टेशन व ढुलाई में खर्च हो जाता है। इस बार मंडी ने अल्मोड़ा व चमोली जिले से 9.50 करोड़ की उपज सीधे खरीदी। यह पहल किसानों की आय दोगुना करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। साग सब्जी, मडुवा, गहत, झुंगरा, भट आदि जो भी उपज होगी, हमारी टीम कलेक्शन सेंटर पर पहुंच खुद खरीदेगी।
- गजराज सिंह बिष्ट, अध्यक्ष राज्य मंडी परिषद