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रानीखेत में पकड़ा गया 3.86 लाख का गांजा

संवाद सहयोगी, रानीखेत : सल्ट ब्लॉक क्षेत्र के बाद अब पर्यटन नगरी में गांजा तस्करी के अंतरराज्

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Feb 2019 11:02 PM (IST)Updated: Sun, 03 Feb 2019 11:02 PM (IST)
रानीखेत में पकड़ा गया 3.86 लाख का गांजा
रानीखेत में पकड़ा गया 3.86 लाख का गांजा

संवाद सहयोगी, रानीखेत : सल्ट ब्लॉक क्षेत्र के बाद अब पर्यटन नगरी में गांजा तस्करी के अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। शनिवार की देर रात घिंघारीखाल में पुलिस ने 77.25 किलो मादक पदार्थ जब्त किया। गांजा स्याल्दे से चौखुटिया होकर लखनऊ ले जाया जा रहा था। पुलिस ने लखनऊ के दो तस्करों को गिरफ्तार कर तस्करी में प्रयुक्त दो लग्जरी कार सीज कर दी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में बरामद गाजे की कीमत 3.86 लाख रुपये आकी जा रही।

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बीते शनिवार की देर रात एसआइ पूनम रावत कांस्टेबल कमल गोस्वामी व कवींद्र के साथ गश्त पर थीं। सटीक सूचना पर मध्यरात्रि बाद करीब एक बजे गश्ती दल ने घिघारीखाल तिराहे पर द्वाराहाट की ओर से आ रही आइकन कार यूपी 4एक्यू 9880 व स्विफ्ट डिजायर यूपी 32 एफए 4647 को रोक तलाशी ली। दोनों वाहनों में चार-चार बड़े व दो छोटे कट्टे रखे गए थे। खोलने पर उनमें गाजा भरा मिला। कार चला रहे आरोपित मो. अकील पुत्र मो. सगीर व सर्वेश कुमार मिश्रा पुत्र सुरेश मिश्रा (दोनों निवासी मोहल्ला माल, आजाद नगर मलियाबाग लखनऊ) को गिरफ्तार कर मय कार कोतवाली ले आए। कोतवाल नारायण सिंह ने कड़ी पूछताछ की। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।

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खाकी से दूर राजस्व क्षेत्रों में जड़ें जमा रहे तस्कर

-राज्य के पर्वतीय जिलों में मात्र 30 फीसद में ही चलता है पुलिसिया राज

-70 प्रतिशत गांवों व कस्बों की सुरक्षा का जिम्मा संसाधनविहीन पटवारियों के हवाले

-अब पुलिस का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने की सख्त जरूरत

संवाद सहयोगी, रानीखेत : उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश के दौर की वही पुरानी घिसीपिटी व्यवस्था का ही नतीजा है कि राजस्व क्षेत्र तस्करों के लिए मुफीद साबित हो रहे। पहाड़ की मौजूदा स्थिति पर नजर दौड़ाएं तो पर्वतीय जिलों में रेगुलर पुलिस ने अधिकार मात्र 30 फीसद इलाकों में ही है। इसके उलट 70 प्रतिशत गांव व कस्बों में पटवारी कानून व्यवस्था का जिम्मा संभाले हैं, जो संसाधनविहीन और अपनी खुद की सुरक्षा तथा पुलिस कर्मियों की भांति प्रशिक्षण व अधिकार के लिए तरस रहे हैं। यही वजह है कि अपराधी व तस्कर खाकी के अधिकार क्षेत्र से बाहर राजस्व इलाकों में जड़ें जमा रहे।

उत्तराखंड गठन के 19 बरस बीत चुके। मगर अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत व नैनीताल के साथ ही गढ़वाल के पर्वतीय जिलों के बड़े हिस्से में कानून व्यवस्था रामभरोसे चल रही। सड़क से सटे इलाके खाकी तो दुर्गम व अतिदुर्गम क्षेत्र 'बिन दंत व नाखूनों वाले बाघ' यानी राजस्व पुलिस के अधिकार में। अल्मोड़ा जनपद का ही जिक्र करें तो कुल 3689.46 वर्ग किमी क्षेत्रफल में से मात्र 848.56 वर्ग किमी पर ही पुलिसिया डंडा चलता है। जबकि 2840.90 वर्ग किमी के दायरे में मौजूद गांवों में राजस्व पुलिस। इसी का लाभ अपराधी व तस्कर उठा रहे। ऐसे में पहाड़ में पुलिस का दायरा बढ़ाने की सख्त जरूरत महसूस होने लगी है।

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बेबस पुलिसिंग का हाल

-अल्मोड़ा जिले में कुल 2244 गांव

-280 में खाकी का कानून

-अल्मोड़ा व रानीखेत कोतवाली

-थाना सल्ट, भतरौजखान, द्वाराहाट, लमगड़ा, सोमेश्वर, अल्मोड़ा व रानीखेत में महिला थाना

-रिपोर्टिग चौकियां मात्र 10

-बैरियर लोधिया, भूजान, मरचूला, मोहान, पांडुवाखाल

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झांसा देने को पुलिस का चिह्न

खाकी के नियंत्रण से बाहर राजस्व क्षेत्रों में अपने ठिकाने बना रहे तस्कर कानून के रखवालों को ही गच्चा देने लगे हैं। तस्करी में लग्जरी कारों का इस्तेमाल कर रहे तो वाहनों में पुलिस का ध्वज चिह्न लगा बेधड़क दौड़ भी रहे। घिंघारीखाल में बीती मध्य रात्रि जब आइकन कार यूपी 14 एक्यू 9880 को रोका गया, उसमें भी पुलिस का चिह्न लगा था। मगर चालक की संदिग्ध गतिविधियां भाप एसआइ पूनम रावत, कांस्टेबल कमल व कवींद्र ने सख्ती से पूछताछ की तो वह सकपका गया और मामला खुल गया।

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'उच्च न्यायालय के आदेश पर पूर्व में पूरे राज्यभर में एक्सर्साइज चली थी। सड़क क्षेत्र से लगे राजस्व इलाकों में पुलिस थाना या चौकियां स्थापित किए जाने के मकसद से। फिलहाल यह मामला शासन में है।

- प्रह्लाद नारायण मीणा, एसएसपी'

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'हरेक बिंदु पर जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस चिह्न वाली कार किसकी है, पकड़े गए आरोपितों का लखनऊ के थानों में आपराधिक रिकॉर्ड पता लगाने के लिए उप्र पुलिस से संपर्क साधा है। वाहनों के कागजात किसके नाम से हैं, यह भी जांच के दायरे में है। पूछताछ में आरोपितों ने वाहन लखनऊ निवासी किसी चार्ली के बताए हैं।

- वीर सिंह, सीओ'


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