बच गई जुगाड़ के टायरों पर सवार 24 जिंदगियां
जेएनएन बैरती/रानीखेत तमाम हादसों के बावजूद लगता है परिवहन निगम सबक लेने को तैयार नहीं है।
जेएनएन, बैरती/रानीखेत : तमाम हादसों के बावजूद लगता है परिवहन निगम सबक लेने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि घिसे पिटे पार्ट्स व रबर चढ़े टायरों के बूते खस्ताहाल बसें पहाड़ तथा मैदान में दौड़ाई जा रही हैं। रानीखेत डिपो की ऐसी ही बदहाल बस का बदहाल टायर धमाके के साथ फट गया। चालक ने बगैर धैर्य खोए वाहन पर नियंत्रण बना रखा। धीरे धीरे ब्रेक लगा पहाड़ की सर्पीली सड़क पर बस रोक ली। नतीजा, खुद के साथ ही परिचालक व उसमें सवार 24 यात्रियों की जान बच गई।
मामला सोमवार की सुबह का है। रानीखेत डिपो की दिल्ली-गैरसैंण बस सेवा यूके 07 पीए 3216 चौखुटिया से द्वाराहाट की ओर जा रही थी। दिन के करीब 11.40 बजे महाकालेश्वर से कुछ आगे सदीगाव बैंड पर जबर्दस्त धमाके के साथ चालक लक्ष्मण सिंह की सीट के नीचे का अगला टायर फट गया। चालक ने सूझबूझ दिखाकर बस को नियंत्रित रख धीरे ब्रेक लगा सड़क पर ही रोक लिया। इधर धमाके के बाद असंतुलित होती बस में बैठे यात्रियों में चीख पुकार मच गई। अफरा-तफरी के बीच सभी सवारियों को बस से उतारा गया तब जाकर यात्रियों की जान में जान आई।
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और खुद ही टायर बदलने में जुटा चालक
चालक लक्ष्मण सिंह ने बड़ा हादसा टालने के बाद यात्रियों को समय पर गंतव्य तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई। परिचालक राय सिंह को साथ लेकर खुद ही टायर बदला और गंतव्य को रवाना हो गया।
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परिवहन निगम के प्रति गुस्सा
हादसे का शिकार होने से बचे यात्रियों में परिवहन निगम के प्रति खासा गुस्सा देखा गया। उन्होंने रोडवेज की बसों के लिए नए टायर उपलब्ध कराने के बजाय रबर चढ़ा कर जोखिम उठाने को यात्रियों की जिंदगी से खिलवाड़ करार दिया। दिल्ली-रानीखेत वाया गैरसैंण लंबे रूट की बस को भगवान भरोसे चलाए जाने को उन्होंने गंभीर बताया।
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20 बसों में जुगाड़ के टायर
रानीखेत डिपो के बेड़े में 26 बस हैं। अफसोस कि छह में ही नए टायर हैं, शेष रबर चढ़े टायरों के बूते दौड़ाई जा रही हैं। व्यवस्था से आहत रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रांतीय सदस्य ने बताया कि मनोहर सिंह रावत कहते हैं, प्रत्येक माह 20 नए टायर मिलने चाहिए। मगर इस माह जैसे तैसे 10 ही मिले हैं।
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बजट का है रोना
महाकालेश्वर में बस हादसा टलने के बाद मुखर कर्मचारी नेता मनोहर सिंह ने खुलासा किया कि पूरे राज्य में परिवहन निगम में लागू 16 जनकल्याणकारी योजनाओं का सरकार लगभग 80 करोड़ रुपये दबाए बैठी है। बजट न मिलने से वाहनों के नए पाटर््स, टायर, ट्यूब वगैरह की खरीद तो ठप है ही कर्मचारियों को बीते तीन माह से वेतन के भी लाले पड़े हैं। अकाउंटेंट सप्ताह में तीन दिन रानीखेत व शेष दिन हल्द्वानी में बैठते हैं। इससे वेतन संबंधी बिल भी नहीं बन पा रहे हैं।
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'किस बस का टायर फटा, हमें नहीं मालूम। रोडवेज बसों को नए टायर क्यों नहीं मिल पा रहे, यह तो मुख्यालय वाले ही बता पाएंगे। मेरी ओर से केवल डिमांड भेजी जाती है। रबर चढ़े टायर काठगोदाम से मंगाए जाते हैं।
-देशराज आंबेडकर, एआरएम रानीखेत डिपो'