अल्मोड़ा में 225 प्राथमिक विद्यालय एक-एक शिक्षक के भरोसे
संवाद सहयोगी अल्मोड़ा जिले में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था लाख कोशिशों के बाद भी नहीं सुध्
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : जिले में प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था लाख कोशिशों के बाद भी नहीं सुधर पा रही है। विभिन्न विकास खंडों में जहां 225 विद्यालय एकल शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं, वहीं प्राथमिक विद्यालयों में 291 प्रधानाध्यापकों के पद भी सालों से रिक्त चल रहे हैं। इससे प्राथमिक शिक्षा ले रहे नौनिहालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं अभिभावक भी अपने पाल्यों के हितों के प्रति चिंतित हैं।
एक ओर सरकार के मंत्री शिक्षा संबंधी विभिन्न गोष्ठियों व सेमिनारों में जीवन में शिक्षा का महत्व बताते नहीं थकते हैं, कहा करते हैं कि जब प्राथमिक शिक्षा मजबूत होगी तो बच्चे हर किसी प्रतिस्पर्धा में मजबूती से खड़े हो सकेंगे, लेकिन प्राचीन जिले में बुनियादी शिक्षा की हालत दिन प्रतिदिन बदहाल होती जा रही है। 1263 प्राथमिक विद्यालयों वाले जिले में 225 विद्यालय शिक्षा सत्र के शुरुआत से ही एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। एक-एक शिक्षक और पांच-पांच कक्षाओं में शिक्षण से देश के भावी कर्णधारों को शिक्षा का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में जैसे तैसे प्राथमिक शिक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्हें जूनियर समेत अन्य उच्च कक्षाओं में दिक्कतें आती हैं। शहरी क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति दयनीय है। इतना ही नहीं प्राथमिक विद्यालयों में 291 प्रधानाध्यापकों के पद भी लंबे समय से खाली हैं। इससे विद्यालयों में शिक्षा की मॉनीटरिग समेत अन्य व्यवस्थाओं पर असर पड़ रहा है। विद्यालय में एक ही शिक्षक की तैनाती से कई समस्याएं होती है। शिक्षक के जरूरी कार्यवश अवकाश में होने अथवा विभागीय कार्य से ब्लॉक अथवा जिला मुख्यालय में जाने पर इसका असर सीधे विद्यार्थियों पर पड़ता है। यदि अन्य विद्यालयों से शिक्षकों की व्यवस्था हो गई तो ठीक अन्यथा विद्यालय को उस दिन बंद करने की तक स्थिति आ जाती है। विद्यालय प्रबंध समिति तथा विद्यालय विकास प्रबंध समिति लंबे अर्से से नौनिहालों के हितों के लिए विद्यालयों में कम से कम दो शिक्षकों की तैनाती किए जाने की मांग उठा रही है, लेकिन शिक्षा सत्र के सात माह गुजरने के बाद भी कोई सुध नहीं ली गई है। इधर अब 5 नवंबर से बेसिक शिक्षा संवर्ग की परीक्षाएं शुरू होनी वाली हैं, ऐसे में अभिभावक अपने पाल्यों के हितों के प्रति चिंतित हो चले हैं।
==========
प्राथमिक विद्यालयों में शैक्षिक गुणवत्ता संवर्धन के लिए कम से कम दो शिक्षक जरूरी हैं। यह मांग प्राथमिक शिक्षक संघ सालों से अपनी हर बैठकों व शैक्षिक उन्नयन गोष्ठियों में उठाता रहा है। इसके बावजूद भी जिले में अनेक विद्यालय एकल शिक्षकीय संचालित हो रहे हैं। बच्चों के हित में इन विद्यालयों में संसाधन बढ़ाए जाने की संघ मांग करता है।
-जगदीश भंडारी, जिला मंत्री, प्राथमिक शिक्षक संघ
=========
नौनिहालों के बेहतर हितों के लिए शासन व विभाग सजग है। जिले में शिक्षकों व प्रधानाध्यापकों के रिक्त पदों के बावत विभागीय उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी भेज दी गई है। एकल शिक्षकीय वाले विद्यालय के शिक्षक के अवकाश में रहने अथवा विभागीय कार्य के चलते इन विद्यालयों में आसपास के क्षेत्रों के विद्यालयों से व्यवस्था कर शिक्षण कार्य का संचालन किया जाता है।
-राय साहब यादव, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक