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धरती पुत्रों पर भी कोरोना का कहर

रानीखेत में कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम को केंद्र सरकार के लॉग डाउन का असर किसानों पर दिख रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Apr 2020 09:33 PM (IST)Updated: Sat, 04 Apr 2020 06:14 AM (IST)
धरती पुत्रों पर भी कोरोना का कहर
धरती पुत्रों पर भी कोरोना का कहर

संवाद सहयोगी, रानीखेत: कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम को केंद्र सरकार के लॉग डाउन के आदेश के बाद जहा शासन-प्रशासन मुस्तैदी से जुटा हुआ है वहीं ध्याडी़ मजदूरों पर इसका बड़ा असर है। साथ ही हाड़तोड़ मेहनत करने वाले धरतीपुत्र भी उपज का बेहतर दाम न मिल पाने से मायूस है। मटर की उपज का बेहतर दाम न मिलने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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अल्मोड़ा व नैनीताल जनपद की सीमा पर स्थित मलौना,चापड़, खुशालकोट, सुखौली, टूनाकोट, तिपौला, धनियाकोट, सिमलखा, बारगल,कफूल्टा आदि तमाम गावो में मटर की बंपर पैदावार होती है। किसानों ने बेहतर उपज की आस लगा नवंबर माह में 210 रुपया किलो बीज खरीद बुवाई की। कोरोना के कहर से एकाएक लॉकडाउन ने सारी उम्मीदें तोड़ दी। बीते वर्ष का किसानों को 35 रुपया किलो तक मटर का मूल्य मिला पर इस बार काश्तकारों को महज 12 से 15 रुपये तक ही प्रतिकिलो दाम मिल रहा है। जिस कारण काश्तकारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। काश्तकार लक्ष्मण सिंह, ललित मोहन,भुवन सिंह, बालम सिंह, राजेंद्र सिंह, चंदन सिंह, दलीप सिंह आदि ने उपज का बेहतर मूल्य न मिल पाने पर चिंता जताई है।

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जंगली जानवरों ने भी रौंद दी उपज काश्तकारों ने खेतों में हाड़ तोड़ मेहनत कर मटर की बुवाई की पर जंगली सूअर व खरगोश ने आधी से ज्यादा उपज को रौद डाला। जिससे काश्तकारों को काफी नुकसान हुआ अब बाजार में बेहतर मूल्य दाम न मिल पाने से किसानों पर दो तरफा मार पड़ी है। लोगों ने काश्तकारों को हुए नुकसान का उचित मुआवजा दिए जाने की माग उठाई है।

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लॉक डाउन के चलते बाहर के व्यवसाई मंडी तक नहीं पहुंच पा रहे, जिस कारण रेटों में गिरावट हुई है। यदि गावों से काश्तकारों को मुआवजा का प्रस्ताव मिलेगा तो शासन को भी पत्राचार किया जाऐगा।

- विश्व विजय सिंह देव, सचिव, मंडी समिति हल्द्वानी


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