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दावों में झुलस रहा आधुनिक बर्न वार्ड

संवाद सहयोगी अल्मोड़ा जिला मुख्यालय के तीन बड़े अस्पताल तमाम दावों के बाद भी अत्याधुनिक बर्न व

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 06:19 AM (IST)
दावों में झुलस रहा आधुनिक बर्न वार्ड
दावों में झुलस रहा आधुनिक बर्न वार्ड

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : जिला मुख्यालय के तीन बड़े अस्पताल तमाम दावों के बाद भी अत्याधुनिक बर्न वार्ड की राह तकते तकते थक गए हैं। आग की घटनाओं से पीड़ित अनगिनत लोग अक्सर इन अस्पतालों में उपचार के लिए आते हैं, लेकिन कोई सुविधा न होने के कारण उन्हें हायर सेंटर रेफर करना मजबूरी बन जाती है। कई बार सही समय पर उपचार न मिलने के कारण पीड़ित हायर सेंटर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं।

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अल्मोड़ा जिला मुख्यालय की बात करें तो यहां लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए तीन बड़े अस्पताल खोले गए हैं। जिनमें जिला अस्पताल के अलावा बेस अस्पताल और विक्टर मोहन जोशी महिला चिकित्सालय शामिल हैं, लेकिन इनमें से एक भी अस्पताल में बर्न वार्ड की सुविधा उपलब्ध नहीं है। औपचारिकताएं पूरी करने के लिए बेस अस्पताल के एक कमरे में बर्न वार्ड बनाया तो गया है, लेकिन उसमें बर्न वार्ड जैसी एक भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। बस तीन-चार बैड लगाकर उसे बर्न वार्ड का नाम दे दिया गया है।

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बेस का बर्न वार्ड संसाधन विहीन

अल्मोड़ा : जिले के बेस अस्पताल में औपचारिकता के लिए तैयार किया गया बर्न वार्ड बिना संसाधनों के झुलस रहा है। वार्ड में एसी, ऑक्सीजन व तमाम चिकित्सा संसाधनों का अभाव बना हुआ है। एक दो पंखे लगे हैं, लेकिन वह भी राम भरोसे हैं। ऐसे में इस बर्न वार्ड में झुलस चुके रोगियों का उपचार बेईमानी ही साबित होगा। संसाधनों के अभाव आगजनी की घटनाओं में पीड़ित कई लोग असमय अपनी जान खो चुके हैं।

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आज तक नहीं बनाया गया कोई प्रस्ताव

अल्मोड़ा : बर्न वार्ड को लेकर स्वास्थ्य महकमा कितना गंभीर है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने आज तक बर्न वार्ड के लिए अलग से कोई प्रस्ताव बनाना उचित नहीं समझा। अधिकारियों की यहीं लापरवाही लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रही है।

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बर्न वार्ड के ये हैं मानक

= बर्न वार्ड में 20 से 25 डिग्री तापमान हर समय मेंटेन होना चाहिए।

= दिन में तीन चार बार फिनाइल से सफाई होनी चाहिए।

= तीमारदार और चिकित्सक बाहर से पहने जूते अंदर ना लाएं ताकि इंफेक्शन का खतरा पैदा न हो सके।

= मरीज से मिलने वाले लोग एप्रन पहने बिना अंदर ना जाएं।

= झुलसे रोगियों से बार बार लोगों को ना मिलने दिया जाए।

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आग की घटनाओं से पीड़ित लोगों को उपचार का हरसंभव प्रयास किया जाता है। संसाधनों के अभाव में गंभीर पीड़ितों को हायर सेंटर रेफर करना पड़ता है।

- डॉ. विनीता साह, सीएमओ, अल्मोड़ा


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