संस्कृति को बचाए हैं लोक गायक संतराम व आनंदी
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : लोक संगीत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में दृष्टिबाधिक दंपती संतराम व आनंदी देवी
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : लोक संगीत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में दृष्टिबाधिक दंपती संतराम व आनंदी देवी अपना बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं। वर्तमान में जहां मेलों में लोक गीतों को मंचों के माध्यम से चमक धमक के साथ प्रस्तुत किया जाने लगा है। वहीं अल्मोड़ा के नंदादेवी मेले में अपनी मधुर आवाज और हुड़के की घमक से ²ष्टिबाधित दंपती लोगों को पारंपरिक गीतों से रुबरु कराते हैं। वह वर्षो से नंदादेवी मेले की रौनक बढ़ा रहे हैं।
ऐतिहासिक नंदादेवी मंदिर में लगने वाले मेले में दृष्टिहीन संतराम व उनकी पत्नी आनंदी देवी पिछले पांच वर्षो से लगातार अपनी मधुर आवाज से लोगों को लोक गीतों की विभिन्न शैलियों से रुबरु करा रहे हैं। इस वर्ष भी वह मेले में पहुंचे और उन्होंने अपने मधुर कंठ से लोगों को कुमाऊं की झोड़ा, चांचरी, जोड़, लोक गाथाएं व बैर आदि सुनाकर खूब मनोरंजन किया। मेले के दौरान प्रतिदिन उनके गीतों की मधुर स्वरलहरियों ने नंदादेवी मंदिर को गुंजायमान रखा। संस्कृति प्रेमी व लोक संगीत को जानने वाले लोगों को जमावड़ा उन्हें सुनने के लिए उनके आस पास लगा रहा। बता दें कि संतराम धौलछीना के पिपई गांव के रहने वाले है। जन्म के तीन माह के बाद उनकी आंखों की च्योति चली गई थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और उन्होंने लोगों से कुमाऊंनी गीतों की विभिन्न शैलियों को सुन सुन कर सीखा। जो आज उनकी आजीविका का सहारा है। वहीं उनकी पत्नी आनंदी देवी की भी एक आंख बचपन से खराब थी, लेकिन पिछले एक साल से उनकी भी दोनों आखों की रोशनी चली गई है। संतराम ने बताया कि सरकार से उन्हें पेंशन भी मिलती है वहीं इसी तरह मेले में भी लोग उनके गीतों को सुनकर उन्हें इनाम देते है।