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मानक के उलट बहुमंजिला इमारतों पर निगाह टेढ़ी

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : भूकंपीय लिहाज से जोन-फाइव में आने वाली सांस्कृतिक नगरी व आसपास तेजी से नगरी

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 11:34 PM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 06:51 AM (IST)
मानक के उलट बहुमंजिला इमारतों पर निगाह टेढ़ी
मानक के उलट बहुमंजिला इमारतों पर निगाह टेढ़ी

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : भूकंपीय लिहाज से जोन-फाइव में आने वाली सांस्कृतिक नगरी व आसपास तेजी से नगरीय शक्ल ले रहे कस्बों के साथ ही पूरे जनपद में मानक विरुद्ध खड़ी हो रही बहुमंजिला इमारतों पर जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) की निगाह टेढ़ी हो गई है। देर से ही सही नियम कायदे ताक पर रख नाजुक पहाड़ में बगैर भूगर्भीय सर्वे जोखिम भरे फ्लैट खड़े करने वाले बिल्डरों पर डीडीए ने शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। जनपद भर में तय मानक से अधिक ऊंचाई वाले भवन, जमीन की स्थिति आदि तमाम पहलुओं की जांच की जाएगी।

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दरअसल, पर्वतीय क्षेत्रों में भवन निर्माण आदि के लिए मास्टर प्लान अब तक लागू ही नहीं हो सका है। सूत्रों की मानें तो महानगरों की नकल पर आलीशान बहुमंजिला इमारतें खड़ी करने से पूर्व भूगर्भीय सर्वे तक नहीं कराया जाता। सर्वे हुआ भी तो महज खानापूरी भर। भूगर्भ वैज्ञानिक आगाह करते रहे हैं कि ऐसे में अतिसंवेदनशील पर्वतीय क्षेत्रों में मानकों की अनदेखी भविष्य में घातक साबित हो सकती है। मगर अब डीडीए उन बिल्डरों पर शिकंजा कसने जा रहा, जो प्रशासन की नाक तले नियमों को धता बता खतरों की मंजिलें खड़ी कर मुनाफा कमाने में लगे हैं।

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कितनी सरकारी भूमि पर है अवैध कब्जा

पर्वतीय क्षेत्रों में फ्लैट कल्चर जिस तेजी से परवान चढ़ रहा, सरकारी भूमि पर भी बिल्डरों की नजरें जमती जा रही। सूत्र बताते हैं कि जिले के तमाम क्षेत्रों में बिल्डर खरीदी गई जमीन के अलावा सरकारी भूमि पर भी कब्जे से नहीं चूक रहे। रानीखेत के मजखाली क्षेत्र में बहुमंजिला एस्टेट इसकी बानगी भर है।

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ग्रामीण इलाके भी जांच के दायरे में

जांच के दायरे में प्राधिकरण ने नगर व पर्यटन के लिहाज से माकूल ग्रामीण क्षेत्रों को भी लिया है। वजह, सैलानियों को अब भीड़भाड़ वाले शहरों के बजाय शांत हरी-भरी वादियां ज्यादा रास आने लगी है। पर्यावरण प्रेम की खातिर कई लोग फ्लैट्स खरीद कर रहने भी लगे हैं।

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मास्टर प्लान के अभाव में टूट रहे मानक

अतिसंवेदनशील पर्वतीय क्षेत्रों में भवन की ऊंचाई सात से 10 मीटर तय है। मगर यहां तो तीन से चार गुना ज्यादा ऊंचाई वाले भवन ताश के पत्तों की तरह खड़े कर दिए गए हैं। यही नहीं निर्माण में भूकंपरोधी प्रावधान भी दरकिनार किए जा रहे।

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इस मामले में कोई ढील नहीं देंगे। सभी पहलुओं की जांच कराने जा रहे। भूगर्भीय सर्वे, वैध अवैध भूमि आदि से संबंधित अभिलेखों की भी पड़ताल कराएंगे। अनियमितता पर आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी है। पूरे जनपद में जांच कराई जाएगी।

- बीएल फिरमाल, संयुक्त सचिव डीडीए


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