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पहाड़ की वन संपदा पर तस्करों की काली छाया

संवाद सहयोगी अल्मोड़ा पर्वतीय क्षेत्रों की अकूत वन संपदा पर अब वन तस्करों की काली निगाहें टि

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 May 2019 10:58 PM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 06:28 AM (IST)
पहाड़ की वन संपदा पर तस्करों की काली छाया
पहाड़ की वन संपदा पर तस्करों की काली छाया

संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : पर्वतीय क्षेत्रों की अकूत वन संपदा पर अब वन तस्करों की काली निगाहें टिकी हुई हैं। वन तस्कर फायर सीजन का फायदा उठाकर जहां अपने काले कारनामों को अंजाम दे रहे हैं, वहीं वन महकमा करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी न तो जंगलों को बचा पा रहा है और न ही वन तस्करों पर नकेल कस पा रहा है। जिसका खामियाजा अब पहाड़ के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

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प्रदेश के पर्वतीय जिलों की बात करें तो यहां प्राकृतिक संपदा का अकूत भंडार है। ईमारती लकड़ियों के अलावा यहां तमाम तरह की जड़ी बूटियां भी पाई जाती हैं। लेकिन यह वन संपदा पिछले कुछ सालों से लगातार वन तस्करों की निगाह में है। फायर सीजन के नाम पर वन तस्कर जानबूझकर जंगलों में आग लगा रहे हैं। जंगलों में लग रही आग के कारण यहां होने पैदा होने वाली ईमारती लकड़ी के बड़े-बड़े पेड़ों को जड़ से जला दिया जाता है और उनके गिरने के बाद रात के अंधेरे में उन्हें काटकर उन पर हाथ साफ कर लिया जाता है। उल्लेखनीय है प्रदेश के पर्वतीय जिलों में अभी इतनी गर्मी नहीं पड़ रही है कि जंगल आग से धधकने लग जाएं। लेकिन इसके बाद भी जिस रफ्तार से जंगल राख में तब्दील हो रहे हैं उससे यह बात साफ है कि वन तस्कर फायर सीजन का किस तरह फायदा उठा रहे हैं। मई महीने की बात करें तो इसके शुरूआती सप्ताह में ही करीब तीन चार दिन रात के समय लगातार बारिश हुई। लेकिन बारिश के बंद होते ही फिर जंगल आग से धधकने लगे। इससे बड़े पेड़ जहां लगातार धराशाई हो रहे हैं वहीं वन तस्कर मौका मिलते ही उन पर हाथ साफ करने में भी कोई गुरेज नहीं कर रहे हैं। लेकिन सब कुछ जानने के बाद भी वन महकमा लाचारी के आंसू रो रहा है।

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--इंसेट

कर्मचारियों की कमी ने बढ़ाई दुश्वारियां

अल्मोड़ा: वन विभाग हालांकि हर साल वनाग्नि की घटनाओं को रोकने और तस्करों पर नकेल कसने के तमाम दावे करता है लेकिन संसाधनों की कमी के कारण महकमा अपने दावों पर ही खरा नहीं उतर पाता। जिले की बात करें तो यहां वन रक्षकों को सौ से अधिक पद रिक्त हैं। जबकि वन क्षेत्राधिकारी, उप वन क्षेत्राधिकारी, व वन दारोगा के इतने ही पदों पर सालों से तैनाती नहीं हो पाई है। फायर सीजन आने पर वन विभाग फायर वाचरों की तैनाती तो करता है पर उन्हें भी मानदेय और जरूरी सुविधाएं देने में विभाग नाकाम साबित होता है। ऐसा नहीं है कि फायर सीजन से निपटने के लिए लाखों रुपये पानी की तरह नहीं बहाया जाता। लेकिनअधिकारियों की मनमानी के चलते यह धनराशि उस कार्य में नहीं लगाई जाती जहां इसे वास्तव में खर्च किया जाना चाहिए।

------------------- गिरफ्त से बाहर हैं अराजक तत्व

अल्मोड़ा : जंगलों में आग की बढ़ती घटनाओं के बाद भी पिछले कुछ सालों में वन विभाग अराजक तत्वों का पकड़ नहीं पाया। ग्रामीणों की मदद से अगर दो चार बार सफलता मिली भी होगी तो विभाग उन पर कड़ी कार्रवाई नहीं कर पाया। जिस कारण अराजक तत्वों के हौसले बुलंद हैं और विभाग घड़ियाली आंसू बहा रहा है।

------------------ वनों में आग लगाने वाले अराजक तत्वों व तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। अधिकारियों को ऐसे लोगों पर निगाह रखने के निर्देश दिए गए हैं। वनों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

-केएस बिष्ट, डीएफओ, अल्मोड़ा


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