कोसी नदी में बन रहे इंटकवेल की होगी एसआइटी जांच
संवाद सहयोगी अल्मोड़ा नगर को पेयजल किल्लत से निजात दिलाने के लिए कोसी नदी में निर्माणाधीन क
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : नगर को पेयजल किल्लत से निजात दिलाने के लिए कोसी नदी में निर्माणाधीन करीब दस करोड़ रुपये लागत के इंटकवेल के निर्माण में आई खामी की शिकायत को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री ने इस मामले में शिकायत मिलने के बाद अब सचिव पेयजल को पूरे मामले की एसआइटी जांच कराने के निर्देश दिए हैं। ताकि निर्माण कार्य में खामी के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जा सके।
अल्मोड़ा नगर और आसपास की क्षेत्रों की पेयजल समस्या से निपटने के लिए यहां कुछ सालों पहले बैराज का निर्माण किया गया था। लेकिन बरसात के मौसम में सिल्ट की समस्या को देखते हुए यहां करीब दस करोड़ रुपये लागत के एक इंटकवेल के निर्माण का निर्णय लिया गया था। वर्तमान में इंटकवैल का निर्माण कार्य चल रहा है। लेकिन कुछ दिनों पहले इंटकवैल के निर्माण में लापरवाही का मामला सामने आया था। इंटकवैल से जहां पानी का रिसाव हो रहा था वहीं कई जगह पर दरारें भी देखी गई थी। जिसके बाद से इंटकवैल की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे थे। इस मामले में अनियमितता के बाद कांग्रेस विधायक मनोज तिवारी ने इस मामले की जांच की मांग की थी। जिसके बाद बीते दिनों इस मामले में भाजपा के जिलाध्यक्ष गोविद पिलख्वाल ने भी मुख्यमंत्री को पत्र देकर पूरे मामले का जांच की मांग की। जिलाध्यक्ष पिलख्वाल की शिकायत को गंभीरता से लेने के बाद अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस मामले का संज्ञान ले लिया है और उन्होंने पेयजल विभाग के सचिव को पूरे मामले की एसआइटी जांच कराने के निर्देश दे दिए हैं। सीएम ने कहा है कि निर्माण कार्य में किसी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सीएम के निर्देश के बाद भाजपा के कार्यकर्ताओं ने जिलाध्यक्ष की इस पहल की सराहना की है।
--------------------
पेयजल मंत्री भी जता चुके थे नाराजगी
कोसी नदी में हो रहे निर्माण कार्य में खामियां पहले से बरती जा रही है। कुछ महीनों पहले पेयजल मंत्री प्रकाश पंत ने अपने अल्मोड़ा भ्रमण के दौरान कोसी बैराज का निरीक्षण किया था। जिसमें उन्होंने कार्य में हो रही देरी और निर्माण कार्य में बरती जा रही खामी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कार्य में सुधार करने के निर्देश दिए थे। लेकिन इसके बाद भी संबंधित अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन जब इंटकवैल के निर्माण में बरती जा रही लापरवाही जग जाहिर हो गई और सीएम ने एसआईटी जांच के आदेश दे दिए तो अब अधिकारियों के हाथ पांव फूले हुए हैं।
------------------
तीस साल बाद के लिए तैयार हो रहा इंटकवेल
सूबे की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में पेयजल समस्या कोई नई बात नहीं है। इस समस्या से निपटने के लिए बैराज का निर्माण किया गया तो अगले तीस सालों की बढ़ती आबादी को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए इंटकवैल प्रस्तावित किया गया था। जल निगम के अधिकारियों के अनुसार भविष्य में मटेला से अल्मोड़ा नगर के लिए नई पेयजल लाइन बिछाने की योजना थी। जिसके लिए करीब तीस करोड़ रुपये का प्रस्ताव भी शासन को भेजा गया था। जब इस नई लाइन का निर्माण होता तभी इंटकवेल का लाभ भी नगर के लोगों को मिलता। लेकिन इंटकवैल के निर्माण के लिए काफी समय होने के बाद भी जल्दबाजी और लापरवाही बरती गई यह जांच का विषय है।