ढाचागत विकास में सुस्त तंत्र न्यायालय की फटकार पर चुस्त
संवाद सहयोगी द्वाराहाट राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) की स्थापना को बीते दस वषरें से ढिलाइ
संवाद सहयोगी, द्वाराहाट : राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) की स्थापना को बीते दस वषरें से ढिलाई पर उच्च न्यायालय की फटकार पर तंत्र अब नींद से जागा है। ढाचागत सुविधाएं विकसित करने को द्वाराहाट व पौड़ी स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज में एनआइटी की संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी है, ताकि इसका सुचारू संचालन किया जा सके। इधर सरकार की ओर से भूमि की नापजोख, ढाचागत विकास व अन्य अभिलेख मंगाए जाने पर बीटीकेआइटी को एनआइटी का दर्जा दिए जाने की माग जोर पकड़ गई है। राज्यपाल को बाकायदा ज्ञापन भेजा गया है।
दरअसल, राज्य के एकमात्र केंद्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना श्रीनगर (गढ़वाल) में वर्ष 2010 में हुई थी। तब से यह पॉलीटेक्निक तथा आइटीआइ में संचालित किया जा रहा था। बाद में यहा के छात्र एनआइटी जयपुर (राजस्थान) शिफ्ट कर दिए गए। परेशान छात्रों ने न्यायलय की शरण ले ली। मगर सरकारें उदासीन बनी रही। बीती 27 मार्च को उच्च न्यायालय ने एनआइटी के लिए राज्य के दो मैदानी व दो पर्वतीय क्षेत्रों को चयनित करने के आदेश दिए। मगर अमल नहीं किया गया। तंत्र की इस ढिलाई को उच्च न्यायालय ने अवमानना करार दिया। तब राज्य सरकार की नींद टूटी। स्थल चयन को चुस्ती दिखाई गई। आनन फानन में बिपिन त्रिपाठी कुमाऊं प्रौद्योगिकी संस्थान (बीटीकेआइटी) की भूमि, ढाचागत स्थित आदि का जायजा लिया। तब से क्षेत्र में सुगबुगाहट है। संस्थान को हर दृष्टिकोण से उपयुक्त बता इसमें एनआइटी स्थापित किए जाने की पुरजोर वकालत की जा रही।
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ताकि द्वाराहाट में ही खुले अहम संस्थान
उत्तराखंड का राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वाराहाट में ही खुले, इसके लिए बीटीकेआइटी प्रशासन ने तर्क दिए हैं कि 167 एकड़ भूमि संस्थान के पास तो है ही। इससे लगी करीब 125 एकड़ बेनाप भूमि और है जिसका सदुपयोग हो सकता है। जबकि एनआइटी के लिए 200 एकड़ भूमि जरूरी है। इस संस्थान के ढाचागत विकास को भी राज्य के अन्य तकनीकी संस्थाओं से बेहतर बताया गया है।
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बीटीकेआइटी से ये सूचनाएं मागी गई
भूमि व भवनों की उपलब्धता, छात्रावासों के साथ ही, पाच वषरें की छात्र संख्या, बाहरी राज्यों के छात्रों की संख्या आदि।
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संस्थान में ये चल रहे पाठ्यक्त्रम
कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, बायोकैमिकल इंजीनियरिंग व कैमिकल इंजीनियरिंग। इसके अलावा तीन पोस्टग्रेजुएट पाठ्यक्रम।
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सरकार की नाकामी के कारण राज्य का एनआइटी बाहर जाने की स्थिति में आ चुका है। इसे द्वाराहाट में खुलवाने के प्रयास किए जा रहे हैं। यहा जमीन सहित अन्य सभी सुविधाएं मौजूद हैं। मामले में शीघ्र मुख्यमंत्री से भी मिलेंगे।
- मदन बिष्ट, पूर्व विधायक'
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राज्यपाल को इन्होंने भेजा ज्ञापन
जिपं सदस्य दीपा आर्या, बीडीसी नारायण सिंह व दीपिका बिष्ट, ग्राम प्रधान मनोहर सिंह, अनीता बजेठा, जोगाराम, बार एसोसिएशन अध्यक्ष हेम रावत, बीरेंद्र बजेठा, नारायण रावत, चंदन नेगी, मुन्नी देवी, कुंदन अधिकारी, भीम सिंह किरौला, विजय बजेठा, धन सिंह, भूपाल सिंह आदि।
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'शासन स्तर से एनआईटी स्थापित करने के संदर्भ में सूचनाएं मागी गई थी, जिसे हमने भेज दिया है। एनआईटी के लिहाज से जमीन की उपलब्धता, ढाचागत सुविधा, पानी आदि सब कुछ पर्याप्त मात्रा में है। इससे कई प्रकार लाभ संस्थान को मिल सकेंगे। इसलिए हमारी कोशिश तो यही रहेगी कि यह महत्वपूर्ण संस्थान द्वाराहाट में ही स्थापित हो।
-बीएन मिश्रा, निदेशक बीटीकेआइटी'