दावानल की लपटों ने बढ़ाई तपिश
संवाद सहयोगी रानीखेत/मानिला मौसम की लंबी मेहरबानी के बाद अब पीक फायर सीजन में वनाग्नि नियं˜
संवाद सहयोगी, रानीखेत/मानिला : मौसम की लंबी मेहरबानी के बाद अब पीक फायर सीजन में वनाग्नि नियंत्रण की चुनौतियां बढ़ने लगी हैं। वन क्षेत्रों के धीरे-धीरे दावानल की चपेट में आने से जहां तपिश बढ़ने लगी है वहीं अनमोल वन संपदा पर भी खतरा बढ़ गया है। प्राकृतिक जल स्रोतों पर भी वनाग्नि का संकट छाने लगा है। अब तक अछूता कठपुड़िया का छाना व कफलकोट का कंपार्टमेंट धधक उठा। उधर सल्ट ब्लॉक क्षेत्र में तमाम जंगलात आग की भेंट चढ़ने से लाखों की वन संपदा नष्ट हो गई।
गर्मी बढ़ते ही पर्वतीय क्षेत्र के जंगलों में आग धधकने लगी है। बीती रविवार की सांय देवलीखान के निकट कफलकोट (चौकीधार) का जंगल आग से स्वाहा हो गया। इससे जहां लाखों की वन संपदा खाक हो गई वहीं मवेशियों के लिए चारा घास का संकट भी पैदा हो गया है। अनुभाग अधिकारी हरीश बिष्ट के अनुसार आग से करीब चार हेक्टेअर जंगल खाक हो चुका है। बताया कि स्थानीय युवा विनोद जोशी, चंदन बिष्ट, वन रक्षक धीरेंद्र सजवाल, फायर वॉचर मोहित जोशी, महेंद्र बिष्ट व नेपाली मजदूरों की मदद से आग पर काबू पाया जा सका। इधर रविवार की सुबह कठपुड़िया के छाना कंमार्टमेंट एक आग की भेंट चढ़ गया। इससे कठपुड़िया के लिए बिछाई गई पानी की लाइन भी चपेट में आ गई। उधर सल्ट ब्लॉक के मानिला, मोलेखाल, भवाली ढय्या, कालीगांव, सदर, चंखला आदि जंगल भी आग की भेंट चढ़ गए हैं। आग के कारण जंगली जानवर आबादी का रूख करने लगे हैं। विभागीय अधिकारी कर्मचारियों की कमी का हवाला दे पल्ला झाड़ रहा है।
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