Move to Jagran APP

जेसीबी से नहीं कटेंगी 'लाइफ लाइन' की पहाडि़यां

संवाद सहयोगी, रानीखेत: देर से ही सही, नेशनल हाईवे प्रशासन जागा तो। पूर्व में भूगर्भीय वैज्ञानिकों की

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 May 2017 06:02 PM (IST)Updated: Tue, 23 May 2017 06:02 PM (IST)
जेसीबी से नहीं कटेंगी 'लाइफ लाइन' की पहाडि़यां
जेसीबी से नहीं कटेंगी 'लाइफ लाइन' की पहाडि़यां

संवाद सहयोगी, रानीखेत: देर से ही सही, नेशनल हाईवे प्रशासन जागा तो। पूर्व में भूगर्भीय वैज्ञानिकों की चेतावनी पर गौर न करने वाला एनएच घातक परिणाम देख खुद सकते में आ गया है। भूगर्भीय लिहाज से बेहद खतरनाक असंख्यों भ्रंशों से घिरे अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे की नाजुक पहाडि़यों का कटान अब जेसीबी से नहीं होगा। खास बात कि कुमाऊं के वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिकों के सुझावों पर ही चौड़ीकरण की मुहिम आगे बढ़ेगी। ताकि भविष्य में राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोई और जनहानि न हो।

loksabha election banner

वर्ष 2010 की प्रलयंकारी त्रासदी के बाद से ही अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे के अस्तित्व पर सवाल उठने लगे थे। वहीं भूगर्भीय हलचल के कारण मेन बाउंड्री थ्रस्ट में ज्योलीकोट से लेकर कपकोट (बागेश्वर), उधर पिथौरागढ़ जनपद के उच्च इलाकों तक भ्रंशों में कंपन भी लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. बीएस सिंह कोटलिया ने भवाली में श्यामखेत फॉल्ट, अल्मोड़ा की ओर गरमपानी के ऊपर रामगढ़ थ्रस्ट तथा हाईवे पर ही सुयालबाड़ी में साउथ व सोमेश्वर के पास नॉर्थ अल्मोड़ा थ्रस्ट से घिरी पहाडि़यों को बेहद नाजुक करार दिया था।

आगाह किया था कि जेसीबी से एक इंच भी कटान किया गया तो ये अतिसंवेदनशील पहाडि़यां तबाही लाएंगी। मगर एनएच प्रशासन नहीं चेता। उल्टा हाईवे के चौड़ीकरण के लिए जेसीबी से पहाडि़यों का कटान शुरू कर दिया। इधर बीते रोज डेंजर जोन लोहाली की पहाड़ी से बस पर बोल्डर गिरने तथा पांच लोगों की मौत से एनएच प्रशासन को भूगर्भ वैज्ञानिकों की चेतावनी ने सोचने को विवश किया है। यही कारण है, नाजुक पहाडि़यों का कटान जेसीबी से न करने का निर्णय लिया गया है। कुमाऊं के वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिकों का पैनल अतिसंवेदनशील पहाडि़यों का सर्वे करेगा। उसी के सुझाव पर कदम आगे बढ़ाए जाएंगे।

== इंसेट==

आपदा की श्रेणी में लोहाली हादसा

डेंजर जोन लोहाली में हादसे को आपदा की श्रेणी में रखा जाएगा। एसडीएम कोश्या कुटौली प्रमोद कुमार के अनुसार मृतकों के आश्रितों को चार-चार लाख रुपये मुआवजे की सिफारिश की गई है। प्रस्ताव शासन को भेजा जा रहा है। वहीं घायलों को भी आपदा मद से ही सहायता राशि दिलाई जाएगी।

== इंसेट==

अल्मोड़ा व नैनीताल प्रशासन भी अलर्ट

लोहाली हादसे के बाद अल्मोड़ा व नैनीताल जिला प्रशासन सतर्क हो गया है। सूत्रों की मानें तो पहले चरण में डीएम नैनीताल दीपेंद्र चौधरी ने हाईवे पर चौड़ीकरण कार्यो की निगरानी को विशेष टीम गठित कर दी है। इसमें एसडीएम कोश्या कुटौली प्रमोद कुमार के साथ ही एआरटीओ व अधीक्षण अभियंता लोनिवि को शामिल किया है। जो लगातार मॉनीटिंग कर रिपोर्ट देंगे।

== इसेट ==

डेंजर जोन जहां बोल्डर ले चुके कई जान

= वर्ष 2006 : डेंजर जोन भौरियाबैंड में रोडवेज बस पर बोल्डर गिरा, आधा दर्जन यात्री जख्मी

= वर्ष 2008: बोल्डर गिरने से काकड़ीघाट में गरमपानी के ग्रामीण की मौत

= वर्ष 2010: लोहाली में आल्टो पर गिरा बोल्डर, एक यात्री की मौत

= वर्ष 2011: भौरिया बैंड में कार पर गिरे पत्थर, देहरादून का सेवानिवृत्त सैन्य अफसर बना शिकार

= वर्ष 2012: लोहाली में कार पर बोल्डर गिरा, हल्द्वानी का युवक मारा गया

= वर्ष 2012: पाडली में राहगीर मरा

= 2013: पाडली में भारी भूस्खलन, स्कूली बच्चों से भरी मैक्स खाई में गिरी, 10 बच्चे गंभीर

= वर्ष 2016 : पाडली में ही बोल्डर गिरने से इनोवा सवार दिल्ली के अधिवक्ता की मौत

= अब 22 मई 2017 : डेंजर जोन लोहाली में बस पर गिरा बोल्डर, पांच महिलाएं शिकार, 10 घायल

== इंसेट==

उठी सुरक्षात्मक कार्यो की मांग

हाईवे पर कहर बरपाने पर आमादा अतिसंवेदनशील पहाडि़यों पर सुरक्षात्मक कार्य तेजी से पूरे कराने की मांग उठने लगी है। आरटीआइ कार्यकर्ता दिलीप सिंह बोहरा, समाजसेवी विशन सिंह जंतवाल, पंचायत प्रतिनिधि पूरन लाल साह, गजेंद्र नेगी आदि ने कहा, यदि समय रहते सुरक्षात्मक कार्य जल्द न कराए गए तो खतरा और बढ़ सकता है।

== इंसेट ==

दैनिक जागरण ने 2010 में ही कर दिया था आगाह

रानीखेत : भूगर्भ वैज्ञानिकों के साथ ही 'दैनिक जागरण' ने वर्ष 2010 की आपदा के बाद से ही हाईवे पर मंडरा रहे खतरों से आगाह कर दिया था। चूंकि इस त्रासदी में एनएच-87 पर क्वारब से लेकर भवाली के बीच कई डेंजर जोन तैयार हो गए थे। अतिसंवेदनशील पहाडि़यों के दरकने का सिलसिला तेज हो गया था। सुरक्षित सफर के लिए बाकायदा जागरण ने अभियान भी चलाया था।

=== इंसेट===

अतिसंवेदनशील पहाडि़यों का दोबारा भूगर्भीय सर्वे कराएंगे। इसमें कुमाऊं के वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिकों की मदद लेंगे क्योंकि उन्हें इन पहाडि़यों की हिस्ट्री पता होगी। शोध भी किए गए होंगे। जेसीबी से फिलहाल खतरनाक पहाडि़यों का कटान नहीं किया जाएगा।

- महेंद्र कुमार, ईई एनएच


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.