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नारी सशक्तीकरण : घर में जिम खोलकर पूरे शहर की कामकाजी महिलाओं को देती हैं नि:शुल्क योग प्रशिक्षण

महिलाओं की सेहत ही कचहरी रोड निवासी सुमनलता के जीवन की नेमत बन चुकी है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 02:08 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 03:24 PM (IST)
नारी सशक्तीकरण : घर में जिम खोलकर पूरे शहर की कामकाजी महिलाओं को देती हैं नि:शुल्क योग प्रशिक्षण
नारी सशक्तीकरण : घर में जिम खोलकर पूरे शहर की कामकाजी महिलाओं को देती हैं नि:शुल्क योग प्रशिक्षण

गाजीपुर [सर्वेश कुमार मिश्र]। महिलाओं की सेहत ही कचहरी रोड निवासी सुमनलता के जीवन की नेमत बन चुकी है। उनके घर का पता सेहत के नाम से यूं ही नहीं जाने जाना लगा है बल्कि इसके पीछे उनका कल्पना से परे काम भी है। घर में ही महिलाओं के लिए ढाई हजार स्कावयर फुट में हाल बनवाकर एक जिम खोला है। जिम का कोई शायद ही उनके यहां उपकरण न हो जो आसपास के जिलों के अच्छे जिमों में उपलब्ध हों। बड़ी बात यह कि उनके यहां जिम करने के लिए शाम पांच बजे तक करीब 50 से अधिक महिलाएं आ जाती हैं। इतना ही नहीं इनमें से तमाम तो सुबह यहां नि:शुल्क योग का प्रशिक्षण भी लेती हैं। सुमनलता का कहना है कि योग और व्यायाम से उन्हें सर्वाइकिल समस्या से निजात मिली तो उन्होंने महिलाओं के स्वास्थ्य का वीणा उठाया। इस नेक काम से उन्हें आत्मसुख का अनुभव होता है। 

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बीएचयू से एमए-बीएड सुमनलता का चयन सरकारी शिक्षक के पद पर ह़ुआ था लेकिन एकल परिवार होने के चलते वह सेवा में नहीं आ सकीं। इसके बाद उनके मन में समाज के लिए कुछ करने की ललक बनी हुई थी। इस बीच उनको सर्वाइकल समस्या हो गई जिससे वह काफी परेशान रहने लगीं। तमाम बड़े अस्पतालों में इलाज कराया लेकिन लाभ नहीं हुआ। वह काफी निराश थीं, इसी दौरान करंडा ब्लाक के सोनहिया वन में स्थित युश जी महाराज के आश्रम पर जाना हुआ। युश जी महाराज ने सुमनलता को योग व प्राणायाम करना सिखाया जिससे उनकी सर्वाइकल की समस्या दूर हो गई। इसके बाद से वह नियमित योग व प्राणयाम करने लगीं।

फिर उनके मन में आया कि क्यों न कामकाजी महिलाओं को भी योग व प्राणायाम के माध्यम से स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित किया। सुमनलता ने पति संजीव गुप्त से अपना विचार साझा किया जिस पर वह सहर्ष तैयार हो गए। कचहरी स्थित आवास के बेसमेंट में सुमनलता ने अपना जिम खोला और लाखों रुपये खर्च कर उसमें व्यायाम करने की आधुनिक मशीनें लगवाईं। उन्होंने अपने जिम का दरवाजा आम महिलाओं के लिए खोल दिया। हर रोज सायंकाल पांच से सात बजे तक शहर की चार दर्जन से अधिक महिलाएं वहां आती हैं और निशुल्क व्यायाम, योग व प्राणायाम करती हैं। शिक्षक व प्रशिक्षक की भूमिका में स्नेहलता उनका सहयोग करती हैं। हर शनिवार को अध्यात्म से जुड़े आयोजन जैसे विचार गोष्ठी भी करायी जाती है। किसी दिवस विशेष जैसे महिला दिवस, बालिका दिवस, स्वास्थ्य दिवस व योग दिवस पर विषय विशेषज्ञों को बुलाकर उनका व्याख्यान भी कराया जाता है। इससे महिलाओं को काफी जानकारी मिलती है। अगर कोई महिला किसी रोग से ज्यादा परेशान है तो स्नेललता उसे सुबह बुलाकर अलग से योग व प्राणायाम कराती हैं। 

 

स्वास्थ्य के साथ समाजसेवा भी

- सुमनलता का समाज के दबे-कुचले लोगों के प्रति भी काफी स्नेह है। वह अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम काशी प्रांत की महिला प्रमुख भी हैं। हर रविवार को वह अपने जिम में आने वाली महिलाओं को प्रेरित कर आसपास की वनवासी बस्तियों में जाती हैं और उनका जीवन बेहतर बनाने का प्रयास करती हैं। सभी महिलाएं वनवासी परिवारों को पढ़ाई करने, मेहनत करने और ईमानदारी पूर्वक काम करना सिखाती हैं। निशुल्क पाठशाला भी चलायी जाती है। कपड़े, खिलौने, खाद्यान्न सहित अन्य जरुरत के सामान प्रदान किया जाता है।


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