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year ender 2019 : पूरे साल रह-रहकर उबलता रहा बीएचयू, धरना-प्रदर्शन और गतिरोध के नाम रहा साल

वर्ष 2019 काशी हिंदू विश्वविद्यालय के लिए मिला-जुला रहा। पूरे साल रह-रहकर छात्र आंदोलनों की आंच में जहां विवि परिसर गर्माया रहा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 30 Dec 2019 05:40 PM (IST)Updated: Tue, 31 Dec 2019 09:59 AM (IST)
year ender 2019 : पूरे साल रह-रहकर उबलता रहा बीएचयू, धरना-प्रदर्शन और गतिरोध के नाम रहा साल
year ender 2019 : पूरे साल रह-रहकर उबलता रहा बीएचयू, धरना-प्रदर्शन और गतिरोध के नाम रहा साल

वाराणसी, जेएनएन। वर्ष 2019 काशी हिंदू विश्वविद्यालय के लिए मिला-जुला रहा। पूरे साल रह-रहकर छात्र आंदोलनों की आंच में जहां विवि परिसर गर्माया रहा। वहीं शिक्षकों, डॉक्टरों को भी जूझना पड़ा। सामान्य छात्रों को दुश्वारियों का सामना करना पड़ा तो पूर्वांचल, बिहार, मध्य प्रदेश आदि स्थानों से इलाज की आस में पहुंचने वाले मरीजों, तीमारदारों को वो सब झेलना पड़ा, जिनकी उन्होंने कल्पना तक नहीं की थी। सुखद ये रहा कि हर दुश्वारी को दरकिनार करते हुए बीएचयू फिर नववर्ष में भारत ही नहीं विश्व के समक्ष अपनी उपयोगिता और महत्ता सिद्ध करने को तैयार खड़ा है।

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संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में नियुक्ति पर एक माह चला था विवाद

संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में नियुक्ति के समय से छात्रों का विरोध झेल रहे डा. फिरोज खान ने कला संकाय के साहित्य विभाग को चुनकर समूचे प्रकरण का पटाक्षेप किया। फिरोज का चयन संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग के साथ ही आयुर्वेद संकाय व कला संकाय के संस्कृत विभाग में भी हुआ था। ईसी ने एसवीडीवी में हुई नियुक्ति को सही ठहराते हुए स्पष्ट किया था कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि मुस्लिम शिक्षक धर्म विज्ञान नहीं पढ़ा सकते हैं। बावजूद इसके छात्रों के विरोध को देखते हुए डा. फिरोज ने एसवीडीवी को छोड़ बीच का रास्ता चुना और कला संकाय के संस्कृत विभाग में बतैार असिस्टेंट प्रोफेसर ज्वाइन किया। इसी के साथ एक माह तीन दिन तक चले छात्रों का धरना भी 10 दिसंबर को समाप्त हुआ।

अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर भेजे गए छेड़खानी के आरोपित प्रोफेसर

छेड़खानी के आरोप में जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर शैल कुमार चौबे को आखिरकार अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई। 27 सितंबर को दिल्ली में हुई बैठक में कार्यकारिणी परिषद ने अपने पुराने फैसले पर पुनर्विचार करते हुए यह निर्णय लिया था। ईसी की इससे पहले की बैठक में प्रो. चौबे को आरोपित माना गया था और पेनाल्टी भी लगाई गई थी। उनके अधिकार सीमित कर दिए गए थे। मगर जब उन्होंने कक्षाएं लेनी शुरू की तो विवि परिसर में विरोध का स्वर एक बार फिर मुखर हुआ। 14 व 15 सितंबर को छात्राओं ने उनके विरोध में सिंह द्वार पर धरना दिया। छात्राओं की मांग पर विवि ने प्रो. चौबे का मामला दोबारा ईसी के समक्ष रखने का निर्णय लिया था।

बहाल हुई डा. आरपी मौर्या की सेवा

ब एचयू अस्पताल के नेत्र विभाग में अवैध विज्ञापन पर पूर्व में नियुक्ति के आरोप में डा. आरपी मौर्या को विश्वविद्यालय प्रशासन ने सेवा मुक्त कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए विवि ने उस समय के विज्ञापन को ही रद कर दिया। डा. मौर्या ने अपने सम्मान के लिए न्यायालय का ही दरवाजा खटखटाया। जहां उन्हें इंसाफ मिला। उच्च न्यायालय ने 18 दिसंबर को बीएचयू कुलसचिव के आदेश को नियम विरुद्ध बताते हुए रद कर दिया और डा. मौर्या अपने पद पर दोबारा बहाल हुए।

जब अखाड़ा बना काशी हिंदू विश्वविद्यालय

काशी ङ्क्षहदू विश्वविद्यालय छात्र विभिन्न मांगों को लेकर समय-समय पर मुखर होते रहे। छोटी-मोटी कुछ एक घटनाएं भी हुईं। मगर नवंबर में विवि परिसर मानो अखाड़ा बन गया। शुरुआत जूनियर रेजिडेंट की हड़ताल से हुई, जो एक सप्ताह तक चली। वहीं इसके बाद शुरू धरना, प्रदर्शन और आंदोलनों का सिलसिला दिसंबर तक चलता रहा।

तिथिवार धरना-प्रदर्शन

- 4 नवंबर : सुरक्षा की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टरों का धरना।

- 7 नवंबर : मुस्लिम शिक्षक की नियुक्ति के विरोध में धरना।

- 14 नवंबर : पुलिसिया उत्पीडऩ के विरोध में छात्रों ने बंद कराया सिंह द्वार।

- 14 नवंबर : पिटाई के विरोध में भाभा हास्टल के छात्रों का ब्रोचा चौराहे पर धरना।

-18 नवंबर : सावरकर की फोटो पर स्याही फेंकने के विरोध में प्रदर्शन।

- 18 नवंबर : पाठ्यक्रम बदलने का आरोप लगाते हुए छात्रों ने काटा बवाल।

- 18 नवंबर : जेएनयू छात्रों के समर्थन में निकली रैली में दो छात्र गुट भिड़े।

- 19 नवंबर : फीस कम कराने को लेकर बीए-एलएलबी के छात्रों का विधि संकाय में धरना।

- 20 नवंबर : हास्टल की मांग को लेकर नर्सिंग के छात्रों का धरना।

- 20 नवंबर : हास्टल से बेवजह निकाले जाने का आरोप लगाते हुए पत्रकारिता विभाग के छात्रों ने दिया धरना।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय -उपलब्धियां

सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटी में शामिल

केंद्र सरकार ने बीएचयू को देश की सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थान में शामिल किया है। इसके लिए अगले पांच साल में विवि को 1000 करोड़ रुपये मिलने हैं। उम्मीद है नए साल में पहले चरण की धनराशि मिले और यहां के शिक्षा व शोध को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान पुख्ता हो। इसके अलावा शिक्षकों के लिए अत्याधुनिक फ्लैट्स भी लगभग तैयार हैं। नववर्ष में विवि परिसर में सेंट्रलाइज सीसीटीवी कैमरे लगने की उम्मीद है।

पूर्वात्तर भारत को मिला कैंसर हास्पिटल

बीएचयू में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर का उद्घाटन फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। मुंबई-दिल्ली के बाद अब बनारस कैंसर ट्रीटमेंट का बड़ा सेंटर बन गया है। 580 करोड़ की लागत वाला 350 बेड का महामना कैंसर संस्थान पूर्वोत्तर भारत में अपने ढंग का इकलौता हॉस्पिटल है।

पेपरलेस की ओर बढ़ाए कदम

विवि की वेबसाइट 2003-04 में बनी थी, जो अब पुरानी हो चुकी है। विवि के आकार एवं स्वरूप को ध्यान में रखते हुए लंबे समय से यह अपेक्षा की जा रही थी कि एक ऐसी वेबसाइट बने जो विकेंद्रीकृत (डिसेंट्रलाइज) रूप में काम करे। इसके मद्देनजर बीएचयू ने पेपरलेस की ओर कदम बढ़ाते हुए सितंबर 2019 में डायनामिक वेबसाइट लांच की।

पहल  बार कंप्यूटरबेस्ड पीजी प्रवेश परीक्षा

प्रतियोगी परीक्षाओं की तर्ज पर इस बार काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा पूरी तरह कंप्यूटर बेस्ड (ऑनलाइन) हुई। हालांकि, स्नातक प्रवेश परीक्षा में इसे शत-प्रतिशत लागू नहीं किया गया।

88 बच्चों के बीच सवा किलो दाल का एमडीएम

राथमिक विद्यालय (माता प्रसाद) में सवा किलोग्राम दाल में 88 बच्चों को मध्याह्न भोजन करा दिया गया। 'दैनिक जागरण में खबर छपने के बाद बीएसए ने इसे गंभीरता से लिया। मामले में उन्होंने हेडमास्टर से स्पष्टीकरण मांगा। इसकी जांच खंड शिक्षा अधिकारी को सौंपी। हेड मास्टर को हटाने की तैयारी है। उधर एडी- बेसिक पीके उपाध्याय की अध्यक्षता में गठित मंडलीय टास्क फोर्स ने गत दिनों गाजीपुर के विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति की पोल खुल गई। निरीक्षण के दौरान पूर्व माध्यमिक विद्यालय (मढिय़ा) में ताला बंद मिला। बच्चे के संग हेडमास्टर भी गायब मिले। पाठ्य पुस्तकें व स्कूल बैग विद्यालय के कार्यालय में बंद मिले। वहीं विद्यालय परिसर में गाय बंधी मिली। मंडलीय टास्क फोर्स को इस तरह की खामियां हर ब्लाक में खंड शिक्षा अधिकारियों की तैनाती की कार्य शैली पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।

नहीं बदली टाट-पट्टी की संस्कृति

इसरा  अंतरिक्ष में चंद्रयान-दो भेजने में सफल हुआ है। वहीं आजादी के 72 साल बाद भी परिषदीय विद्यालयों में टाट-पट्टी की संस्कृति नहीं बदली। बच्चे अब भी टाट-पट्टी पर बैठकर पढऩे के लिए बाध्य हो रहे हैं। अब तक जनपद के 1374 विद्यालयों में से 417 स्कूलों में ही डेस्क-बेंच की सुविधा उपलब्ध हो सकी है।

प्रेरणा एप का हुआ व्यापक विरोध

अध्यापकों व बच्चों की उपस्थिति के लिए लांच प्रेरणा एप का व्यापक विरोध हुआ। इसे देखते हुए एप के माध्यम से उपस्थिति व अनुपस्थिति मांगने का निर्णय शासन को प्रस्ताव वापस लेना पड़ा।

191 विद्यालय अंग्रेजी माध्यम में हुए तब्दील

कान्वेंट स्कूलों के बढ़ते कदम को देखते हुए बेसिक शिक्षा विभाग भी अपने विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम में बदल रहा है। इस वर्ष अंग्रेजी माध्यम के प्राइमरी स्कूलों की संख्या बढ़कर 191 कर दी गई है।

एक अफवाह और स्कूलों से बच्चे गायब

सितंबर माह में बच्चा चोरी की ऐसी अफवाह फैली कि परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति काफी घट गई।

46 विद्यालय हुए स्मार्ट

इस वर्ष स्मार्ट परिषदीय विद्यालयों की संख्या बढ़ कर 46 हो गई। वहीं 427 विद्यालयों में रीड टू-रूम, 300 विद्यालयों में डेस्क-बेंच की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

नई नियुक्तियां भी बनी रहीं चुनौती

माध्यमिक व उच्चस्तर के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। जनपद के माध्यमिक विद्यालयों में करीब 1500 शिक्षकों के पद रिक्त चल रहे हैं। यहीं हाल विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों का है। ऐसे में पठन-पाठन की गुणवत्ता पर असर पडऩा स्वभाविक है। कुल मिलाकर गुरु केबिना ज्ञान का सागर सूख गया है। माध्यमिक ही नहीं विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों को नए साल में नए शिक्षक मिलने की उम्मीद है। बहरहाल शैक्षिक संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्तियां एक बड़ी चुनौती बनी हुई। वर्ष 2019 में माध्यमिक स्तर पर कोई खास उपलब्धि नहीं रही।

संस्कृत विवि : एसआइटी ने संस्कृत विवि पर बनाया दबाव

परीक्षा अभिलेखों की हेराफेरी की दाग से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय बाहर नहीं निकल पा रहा है। वहीं इस मामले की जांच एसआइटी (विशेष अनुसंधान दल) विश्वविद्यालय पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं। एसआइटी ने विश्वविद्यालय से वर्ष 2004 से 2014 (दस वर्ष) तक के बीएड टेबुलेशन रजिस्टर व कंप्यूटर में दर्ज रिकार्ड की कापी मांगी है। साथ ही टीआर में कटिंग व पन्ना बदले जाने के लिए कौन है जिम्मेदार इस बिंदु पर भी एआइटी पड़ताल कर रही है।

ग्रेडिंग की वैधता हुई समाप्त

-संस्कृत विश्वविद्यालय को नैक से मिले ए ग्रेड की वैधता नवंबर 2019 में समाप्त हो गई। इसे देखते हुए नवीनीकरण की तैयारी में जुट गया है। नए साल में मूल्यांकन कराने की योजना है। विश्वविद्यालय के लिए सबसे बड़ी चुनौती ए ग्रेड का तमगा बरकरार रखना है।

छात्रसंघ उपाध्यक्ष सहित 25 छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

अनुशासनहीनता के आरोप में संस्कृत विश्वविद्यालय ने पांच जनवरी को छात्रसंघ के उपाध्यक्ष शशिकांत पांडेय व पुस्तकालय मंत्री राधारमण पांडेय सहित 25 छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। छात्रों पर जबरन कार्यालय में घुसकर गाली-गलौज करने, कार्यालय के गेट का शीशा तोडऩे, कुलपति कक्ष के गेट का दरवाजा तोडऩे का प्रयास, सुरक्षाकर्मियों से हाथापाई के आरोप लगा।

प्रमुख तिथियां (संस्कृत विवि)

07 फरवरी : लाइब्रेरियन के संग दुव्र्यवहार के आरोप में छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्रधर द्विवेदी का शोध में प्रवेश निरस्त

02 मार्च : पूर्व प्रतिकुलपति को विश्व भारती सम्मान

11 अप्रैल : तुलनात्मक धर्म दर्शन के आचार्य प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल बने महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय ङ्क्षहदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति।

19 अप्रैल : शैक्षिक आदान-प्रदान के लिए संस्कृत विवि व मॉरीशस के बीच हुआ करार

12 जुलाई : अंतर्राष्ट्रीय शास्त्रार्थ सम्मेलन

पंचवर्षीय विधि व कृषि की शुरू हुई पढ़ाई

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के लिए वर्ष 2019 सामान्य रहा। विद्यापीठ के खाते में कोई खास बड़ी उपलब्धि नहीं रही। वहीं कोई बड़ी घटना भी नहीं हुई। इस सत्र में विद्यापीठ को पंचवर्षीय विधि कोर्स की मान्यता मिली। वहीं गंगापुर परिसर में बीएससी-कृषि की पढ़ाई इसी सत्र से शुरू हुई। इस वर्ष विश्वविद्यालय में मौसम सेंटर केंद्र खोलने में सफल रहा। हालांकि मौसम का मिजाज लोगों तक पहुंचाने में विद्यापीठ अब तक कामयाब नहीं हो सका है।

विधि की दोबारा करानी पड़ी प्रवेश परीक्षा

अनियमितता के आरोप में विद्यापीठ को विधि की प्रवेश परीक्षा दोबारा करानी पड़े। इसे लेकर छात्रों ने जबर्दस्त आंदोलन चलाया। वहीं गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष परिसर में मारपीट की घटनाएं काफी कम हुई। छिटपुट घटनाओं को छोड़ दिया जाय तो परिसर में पूर्व वर्ष शांति रही।

प्रमुख तिथियां : काशी विद्यापीठ

23 जनवरी : छात्रगुटों में मारपीट, एक छात्र का फूटा सिर

17 अक्टूबर : छात्रसंघ चुनाव प्रचार में हवाई फायरिंग।


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