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निराश्रिताेें के हुनर से सजेगी बंदियों की कलाई, बाल संरक्षण गृह की संचालक संस्था मुहैया कराती है सामग्री

निराश्रित लड़कियों के हुनर से बंदियों की कलाई सजेगी बाल संरक्षण गृह सोनभद्र की संचालक संस्था सामग्री मुहैया कराती है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 08:40 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 04:50 PM (IST)
निराश्रिताेें के हुनर से सजेगी बंदियों की कलाई, बाल संरक्षण गृह की संचालक संस्था मुहैया कराती है सामग्री
निराश्रिताेें के हुनर से सजेगी बंदियों की कलाई, बाल संरक्षण गृह की संचालक संस्था मुहैया कराती है सामग्री

सोनभद्र, जेएनएन। चीनी वस्‍तुओं के बहिष्कार के साथ ही देशी सामान बनाने और उसके उपयोग पर हर कोई जोर दे रहा है। इन सबके बीच जिले में स्थापित बालगृह बालिका में रहने वाली निराश्रित लड़कियों द्वारा देशी राखी तैयार की जा रही है। हर वर्ष इस राखी से बालगृह बालक में रहने वाले बालकों की कलाई सजती है। इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन जिला कारागार गुरमा के बंदियों के हाथ पर राखी बांधने की तैयारी है। इसके लिए राखी बनाने काम भी शुरू हो गया है। इन लड़कियों को राखी बनाने के लिए मोती, धागा, गोंद आदि संस्था द्वारा ही उपलब्ध कराया जाता है।

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प्रोबेशन विभाग के तहत पुसौली में बालगृह (बालिका) का संचालन किया जाता है। इसमें निराश्रित बालिकाओं व किशोरियों को रखा जाता है। वर्तमान समय में नौ किशोरियां हैं। यहां की किशोरियों को आवास में शिक्षा देने के साथ ही उन्हें हुनरमंद भी बनाया जाता है। इसी हुनर की बदौलत ये लड़कियां हर वर्ष राखी अपने हाथों से तैयार करती हैं। बिल्कुल बाजार की तरह मोदी, धागा मंगाकर सभी लड़कियां आपस में मिलकर राखी बनाती हैं। यहां की अधीक्षक नीलम सिंह बताती हैं कि नौ में से सात लड़कियां राखी बनाने जानती हैं। उन्हें संस्था की ओर से सामग्री उपलब्ध करायी जाती है। राखी बनाकर रक्षा बंधन के दिन बालगृह बालक के सभी निराश्रित बालकों को बांधी जाती है। रोजगार की दिशा में जेल प्रशासन की ओर से समय-समय पर कई वस्‍तुओं का निर्माण कराया जाता है।

इस बार रक्षा बंधन के दिन यही राखी जिला जेल भेजी जाएगी

बालगृह (बालिका) में रहने वाली निराश्रित लड़कियों द्वारा राखी बनायी जाती है। इस बार रक्षा बंधन के दिन यही राखी जिला जेल भेजी जाएगी। वहां बंदियों की कलाई पर बंधवाई जाएगी। कोशिश है कि एक हजार राखी ये लड़कियां तैयार करें। उन्हें धागा, मोती, गोंद आदि मुहैया कराया गया है।

- डा. अमरेंद्र पौत्स्यायन, जिला प्रोबेशन अधिकारी


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