आंवले का पूजन कर किया लोगों ने दान पुण्य, अक्षय फल की मांगी कामना
सनातन धर्म में कार्तिक शुक्ल नवमी को अक्षय नवमी कहते हैं। अक्षय नवमी तिथि 16 नवंबर को प्रात: 7.10 बजे लग रही है जो 17 को प्रात: 9.07 बजे तक रहेगी।
वाराणसी, जेएनएन। सनातन धर्म में कार्तिक शुक्ल नवमी को अक्षय नवमी कहते हैं। अक्षय नवमी तिथि 16 नवंबर को प्रात: 7.10 बजे लग रही है जो 17 को प्रात: 9.07 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार उदय काल में नवमी मिलने से अक्षय नवमी 17 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन दान का विशेष महत्व होता है। रत्नादि, स्वर्णादि, सफेद कोहड़े के अंदर भर कर दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन का दिया दान अक्षय होता है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन का विशेष महत्व होता है। आंवले के वृक्ष तले दाल-भात-कोंहड़े की तरकारी बने या फिर छोले के साथ भठूरा छने क्या फर्क पड़ता है। इस 'अवसर' के साथ सामूहिक सहभागिता और आत्मीयता का भाव बना रहे, जरूरी बात तो यह है। किसी त्योहार के बहाने आंवले के पेड़ तक जाने और इसी लस्तगे पर्यावरण से नजदीकियां बढ़ाने और 'आमलकी ' के आयुर्वेदिक गुणों को समझने-समझाने के लिए ही तो हमारे मनीषी पूर्वजों ने कभी मौसम और आरोग्य तो कभी खेती-बारी और कारोबार की रवानगी को केंद्र में रख कर गढ़े सारे तीज और त्योहार।
लोककवि पं. हरिराम द्विवेदी 'हरि भइया' तो बस इतने से ही खुश हैं कि नए बच्चे भी अपने रीति-रिवाजों की ओर मुडऩे लगे हैं, नए अंदाज में ही सही अपनी माटी से जुडऩे लगे हैं। उनका कहना है भरत मिलाप हो या नाग नथैया, अक्षय नवमी हो या गंगा पुजइया, इन सबको समझने-समझाने की ये कोशिशें उम्मीद के दीये जलाते हैं। नई पीड़ी की 'सोच' को ले कर अक्सर ही व्यक्त की जाने वाली शंकाओं को धता बताती हैं।