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यहां लगता है सबसे बड़ा गधों और खच्चरों का तीन दिनों का अनोखा मेला, विदेशों तक से आते हैं खरीदार

बिल्थरारोड के सोनाडीह में इन दिनों लगा है गधों व खच्चरों का देश का सबसे बड़ा मेला लगा हुआ है जहां महज तीन दिन में करोड़ों का कारोबार होता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 07:36 PM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 08:55 AM (IST)
यहां लगता है सबसे बड़ा गधों और खच्चरों का तीन दिनों का अनोखा मेला, विदेशों तक से आते हैं खरीदार
यहां लगता है सबसे बड़ा गधों और खच्चरों का तीन दिनों का अनोखा मेला, विदेशों तक से आते हैं खरीदार

बलिया, जेएनएन। जनाब, गधे भी काम के होते हैं और इनका भी लगता है करोड़ों का बाजार। जी हां, बिल्थरारोड के सोनाडीह में इन दिनों लगा है गधों व खच्चरों का देश का सबसे बड़ा मेला लगा हुआ है, जहां महज तीन दिन में करोड़ों का कारोबार होता है। इसमें शामिल होते हैं लखनऊ, बाराबंकी, गोरखपुर, मऊ, आजमगढ़, देवरिया के अलावा बिहार व नेपाल तक के खरीददार। इन दिनों व्यापारी करीब एक हजार की संख्या में गदहा व खच्चर बेचने को पहुंच चुके हैं। अन्य व्यापारियों के आने का क्रम अभी तक जारी है। 

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मजे की बात यह है कि इस मेला की सुरक्षा व मेला संचालन के लिए शासन-प्रशासन की ओर से न तो व्यवस्था होती है और न ही यहां व्यापारियों के रहने के लिए किसी तरह की सुविधा ही मुहैया होती है। बावजूद हर साल पितृपक्ष में यहां तीन दिन तक विशाल मेला लगता रहा है। यह मेला शनिवार से शुरु हो गया। मेले में हर साल नेपाल व लखनऊ से एक बड़े कारोबारी भी आते है, जो खच्चर का छोटा बच्चा लेकर आते है और इसकी बिक्री कर बड़ा खच्चर खरीदकर ले जाते है। मेले में एक खच्चर व गदहे की कीमत उसके साइज व क्वालिटी के हिसाब से 30 हजार से एक लाख तक होता है। मेले में यहां खरीददारों व बेचने वालों से स्थानीय स्तर पर सुविधा शुल्क की वसूली भी खूब होती है। इसे लेकर अक्सर किचकिच भी होता रहता है।

जिले में वैसे देश का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला ददरी भी इसी जिले में आयोजित होता है। मगर गधों और खच्‍चरों के लिए अतिरिक्‍त मेला यह पितृपक्ष के दौरान आयोजित होता है। मेले से जुडे़ लोग बताते हैं कि देश में यह अपनी तरह का एकमात्र पशु मेला है जहां सिर्फ गधे और खच्‍चरों का कारोबार होता है। इस मेले में आने का कारोबारी वर्ष भर तैयारी करते हैं। अधिकतर गधों और खच्‍चरों के खरीदार ईंट कारोबार से जुडे लोग होते हैं। इसके अलावा इनसे बोझा ढोने का काम लेने वालों का भी तीन दिनों तक जमावड़ा होता है।


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