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World Water Day 2022 :आठ डार्क जोन हैं पूर्वांचल के 10 जिलों में, बढ़ रहा जलदोहन खतरनाक

पूर्वांचल के वाराणसी आजमगढ़ और जौनपुर मंडलों में डार्क जोन सिमटकर अब मात्र आठ ही रह गए हैं। हमें इसे शून्य तक ले जाना होगा। क्योंकि बचाएंगे जल तभी बचेगा कल। जल्द ही यह भी डार्क जोन से बाहर हो जाएंगे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 21 Mar 2022 10:30 PM (IST)Updated: Mon, 21 Mar 2022 10:30 PM (IST)
World Water Day 2022 :आठ डार्क जोन हैं पूर्वांचल के 10 जिलों में, बढ़ रहा जलदोहन खतरनाक
विश्व जल दिवस 2022 : बचाएं जल ताकि बचा रहे कल

वाराणसी, जागरण संवाददाता। शताब्दियों से भूजल हमारे अस्तित्व का आधार रहा है। हर साल धरती पर बारिश के रूप में इतना पानी बरस जाता है कि उससे कई पृथ्वी के लोगों की प्यास और जल जरूरतें पूरी की जा सकती हैं। लेकिन हम लोगों ने इस संसाधन का इतना बेहिसाब दोहन किया कि अब भूजल संकट उत्पन्न हो गया। ज्यादातर जलस्रोतों जैसे- ताल, तलैया, पोखर, झील और छोटी नदियों का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है। सकारात्मक पक्ष यह है कि पूर्वांचल के वाराणसी, आजमगढ़ और जौनपुर मंडलों में डार्क जोन सिमटकर अब मात्र आठ ही रह गए हैं। हमें इसे शून्य तक ले जाना होगा। क्योंकि बचाएंगे जल तभी बचेगा कल।

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वाराणसी

- डार्क जोन - 03 - वाराणसी सिटी, हरहुआ व आराजीलाइन।

- सेमी क्रिटिकल ब्लाक- बड़ागांव, चिरईगांव, काशी विद्यापीठ, पिंडरा व सेवापुरी।

- औसत वर्तमान भूजल स्तर 8.66 मीटर है।

आजमगढ़

- डार्क जोन - 00

- जिले के 22 में सात ब्लाक सेमी क्रिटिकल - अतरौलिया, कोयलसा, अहरौला, पल्हनी, सठियांव, पल्हना व तरवां।

- जिले का औसत वर्तमान भूजल स्तर -

- मानसून के बाद - 1.23 मीटर।

- मानसून से पहले - 4.62 मीटर।

मीरजापुर

- डार्क जोन - 03- विकास खंड मझवां, सीखड़, कोन

- जिले का औसत वर्तमान भूजल स्तर -

प्री मानसून - 10.54

पोस्ट मानसून - 7.09

गाजीपुर

- डार्क जोन - 00

- जिले का औसत भूजल स्तर- 4.73  मीटर

- भूगर्भ जल विभाग के मुताबिक जिले में 16 ब्लाकों में पहले तीन ब्लाक सदर, मनिहारी व मुहम्मदाबाद डार्क जोन में थे। जल संरक्षण के प्रयासों से तीन साल पहले जिले में डार्क जोन खत्म हो गए हैं।

चंदौली

- डार्क जोन - 00

- जिले का औसत वर्तमान भूजल स्तर- 12 मीटर

सोनभद्र

- डार्क जोन - 00

- सेमी क्रिटिकल - नगवां, दुद्धी

- जिले का औसत वर्तमान भूजल स्तर- 4.8 मीटर

मऊ

- डार्क जोन - 00

- जिले के सभी गांवों में पानी की उपलब्धता 4 से 6 मीटर पर है।

- जिले का औसत वर्तमान भूजल स्तर- 6 मीटर

जौनपुर

- डार्क जोन- 02 - बदलापुर, महराजगंज।

- जिले का औसत वर्तमान भूजल स्तर - 8 मीटर।

बोरिंग पर रोक और तालाबों से सुधरा भूजल स्तर

भू-गर्भ जल विभाग के 31 जनवरी 2022 को आए सर्वे में अब जनपद में मात्र दो बदलापुर व महाराजगंज ब्लाक ही डार्क जोन में रह गए हैं। पहले जिले के नौ ब्लाक डार्क जोन में रहे। बोरिंग पर रोक, बारिश के जल के संरक्षण को लेकर तालाबों की खोदाई व चेकडैम के निर्माण से सात ब्लाकों का जल स्तर सुधर गया है। बचे दो ब्लाकों में जल संरक्षण को लेकर तेजी से काम हो रहा है। जल्द ही यह भी डार्क जोन से बाहर हो जाएंगे।

- एनबी सिंह, सहायक अभियंता, लघु सिंचाई विभाग, जौनपुर।

भदोही

- डार्क जोन - 00

- जिलले का औसत वर्तमान भूजल स्तर- 10.80 मीटर

बलिया

- डार्क जोन - 00

- 6 से 8 मीटर पर है जिले के सभी गांवों में पानी की उपलब्धता

- 2018 तक रसड़ा तहसील के गांव डार्क जोन में थे। जल की उपलब्धता 12 मीटर पर थी।

- 8 मीटर पर जल की उपलब्धता है अब रसड़ा में भी।

जलस्तर ऊपर, लेकिन आर्सेनिक से खतरे में जान

लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल के नोडल अधिकारी एसएस यादव ने बताया कि बीते वर्षों में भूमि संरक्षण, मनरेगा और लघु सिंचाई विभाग के संयक्त प्रयास से वर्षा जल सहजने के लिए किसानों के खेतों में मेड़ बनाए गए हैं। सैकड़ों तलाबों का निर्माण हुआ है। उसी का नतीजा है कि जिले का जलस्तर ठीक है। वैसे जलस्तर यहां जरूर ऊपर है, लेकिन वह पीने लायक कतई नहीं है। आर्सेनिक और फ्लोराइड की समस्या है। जिले में पांच सौ से अधिक गांव समस्या से ग्रस्त हैं।

(सभी आंकड़े भूगर्भ जल विभाग के अनुसार)

बढ़ रहा जलदोहन खतरनाक

- बढ़ती जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता कम होते जाने के साथ ही भूजल का दोहन भी बढ़ा।

- पहले तालाब बहुत होते थे जिनकी परंपरा अब लगभग समाप्त हो चुकी है। इन तालाबों का जल भूगर्भ में समाहित होकर भूजल को संवद्धिर्ïत करता था।

सिंचाई में भी रोक सकते हैं पानी का अपव्यय

खेती-किसानी में पानी के अपव्यय को बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति अपनाकर रोका जा सकता है। इस विधि से सिंचाई करने से पानी सीधा पौधों की जड़ तक पहुंचता है और 70 प्रतिशत पानी का अपव्यय रोका जा सकता है। इसके अलावा फव्वारा सिंचाई विधि भी अच्छा विकल्प है। खेतों में डिग्गी बनाकर बरसात के पानी को इक_ा किया जा सकता है।


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