World Water Day 2021 : इस मानसून बीएचयू का दक्षिणी कैंपस विंध्य के व्यर्थ जल को करेगा संरक्षित
मीरजापुर में विंध्य पर्वत का जलरहित क्षेत्र बरकछा इस साल वर्षा जल से सराबोर हो सकेगा। बीएचयू के दक्षिणी परिसर में आगामी मानसून में बारिश की एक-एक बूंद यहां बनाए गए सात प्राकृतिक चेक डैम और तालाबों में संरक्षित की जाएगी।
वाराणसी [हिमांशु अस्थाना] । मीरजापुर में विंध्य पर्वत का जलरहित क्षेत्र बरकछा (बीएचयू का राजीव गांधी दक्षिणी परिसर) इस साल वर्षा जल से सराबोर हो सकेगा। यहां के सूख चुके करीब एक हजार हेक्टेयर खेतों को सिंचाई योग्य पानी और प्यासे भूगर्भ को जल से लबालब किया जाएगा। बीएचयू के दक्षिणी परिसर में आगामी मानसून में बारिश की एक-एक बूंद यहां बनाए गए सात प्राकृतिक चेक डैम और तालाबों में संरक्षित की जाएगी। करीब 15 किलोमीटर लंबाई में फैले इस क्षेत्र में साठ लाख लीटर से ज्यादा जल संगृहीत किया जा सकता है।
जल प्रबंधन की यह योजना इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट नमूना प्रस्तुत कर रही है। दरअसल, विंध्य पहाड़ की ढलान की ही ओर बीएचयू द्वारा सात चेक डैम व तालाबों की शृंखला तैयार की गई है। हर वर्ष बारिश का पूरा पानी जो पहाड़ की ढलान से बहकर नीचे व्यर्थ हो जाता था, वह अब इन बांधों के सहारे परिसर में संचित रखा जा सकेगा। इस पूरे 15-20 किलोमीटर के क्षेत्र में एक हजार मीटर नीचे तक भूगर्भ का जल नहीं मिलता था। अब ऐसी उम्मीद है कि भूगर्भ-जल का स्तर थोड़ा ऊपर उठेगा। वर्तमान में बीएचयू द्वारा पहाड़ के पीछे बह रही खजुरी नदी से लिफ्ट कर पीने योग्य पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।
आसपास के गांवों और खेतों तक पहुंचेगा पानी : सातों चेकडैम प्रोजेक्ट की देखरेख कर रहे डा. राजेश कुमार ने बताया कि विगत दो साल में कार्य में तेजी लाते हुए सातों बांध तैयार किए गए। यहां पर जल प्रबंधन की बेहतर तकनीक इस्तेमाल की गई है। इसमें एक निश्चित ढलान का अनुसरण करते हुए जल आगे की ओर बढ़ेगा और बांध के रास्ते तालाब में संगृहीत हो जाएगा। एक तालाब के भर जाने के बाद बांध के रास्ते पानी दूसरे तालाब में स्वत: ही पहुंच जाएगा। उधर, गांवों तक जल की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए राजीव गांधी परिसर के मृदा वैज्ञानिक डा. आशीष लतारे के नेतृत्व में परिसर के बाहर गांव में दो तालाब तैयार किए जा रहे हैं।
मछली पालन भी कर सकेंगे ग्रामीण :
डा. राजेश कुमार के अनुसार ऐसी व्यवस्था की गई है कि हर तालाब अपने क्षेत्र के आसपास मौजूद खेतों को सिंचाई के लिए जल उपलब्ध करा सके। इसके अतिरिक्त करीब 15 किलोमीटर के क्षेत्र में इकटठा हुए जल में मछली-पालन के लिए ग्रामीणों को मौका दिया जाएगा, जिससे आसपास के लोगों को रोजगार व उद्यम का जरिया मिल सके।
यहां बनाए गए बांध और तालाब बहु उद्देशीय उपयोग के हैं
यहां बनाए गए बांध और तालाब बहु उद्देशीय उपयोग के हैं। मछली पालन, ङ्क्षसचाई, ङ्क्षसघाड़ा उत्पादन, जैव-विविधता और बागवानी आदि में इनका उपयोग किया जाएगा। सातों बांधों के शुरू हो जाने से यह क्षेत्र जैव विविधता के रूप में विकसित हो सकेगा। यदि इससे जमीन के नीचे पानी का जलस्तर बढ़ गया तो इससे आसपास के हजारों परिवारों को भी पानी मिलेगा। - प्रो. रमा देवी, प्रोफेसर इंचार्ज, राजीव गांधी दक्षिणी परिसर, बीएचयू।