विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस : मोबाइल के अधिक प्रयोग से बढ़ रहा अवसाद, स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं
वर्तमान में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना बेहद आवश्यक है। बदलती व्यस्त जीवनशैली व आधुनिकता से व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जनमानस को जागरूक करने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। वर्तमान में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना बेहद आवश्यक है। बदलती, व्यस्त जीवनशैली व आधुनिकता से व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जनमानस को जागरूक करने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इस दिवस पर जन समुदाय को मोबाइल की लत, डिप्रेशन, मादक पदार्थों के सेवन आदि से मानसिक स्वास्थ्य पर पडऩे वाले बुरे प्रभाव आदि के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है। इस वर्ष की थीम 'मेंटल हेल्थ इन एन अनइक्वल वल्र्ड यानि एक असमान दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य है।
मरीजों को मिलेगा निश्शुल्क जांच व परामर्श
अपर निदेशक/मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वीबी सिंह बताते हैं कि इस थीम से आशय है कि मानसिक बीमारी से ग्रसित बहुत लोगों को वह उपचार नहीं मिल पाता जिसके वह हकदार हैं। बताया कि इस बार मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेला के साथ ही विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों के मरीजों की निश्शुल्क जांच करते हुए उन्हें चिकित्सीय परामर्श दिया जाएगा। वहीं 11 अक्टूबर को शहरी सीएचसी शिवपुर में वृहद मानसिक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जाएगा।
मोबाइल व इंटरनेट के अधिक उपयोग से मानसिक परेशानी
उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवन शैली में खासकर युवाओं में मोबाइल व इंटरनेट में बहुत अधिक समय बिताना और उसकी लत लग जाना, मादक पदार्थों का सेवन करने आदि से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। परिस्थिति ऐसी बन जाती हैं कि किसी बीमारी से ग्रसित अधिक परेशान होकर, किसी भी कार्य में अच्छे परिणाम न आने पर, परीक्षा के समय पढ़ाई का बहुत अधिक दबाव, परीक्षा में अच्छे अंक न आने पर युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य असंतुलित हो जाता है। उन्होंने सभी अभिभावकों से अपील की है कि अपने बच्चों को मोबाइल की लत से दूर रखें, घरेलू कामों में शामिल करें, किताबें, साहित्य आदि पढऩे और इंडोर-आउटडोर खेलों के लिए प्रोत्साहित करें।
मानसिक रोग मतलब मिर्गी, नींद न आना भी
गैर संचारी रोग (एनसीडी) कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं एसीएमओ डा. एके गुप्ता ने बताया कि लोगों में जागरूकता बढ़ी है। उनमें यह समझ बनी है कि मानसिक रोग सिर्फ पागलपन नहीं है बल्कि मिर्गी के दौरे पडऩा, नींद न आना या देर से नींद आना, चिंता, घबराहट, उलझन, उल्टा सीधा बोलना, किसी प्रकार का नशा करना आदि भी इसी श्रेणी में आते हैं। सकारात्मक सोच रखने से इन परेशानियों से बचा जा सकता है।
भारत में अधिक हैं मोबाइल यूजर, पड़ रहा बुरा असर
मंडलीय चिकित्सालय में तैनात मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ के मनोचिकित्सक डा. रविंद्र कुशवाहा ने बताया कि यदि किसी भी व्यक्ति में गहन चिंतन, अवसाद, नींद न आना, घबराहट आदि के लक्षण दिखाई देते हैं तो वह एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय कबीरचौरा के कमरा नंबर 10 में संपर्क कर सकता है, जहां प्रत्येक सोमवार, बुधवार और शुक्रवार ओपीडी में मरीज की निश्शुल्क जांच, परामर्श एवं इलाज किया जाता है।