World Malaria Day आयुर्वेदिक औषधि महा सुदर्शन से बीएचयू में कुछ ऐसे होता है मलेरिया का उपचार
मलेरिया में आयुर्वेदिक औषधि काफी कारगर है जिसे महा सुदर्शन कहा जाता है। इसका उल्लेख शास्त्रों में भी वर्णित है।
वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। इस समय विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। वहीं बरसात शुरू होने के बाद मलेरिया का भी प्रकोप शुरू हो जाएगा। हालांकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मलेरिया वाले देशों में कोविड-19 के मरीजों की संख्या अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है। मलेरिया में आयुर्वेदिक औषधि काफी कारगर है, जिसे महा सुदर्शन कहा जाता है। इसका उल्लेख शास्त्रों में भी वर्णित है। यह दवा मुख्य रूप से चिरौता से बनती है। बीएचयू में मुख्य रूप से महा सुदर्शन चूर्ण, घनबटी, गोदंती भष्म व अमृतारिष्ट का उपयोग हो रहा है।
दशकों से हो रहा उपयोग
आयुर्वेद संकाय, बीएचयू के काय चिकित्सा विभाग के प्रो. राजेंद्र प्रसाद बताते हैं कि महा सुदर्शन चूर्ण का उपयोग दशकों से होता आ रहा है। यह चिरैया, कुटकी सहित करीब 50 कंटेट से बनी हुई है। वहीं गोदंती भष्म का प्रयोग बुखार तत्काल उतारने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही गुड़ची से बनी औषधि अमृतारिष्ट का भी अहम योगदान है। यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
बढ़ी स्वच्छता, कम होंगे मरीज
आयुर्वेद संकाय, बीएचयू काय चिकित्सा विभाग के प्रो. जेएस त्रिपाठी बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से स्वच्छता काफी बढ़ी है। ऐसे में इस साल मलेरिया के मामले करीब एक-तिहाई कम होंगे।
इन छह देशों में 85 फीसद मरीज
छह देश ऐसे हैं जो वैश्विक स्तर पर मलेरिया के मरीजों में 85 प्रतिशत भागीदारी रखते हैं, जिनमें नाइजीरिया, कांगो, युगांडा, कोटे डि आइवर, मोजांबिक और नाइजर शामिल हैं।
घटी है मरीजों की संख्या
वल्र्ड मलेरिया रिपोर्ट 2019 के मुताबिक भारत में 2016-17 में 24 फीसद और 2017-19 में 28 फीसद कमी आई है।
दो चरणों में फैलता है संक्रमण
मलेरिया बुखार के पीछे जिम्मेदार प्लाज्मोडियम परजीवी है, जो कि मादा एनीफिलीज मच्छर के काटने से होता है।
चरण-1
जब संक्रमित मादा एनीफिलीज किसी व्यक्ति को काटती है तो उसके लार में मौजूद परजीवी मनुष्य के खून में ट्रांसमिट हो जाता है। इसके 10-12 दिन बाद व्यक्ति में मलेरिया के लक्षण प्रकट हो जाते हैं।
चरण-2
दूसरे चरण में मलेरिया के रोगी को काटने के बाद मादा असंक्रमित एनीफिलीज मच्छर भी संक्रमित हो जाती है और 10-12 दिन बाद उनमें भी यह लक्षण स्पष्ट हो जाता है, जिससे अन्य व्यक्ति संक्रमित होने लगता है।
बीएचयू में आने वाले मलेरिया से पीडि़तों का हाल
12 हजार से अधिक मरीज हर साल पहुंचते हैं बीएचयू
05 हजार से अधिक मरीज आयुर्वेद विभाग में कराते हैं उपचार
30 से 40 हजार हर साल रक्त सैंपल की होती है जांच बीएचयू में
22.8 करोड़ लोग विश्व में 2018 में मलेरिया से पीडि़त हुए
40 प्रतिशत की वर्ष 2000 से 2014 तक दुनिया भर में मलेरिया से मरने वालों में कमी आई है
मलेरिया के लक्षण
-अचानक सर्दी लगना
-कंपकपी संग तेज बुखार आना
-इसके बाद पसीना आकर बुखार
-कमजोरी महसूस होना
-सिरदर्द और उल्टी होना
-मांस-पेशियों में दर्द
रखें ये सावधानियां
-सप्ताह में एक दिन कूलर, टंकियो व मटके का पानी बदलें।
-मच्छरदानी, मार्टिन, ओडोमास का उपयोग करें, खिड़की के बाहर जालियां लगाएंं।
-शरीर का अधिकांश भाग ढक कर रखें।
-घरों के अंदर डीटीसी जैसी कीटनाशकों का छिड़काव।
-गड्ढों, नालियों, खाली डिब्बे व टायर ट्यूब में पानी न जमने दें।