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विश्‍व हिंदी दिवस : काशी यूं ही नहीं अविनाशी, सात समंदर पार से आकर 'विदेशी' बन गए हिंदी भाषी

हिंदी की सर्व ग्राह्यता और आकर्षण का ही प्रतिफल है कि सात समंदर पार के लोगों को भी हमारी हिंदी अपनी ओर खींच लेती है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 08:47 AM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 01:47 PM (IST)
विश्‍व हिंदी दिवस : काशी यूं ही नहीं अविनाशी, सात समंदर पार से आकर 'विदेशी' बन गए हिंदी भाषी
विश्‍व हिंदी दिवस : काशी यूं ही नहीं अविनाशी, सात समंदर पार से आकर 'विदेशी' बन गए हिंदी भाषी

वाराणसी [राजेश त्रिपाठी]। हिंदी भाषा की मिठास भारत वासियों को सहज रूप से आकर्षित कर लेती है क्योंकि वह उनकी मातृभाषा है। हिंदी की सर्व ग्राह्यता और आकर्षण का ही प्रतिफल है कि सात समंदर पार के लोगों को भी हमारी हिंदी अपनी ओर खींच लेती है। यह हिंदी की सर्वजनीयता और उसकी मिठास ही है कि हिंदी विदेशों में जहां पढ़ाई जाती है, वही भारत में आने वाले विदेशी भी इसे पूरी शिद्दत के साथ सीखते हैं। उन्हें हिंदी व्याकरण का ज्ञान भले ही न हो लेकिन व्यावहारिकता की कसौटी पर इसे सीख कर न केवल अच्छी हिंदी बोलते हैं बल्कि लिखते भी हैं।

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क्रिस्टोफर (इंग्लैंड) :  पिछले 48 वर्षों से भारत में रह रहे क्रिस्टोफर ने हिंदी भाषा का ज्ञानार्जन स्वयं अध्ययन से किया। हिंदी के प्रति इनके आकर्षण का मुख्य कारण गोस्वामी तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस है। वे मानस को पढऩा चाहते थे, सो हिंदी सीखने का व्रत ले लिया। हिंदी सीखने का आरंभ उन्होंने काशी से ही किया। उन्होंने हिंदी सीखने का अजीब तरीका निकाला। वह था व्यावहारिक ज्ञान। उनके अनुसार, मैं हिंदी अखबारों की हेडिंग पढ़ता था और उसके अर्थ पर लोगों से चर्चा करता था और उसका अध्ययन करता था। मैंने भाषा के व्याकरणिक पक्ष से हटकर व्यावहारिक पक्ष को सीखा। मैंने प्रेमचंद की गोदान और मंत्र जैसी कहानियां पढ़ीं। भारतेंदु हरिश्चद्र की जीवनी पढ़ी। मैं हिंदी कविता और शायरी सुनता हूं। 

डेविड ओ ग्रेडी ( काउटी, आयरलैंड) : लगभग चार वर्षों से काशी में रह रहे हैं। डेविड वर्ष 2009 में मुंबई आए। 2013 में प्रयागराज के कुंभ मेले में भारतीय धर्म की महान वैभवशाली थाती को देखकर हिंदी सीखने की प्रतिज्ञा की। डेविड बताते हैं कि केदारघाट पर हिंदी सीखी। रोज सुबह हिंदी की क्लास करता हूं। हरिश्चंद्र रोड स्थित साईं मां के आश्रम के निर्माण कार्य की देखरेख करते हुए हिंदी सीखना मेरे लिए अद्भुत है। हिंदी ज्ञान की भाषा है। यह सभी को आकर्षित करती है। मैं हिंदी बोल लेता हूं और जब 90 प्रतिशत तक धारा प्रवाह हिंदी बोलने लगूंगा तब हिंदी लिखूंगा और पढूंगा भी। हिंदी के प्रति आकर्षण का मेरा सबसे बड़ा कारण है कि आयरिश भाषा के कुछ शब्द हिंदी में हूबहू मिलते हैं जैसे एक, दो, तीन, चार, पांच। हिंदी के फिर शब्द का अर्थ आयरिश भाषा में आदमी होता है।

 

फाबियोला मारिया (इटली) : हिंदी बहुत अच्छी भाषा है। इटली में तुरीन विश्वविद्यालय की छात्रा हूं। यहां तीन वर्षों से हिंदी पढ़ रही हूं। काशी में मैं इसलिए रहती हूं कि मेरी हिंदी और अच्छी हो रही है। कभी- कभी मुश्किल होती है लेकिन इतनी सरल व मधुर भाषा है कि जल्द लिख-पढ़ लूंगी।

इलियट मिसिक - (अमेरिका) : मैं अमेरिका के पेंसिल विनिया विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र का विद्यार्थी हूं। यहां मैं विस्कोंसिन प्रोग्राम का छात्र हूं। काशी में रहकर हिंदी सीखने का अच्छा मौका मिला है। बहुत ही ज्ञानवर्धक भाषा हिंदी है। मैं इसे इसलिए सीख रहा हूं कि भारतीय ज्ञान- विज्ञान, संस्कृति को समझ सकूं। मैं भारतीयों व भारतीयता को जानना चाहता हूं इसलिए हिंदी सीख रहा हूं।

जेसन बिसूरी - (अमेरिका) : अमेरिका में प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में कार्यरत बिसूरी ने बताया कि मैं दो वर्षों से काशी में रहकर लगातार हिंदी पढ़ रहा हूं। मेरे लिए यह चुनौती पूर्ण भाषा है लेकिन भारत को समझने के लिए हिंदी सीखना जरूरी है और मैं भारत को पूरी तरह से समझना चाहता हूं।


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