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Lockdown in varanasi Day 6 : परदेस भी हुआ बेगाना, कामगारों को नहीं मिला ठिकाना

दिल्ली- मुंबई समेत विभिन्न महानगरों से लौट रहे लोगों की बस एक इच्छा है कि वे अपने घर पहंच जाए।

By Edited By: Published: Mon, 30 Mar 2020 01:42 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2020 10:34 AM (IST)
Lockdown in varanasi Day 6 : परदेस भी हुआ बेगाना, कामगारों को नहीं मिला ठिकाना
Lockdown in varanasi Day 6 : परदेस भी हुआ बेगाना, कामगारों को नहीं मिला ठिकाना

वाराणसी, जेएनएन। दिल्ली- मुंबई समेत विभिन्न महानगरों से लौट रहे लोगों की बस एक ही इच्छा है कि किसी तरह अपने घर पहुंच जाएं। कोई 100 तो कोई 200 किलोमीटर पैदल या विभिन्न साधनों से घर के लिए निकले हैं। सबसे अधिक परेशानी परिवार के साथ निकले लोगों को रही। उन्हें पैदल चलने के साथ बच्चों को गोद में लेकर चलना पड़ रहा है। भूख अलग से मार रही है। रास्ते में कोई दुकान खुली मिली तो बिस्कुट और ब्रेड खरीद ले रहे हैं। शनिवार को बस से विभिन्न जिलों से बनारस पहुंचे सैकड़ों लोगों जिला प्रशासन ने क्वारंटाइन कर दिया। वे जिला प्रशासन से बार-बार अपने घर जाने की गुहार लगा रहे हैं। प्रशासन जांच कराने के साथ उन्हें घर भेजने की तैयारी में जुटा है। रविवार को कई वाहनों से उन्हें रात तक घर भेजा गया। कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन होते ही कंपनियों में काम ठप हो गया। इसमें मजदूरों के साथ ही विभिन्न कंपनियों काम करने वाले घरों की ओर चल दिए। हर व्यक्ति साधन की तलाश में जुटा। जिन्हें साधन नहीं मिला वे पैदल ही चल दिए। -टहलने से मना करने पर लड़ाई बाहर से आए लोगों ने थर्मल स्कैनिंग कराने के बाद मान लिया है कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। वे गांव में सामान्य लोगों की तरह टहल रहे हैं। ग्रामीणों के मना करने पर वे मारपीट पर आमादा हो जा रहे हैं। पूछने पर कहते हैं कि मेरी दो बार थर्मल स्कैनिंग हुई है। उन्हें यह नहीं मालूम कि थर्मल स्कैनिंग कोई जांच नहीं है। उन्हें कम से कम 14 दिन घर में रहना चाहिए। ग्रामीणों के विरोध के बाद भी लोग घरों में नहीं रुक रहे। डरे लोग पुलिस से शिकायत भी कर रहे हैं। पुलिस के समझाने के बाद भी वे फिर गांव में टहलने लग रहे हैं। - संदेह की नजर से देख रहे कोरोना वायरस को लेकर अफरा-तफरी है। सभी एक-दूसरे को संदेह की नजर से देख रहे हैं। दिल्ली, पंजाब, लखनऊ समेत विभिन्न स्थानों से आए लोगों की पिंडरा पीएचसी पर जिला प्रशासन ने थर्मल स्कैनिंग कराई। यहां 200 से अधिक लोगों को क्वारंटाइन किया गया। 130 लोगों को बाबतपुर स्थित आशा मरीन कॉलेज, 30 लोगों को सीएचसी गंगापुर मंगारी और 40 लोगों को पीएचसी पिंडरा में रखा गया। जाच और मोहर लगाने के बाद शाम को उन्हें छोड़ दिया गया। - क्वारंटाइन मजदूरों ने किया हंगामा पिंडरा पीएचसी पर जाचोपरात क्वारंटाइन में बाबतपुर स्थित आशा मरीन कॉलेज में रखे गए मजदूरों ने घर जाने के लिए दोपहर हंगामा शुरू कर दिया। विधायक डॉ. अवधेश सिंह व एडीएम प्रशासन रणविजय सिंह के समझाने के बाद शांत हुए। प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. एचसी मौर्य ने बताया कि सभी को क्वारंटाइन के बाद छोड़ दिया गया। यहां रह रहे शकील ने बताया कि पत्नी गर्भवती है। पेट में दर्द हो रहा था। रात में उपचार किया गया। - मजबूरी में घर आना पड़ा बछाव के मुमताज ने बताया कि मुंबई में निजी कंपनी में मजदूरी करता था। लॉकडाउन होते ही कंपनी में ताला लग गया। मालिक ने बताया कंपनी कब चालू होगा मालूम नहीं। ऐसे में घर आने के सिवाय दूसरा कोई रास्ता नहीं था। - मालिक ने घर जाने को कहा अजगरा के गोविंद राजभर, गोपाल राम, पीर मोहम्मद, आशीष, सुरेंद्र समेत 20 लोग मुंबई से अपने गाव आए हैं। टिसौरा के संवरू प्रजापति व कैलाश प्रजापति नेपाल से आए हैं। बताया कि नेपाल में कपड़े की दुकान में काम करते थे लेकिन दुकान बंद होने के साथ मालिक ने घर जाने के लिए कहा। ऐसे में हम लोग चले आए।

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रास्ते में नहीं हुई थर्मल स्कैनिंग

गाजीपुर के कन्हैया लाल गाजियाबाद में एक केमिकल कंपनी में मजदूरी करते थे। 28 मार्च को आनंद विहार से बस से बनारस आया। पहले तो आनंद विहार तक किसी तरह पहुंचा। बस में बैठा जरूर लेकिन डर लग रहा था। रास्ते में कहीं भी थर्मल स्कैनिंग नहीं हुई। - मोबाइल पर दी जाएगी सूचना बलिया के गोलू गोंड गाजियाबाद में एक प्राइवेट कंपनी में मजदूरी करते थे। कंपनी बंद होने के बाद मालिक ने कहा आप लोग घर जाइए। जब कंपनी खुलेगी तो आप लोगों को मोबाइल पर सूचना दी जाएगी।

दुकानदार ने नहीं दिया उधार

बलिया के श्याम लाल गाजियाबाद में एक प्राइवेट कंपनी में हेल्पर हैं। कंपनी बंद होने के साथ पास के दुकानदार ने उधार देना बंद कर दिया। पैसा भी कम था, ऐसे में घर आने के सिवाय रास्ता नहीं था।

पूर्वांचल के लोगों को भगाया

बलिया के शिवानंद गाजियाबाद में निजी कंपनी में मजदूर हैं। 22 मार्च को काम बंद होने के साथ दिल्ली से पूर्वाचल के लोगों को भगाना शुरू कर दिया। मालिक ने भी कोई सहयोग नहीं किया।

साधन नहीं मिला तो पैदल निकले घर

अरहड़िया (बिहार) के रहने वाले मोहम्मद मुजम्मिल, छोटू, मिथिलेश, अनुज व रंजन नोएडा के एक मॉल में काम करते हैं। पैदल और चोरी-छिपे किसी तरह बनारस पहुंचे। साधन न मिलने पर पैदल घर निकले।


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