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अधर में वरुणा कॉरिडोर का काम, कई बार बढ़ी निर्माण पूरा होने की समय सीमा, 210 करोड़ हो गया खत्म

वरुणा नदी का चैनलाइजेशन कर कॉरिडोर का निर्माण एक ऐसी अनोखी परियोजना है जिसका निर्माण कार्य करीब एक महीने तक करने के बाद डीपीआर बनाया गया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 10:17 AM (IST)Updated: Mon, 02 Dec 2019 08:15 PM (IST)
अधर में वरुणा कॉरिडोर का काम, कई बार बढ़ी निर्माण पूरा होने की समय सीमा, 210 करोड़ हो गया खत्म
अधर में वरुणा कॉरिडोर का काम, कई बार बढ़ी निर्माण पूरा होने की समय सीमा, 210 करोड़ हो गया खत्म

वाराणसी [अशोक सिंह]। वरुणा नदी का चैनलाइजेशन कर कॉरिडोर का निर्माण एक ऐसी अनोखी परियोजना है जिसका निर्माण कार्य करीब एक महीने तक करने के बाद डीपीआर बनाया गया। उसके बाद सरकार द्वारा धन का आवंटन किया गया। इस कारण योजना में देरी की वजह से कॉरिडोर पर व्यय बढऩे का प्रश्न ही नहीं था। इसके बावजूद वरुणा कॉरिडोर के लिए सिंचाई विभाग को मिली 210 करोड़ रुपये की धनराशि खत्म हो गई। कॉरिडोर अधूरा रह गया।

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वरुणा और असि नदी के बीच बसे होने की वजह से बाबा विश्वनाथ की नगरी को वाराणसी कहा जाता है। यह नदी समय के साथ लुप्त होने लगी। लोग दोनों किनारे से पाटकर कब्जा करने लगे थे। 2001 में इसके संरक्षण की बात उठी। 2007 में बसपा की सरकार में 17 करोड़ रुपये भी मिला लेकिन कोई भी काम शुरू नहीं होने की वजह से वापस चला गया। फरवरी 2016 में दैनिक जागरण ने लुप्त होती वरुणा का इतिहास, भूगोल, किसानों के लिए उपयोगिता, नदी की व्यथा आदि को गंभीरता से उठाया।

परिणामस्वरूप वरुणा बचाने की सामाजिक संगठनों में मुहिम चल निकली। तब तत्कालीन कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण की पहल पर कैंटोमेंट में इमिलियाघाट से लेकर सरायमोहाना तक नदी में डे्रजिंग शुरू कर दी गई। इसके बाद सिंचाई विभाग ने योजना का डीपीआर बनाया। उसी के अनुसार तत्कालीन समाजवादी सरकार ने 210 करोड़ रुपये धनराशि आवंटित कर इस योजना को ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में लिया। योजना को पूरा करने के लिए दिसंबर 2016 का समय दिया गया लेकिन आधा काम भी पूरा नहीं हो सका और मात्र कचहरी स्थित शास्त्रीघाट पर माडल कॉरिडोर का विधानसभा चुनाव पूर्व आनन फानन में 2017 में लोकार्पण कर दिया गया। इसके बाद सपा सरकार चली गई और योजना कछुआ की चाल से चलते हुए आज भी अधूरी है। सिंचाई विभाग और धन की मांग कर रहा है।

परियोजना के प्रत्येक प्रस्तावित कार्य अधूरे

वरुणा के तट को पक्का करने के लिए किसी नदी में पहली बार जियो विधि से सुरक्षित करने का कार्य शुरू हुआ जो आज तक पूरा नहीं हुआ। बाद में काम में लगे लोगों ने कुछ जगह पर दूब घास लगाकर इतिश्री कर ली। कई कार्य अभी भी बाकी हैं। नदी की पैमाइश कर 776 अवैध निर्माण चिन्हित किए गए जो नहीं हटाए गए। योजना में नदी का चैनलाइजेशन, दोनों तरफ पाथवे, रेलिंग, पौधरोपण, कुर्सियां लगाने, प्रकाश व्यवस्था और कई घाट बनाने आदि का कार्य किया जाना था। सभी कार्य आज तक अधूरे हैं।

 नदी के दोनों तरफ पाइप डाल कर 14 बड़े और सैकड़ों छोटे नालों को डायवर्ट करने की योजना शुरू की गई। इसे पुराने पुल के पास ले जाकर एसटीपी से जोडऩा था। 210 करोड़ खर्च करने के बावजूद शहर का मलजल सीधे वरुणा में गिर रहा है। भविष्य में जल परिवहन, शौचालय, हरित पट्टी, पार्क आदि का विकास के वादे तो शहर के लोगों के जेहन से गायब हो गए हैं।


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