वाराणसी में कोरोना का असर कम होने से लकड़ी खिलौना के कारोबार ने पकड़ी रफ्तार
वाराणसी में वर्तमान में आइडीपीएस योजना चलाई जा रही है। इसकी कार्यदायी संस्था डीआइसी है। इसके अंतर्गत सभी हैंडीक्राफ्ट जीआइ उत्पाद से जुड़े 2000 लोगों को किट दिया जाएगा। लकड़ी के खिलाना कारोबारी राज कुंदर बताते हैं कि जनवरी से मार्च तक दो महीने का प्रशिक्षण दिया गया।
वाराणसी, जेएनएन। एक साल पहले 30 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को खासकर वाराणसी को लकड़ी के खिलौने का हब बनाने की घोषणा के साथ वाराणसी में इसके कारोबार की जमीन तैयार की गई है। इसके तहत कारीगरों के लिए प्रशिक्षण, डिजाइन प्रोग्राम, साफ्ट स्किल्स प्रशिक्षण समेत डिजाइन वर्कशाप चलाया गया है। नेशनल ट्वायज फेयर कराया गया है। इससे लकड़ी के खिलौने के कारोबार में गति आई है।
वाराणसी में वर्तमान में आइडीपीएस योजना चलाई जा रही है। इसकी कार्यदायी संस्था डीआइसी है। इसके अंतर्गत सभी हैंडीक्राफ्ट जीआइ उत्पाद से जुड़े 2000 लोगों को किट दिया जाएगा। लकड़ी के खिलाना कारोबारी राज कुंदर बताते हैं कि जनवरी से मार्च तक दो महीने का प्रशिक्षण दिया गया। इसमें शामिल सभी कारीगरों को 14400 रुपये दिये गये। उन्होंने बताया कि कारीगरों की बेहतरी और इस कारोबार को बढ़ाने के लिए काम चल रहा है। रा मेटेरियल की स्थापना की जाएगी। इसके लिए जमीन की तलाश की जा रही है।
जिले को एक्सपोर्ट हब भी बनाने की तैयारी है। इससे आने वाले भविष्य में लकड़ी के खिलौने के कारोबार को गति मिलेगी। वहीं गोदावरी सिंह बताते हैं कि हाथ से मूर्ति और दूसरा पेंटिंग करके खिलौना बनाया जाता है। इसका साल भर में पूरा कारोबार 30 कारोबार है। कोरोना काल में तो बंद रहा लेकिन एक बार फिर से कारोबार ने रफ्तार पकड़ी है। प्रधानमंत्री के प्रयास यानी ओडीओपी और सीएम द्वारा मुद्रा लोन दिलाने से कारोबार पर अच्छा असर पड़ा है। इसे बाहर भेजा जाता है। अमेरिका, जापान, मॉरीशस में लकड़ी का खिलौना भेजा जाता है। इसके अतिरिक्त कई और भी देश हैं जहां लकड़ी का खिलौना वाराणसी से भेजा जाता है।
बोले कारोबारी : 10 करोड़ रुपये का सालाना लकडी के खिलौने का कारोबार किया जाता है। कोरोना काल में तो इस कारोबार में घटोत्तरी हुई है। 300 रुपये प्रोग्राम में दिए हैं। वाराणसी में लकड़ी के खिलौने बनाने वाले 5000 कारीगर हैं। इसमें 90 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया। हजारों लोग वर्चुअल फेयर में शामिल हुए। - अब्दुल्लाह, सहायक निदेशक, हस्तशिल्प