सराहनीय कदम : लोक नायक जेपी के गांव सिताबदियारा में महिलाएं तैयार करेंगीं तिरंगा
सबकुछ ठीक रहा तो अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बदौलत ही जेपी के गांव सिताबदियारा में भी राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कार्य इसी साल से शुरू हो जाएगा।
बलिया [लवकुश सिंह]। संपूर्ण क्रांति के प्रणेता लोक नायक जयप्रकाश नारायण का नाम तो आपने सुना ही होगा। देश की राजनीति में जयप्रकाश नारायण के नाम को बहुत से नेता हमेशा प्रयोग में लाते रहते हैं। इनके नाम पर पद पाने के बाद भी भले ही कुछ नहीं किए लेकिन वे खुद जेपी का असल भक्त बताने से कभी पीछे नहीं रहते। लेकिन देश में तीन नाम ऐसे हैं जिन्होंने जेपी के नाम पर कोई ढ़ोंग किए बिना उनके नाम पर उनके गांव सिताबदियारा में ही बहुत कुछ कर दिखाया। वह नाम है पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार। वर्तमान की चर्चा करें तो 25 जून 2015 की ही बात है।
देश के सभी नेता आपातकाल की बरसी पर जेपी के नाम पर अपनी पहचान स्थापित करने में लगे थे लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के मन में कुछ और ही चल रहा था। उन्होंने बिना किसी शोर के कैबिनेट की बैठक में जेपी के पैतृक गांव लाला टोला सिताबदियारा के लिए एक बड़ी घोषणा कर दी। इस सोच के साथ कि जिस तरह जेपी ने देश और विदेश को एक अलग संदेश दिया, उसी तरह उनका पैतृक गांव भी हमेशा देश को एक अलग संदेश हमेशा देता रहे।
तभी लगभग पांच सौ करोड़ की लागत से इस जेपी म्यूज्यिम काम्पलेक्स के निर्माण की घोषणा की और उसी समय से उसका निर्माण भी शुरू हो गया। यह संग्रहालय बिहार सीमा के सिताबदियारा में अब बनकर तैयार भी हो चुका है। अब उसकी इमारत को देखने से ही लग रहा कि यह म्यूज्यिम काम्पलेक्स देश भर में खास होगा। अब इसी स्थान पर राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण भी होगा। अभी तक देश में राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण खादी व विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन द्वारा सर्टिफाइड देश की अकेली ऑथराइज्ड नेशनल फ्लैग मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट के द्वारा किया जाता है। यह कर्नाटक के हुबली शहर के बेंगेरी इलाके में स्थित है और इसे हुबली यूनिट भी कहा जाता है। कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ फेडरेशन (केकेजीएसएस) की स्थापना नवंबर 1957 में हुई थी और इसने 1982 से खादी बनाना शुरू किया था। सबकुछ ठीक रहा तो अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बदौलत ही जेपी के गांव सिताबदियारा में भी राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कार्य इसी साल से शुरू हो जाएगा।
राष्ट्रीय ध्वज के लिए कैबिनेट से भी मिल गई है मंजूरी : मस्त
बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने बताया कि इसी स्थान पर राष्ट्रीय ध्वज निर्माण केंद्र की स्थापना की भी होनी है। इसकी मंजूरी कैबिनेट से मिल गई है। यहां महिलाओं का समूह राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण करेगीं और राष्ट्रीय ध्वज तैयार होने के बाद उसे देश भर में भेजा जाएगा। इसके अलावा संसद के समान कांफ्रेंस हाल भी वहीं पर बना है, जिसमें लगभग 150 वीवीआइपी एक साथ बैठ कर देश के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर सकेंगे। यहां शोध अध्ययन संस्थान की भी स्थापना हो रही है, जिसमें देश भर के शोध करने वाले विद्यार्थी पहुंच कर अपना शोध पूरा कर सकेंगे। प्रतिदिन युवाओं की कक्षाएं संचालित कर उसमें देश भक्ति का पाठ पठाने की भी तैयारी है। अब इसका निर्माण कार्य पूर्ण हो चला है। राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कार्य इसी साल से शुरू कराने की तैयारी है।
सरकारों ने है बांटा, बहुत सी सुविधाएं एक
यूपी-बिहार की सीमा में जेपी के गांव के निवासियों को सरकारों ने भले ही बांट दिया लेकिन संपूर्ण सिताबदियारा के निवासियों का दिल एक है। वजह कि सभी के जमीन, मकान एक दूसरे की सीमा में है। दोनों तरफ की सीमा को चलने के लिए सड़क, बिजली, यातायात की सुविधाएं सब एक है। यही कारण है कि किसी भी आपदा या सामाजिक मुद्दे पर पूरा गांव एक होकर उसका सामना करता है। जेपी और स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय त्योहार में भी सभी आपसी एकता का ही परिचय देते हैं।
आइये जानते हैं तिरंगे की अलग-अलग साइज
जीन्स से भी ज्यादा मजबूत होता है कपड़ा। केवल कॉटन और खादी के बनते हैं झंडे। हाथ से मशीनों व चरखे के जरिए बनाया जाता है धागा। मीटिंग व कॉन्फ्रेंस टेबल के झंडे की साइज-सबसे छोटा 6:4 इंच। वीवीआईपी कारों के लिए झंडे की साइज-9:6 इंच। राष्ट्रपति के वीवीआईपी एयरक्राफ्ट व ट्रेन के लिए साइज-18:12 इंच। कमरों में क्रॉस बार पर दिखने वाले झंडे की साइज-3:2 फीट। बहुत छोटी पब्लिकबिल्डिंग पर लगने वाले झंडे की सइज-5.5:3 फीट। मृत सैनिकों के शवों के लिए झंडे की साइज-6:4 फीट। संसद भवन और मीडियम साइज 9:6 फीट। गन कैरिएज, लाल किले, राष्ट्रपति भवन के लिए साइज-12:8 फीट। बहुत बड़ी बिल्डिंग के लिए सबसे बड़ा साइज-21:14 फीट की होती है।
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