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yearender 2019 : नए साल के लिए वाराणसी से मलेशिया, दुबई और बाली जाने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ी

समाज में पुरुषों के वर्चस्व को महिलाएं हर क्षेत्र में चुनौती दे रहीं हैं रुढि़वादी सोच के घेरे को तोड़ता हुआ महिलाओं का एक और कदम निकला है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 21 Dec 2019 12:55 PM (IST)Updated: Sat, 21 Dec 2019 12:55 PM (IST)
yearender 2019 : नए साल के लिए वाराणसी से मलेशिया, दुबई और बाली जाने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ी
yearender 2019 : नए साल के लिए वाराणसी से मलेशिया, दुबई और बाली जाने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ी

वाराणसी, जेएनएन। समाज में पुरुषों के वर्चस्व को महिलाएं हर क्षेत्र में चुनौती दे रहीं हैं। रुढि़वादी सोच के घेरे को तोड़ता हुआ महिलाओं का एक और कदम निकला है। शहर में महिलाओं का कई समूह ऐसा है जो बगैर पारिवारिक सदस्य के विदेश में नव वर्ष का जश्न मनाने जा रहा है। सबसे छोटा ग्रुप छह और सबसे बड़ा ग्रुप 20 महिलाओं का है। महिलाओं ने किटी ग्रुप की स्थापना की। 

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पर्यटन व्यवसाय में दो दशक से जुड़े सुधांशु सक्सेना का कहना है कि महिलाओं में जागरूकता आयी है। वह अपने महिला दोस्तों के साथ क्वालिटी टाइम बिताना चाहती हैं। बनारस से मलेशिया, बाली और दुबई के लिए अच्छी उड़ान कम कीमत पर उपलब्ध हैं। महिलाओं के पति व परिवार के सदस्य पैकेज बनाने में मदद और सलाह दे रहे हैं कि यहां घूमना अधिक बेहतर होगा। यह बता रहे हैं कि इन देशों में इन चीजों की कीमतें भारत की अपेक्षा कम है। एयरपोर्ट पर ड्यूटी फ्री दुकानों पर कौन सा सामान अच्छा मिलता है। वह अपने साथ कितनी कीमत का सामान ला सकती हैं। मलेशिया के लिए तो चार रात और पांच दिन का पैकेज 25 हजार रुपये से शुरू होता है। इसमें विमान और होटल का किराया शामिल है। मलेशिया और दुबई का वीजा एक सप्ताह के अंदर मिल जाता है। जबकि इंडोनेशिया का वीजा ऑन एराइवल मिलता है। 

दूसरी ओर पुरुषों की संख्या थाइलैंड जाकर नया वर्ष मनाने की तैयारी में है। यहां इस समय वीजा ऑन एराइवल मुफ्त है। यहां का पैकेज 30 हजार रुपये से शुरू है। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार पूर्वांचल के लोगों का विदेश में नया साल मनाने वालों की संख्या में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 

- हम महिलाओं को विदेश में खरीदारी करने का अधिक समय मिलता है। कोई टोकने वाला नहीं होता है कि जल्दी करो। खाने को जहां पर अच्छा मिलता है, वहीं पर खा लेते हैं। परिवार के साथ जाने पर यह सुनने को मिलता है कि ये मत करो वो मत करो। लेकिन, महिलाओं के गु्रप में पूरी आजादी रहती है। मन में जो आए वो खाओ और पीओ। -डा. रूबी शाह, रविंद्रपुरी, वाराणसी।


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