जब स्वयं भगवान शिव जीव के पास आकर देते हैं रामनाम का तारक मंत्र : नारायणानंद
वाराणसी के रामेश्वर मठ में बुधवार को स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी महाराज ने गुरु की महिमा के बारे में बताया।
वाराणसी, (जेएनएन) । अस्सी स्थित रामेश्वर मठ में बुधवार को श्री काशी धर्म पीठाधीश्वर स्वामी नारायणानंद तीर्थ जी महाराज के गुरु ब्रम्हलीन स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज की पुण्य स्मृति में आध्यात्मिक सत्संग एवं समष्टि भंडारे का भव्य आयोजन हुआ। इस मौके पर स्वामी नारायणानंद तीर्थ महाराज ने स्वामी अच्युतानंद तीर्थ के तैलचित्र पर माल्यार्पण किया। इसके बाद चारों वेद के मंगलाचरण से समारोह का शुभारंभ हुआ। अयोध्या, मथुरा, वृंदावन, हरिद्वार, मध्यप्रदेश सहित देश के कोने-कोने से आए शिष्यों ने स्वामी नारायणानंद तीर्थ महाराज की चरण पादुका का पूजन किया।
आध्यात्मिक सत्संग को संबोधित करते हुए पं. आत्मानंद चतुर्वेदी ने कहा कि काशी ज्ञान का खान है लेकिन यहा ज्ञान उन्हीं को मिलता है जिस पर गुरु व बाबा विश्वनाथ की कृपा होती है। काशी जीवन को संवारने के साथ-साथ जीवन से मुक्ति भी प्रदान करती है। दंडी स्वामी ओमानंद तीर्थ ने कहा कि बिना गुरु के ज्ञान मिलना असंभव है। अध्यात्म सत्संग को संबोधित करते हुए स्वामी नारायणानंद तीर्थ ने कहा की जीव की बिना ज्ञान के मुक्ति नहीं मिलती है। काशी में जीव को मरने पर जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है, लेकिन तब ही मिलती है जब स्वंय भगवान शिव जीव के पास आकर रामनाम का तारक मंत्र देते है, जिससे जीव के अंदर ज्ञान आता है और फिर जीव मुक्त होता, बिना ज्ञान के मुक्ति संभव नहीं है और ज्ञान बिना गुरु के नहीं मिलेगा, इसलिए जीव को सबसे पहले गुरू से ज्ञान की शिक्षा लेनी होगी। जीव को जब ज्ञान मिल जाएगा तो वह अपने आप मुक्त हो जाएगा। इस मौके पर अतिथियों व विद्धानों का सम्मान लखन स्वरूप ब्रम्हचारी जी महाराज ने किया। संगोष्ठी का संचालन काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. राम नारायण द्विवेदी ने किया।
इस अवसर पर पिछले महीने उज्जैन में महर्षि सादीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित वेद अंत्याक्षरी में स्वामी नारायणानंद तीर्थ वेद विद्यालय के छात्रों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त किया था, का बुधवार महाराज जी के हाथों प्रमाण पत्र व नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इसके पश्चात मठ में दंडी स्वामियों को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया, इसके पश्चात भव्य समिष्ठी भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। समारोह का संयोजन लखन स्वरूप ब्रम्हचारी जी ने महाराज, संचालन प्रो. रामनारायण द्विवेदी व धन्यवाद स्वामी नारायणानंद तीर्थ वेद विद्यालय के प्राचार्य डा. जयंतपति त्रिपाठी ने दिया। रामयश मिश्र, नगवा पार्षद डा. रवींद्र सिंह, डा. एल त्रिवेदी, छंटू यादव आदि थे।