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मंत्रालय के निर्देश पर रेल अस्पतालों में दौड़ेंगी ‘वाइफाइ तरंगे’, खुफिया कैमरों से निगरानी

अस्पताल में वाइफाइ होने से चिकित्सक विशेषज्ञों से संवाद करेंगे तो जिम्मेदार सीसीटीवी कैमरे के जरिए सुरक्षा, सफाई समेत पल-पल की गतिविधियों पर नजर रख सकेंगे।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 09:51 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 09:00 AM (IST)
मंत्रालय के निर्देश पर रेल अस्पतालों में दौड़ेंगी ‘वाइफाइ तरंगे’, खुफिया कैमरों से निगरानी
मंत्रालय के निर्देश पर रेल अस्पतालों में दौड़ेंगी ‘वाइफाइ तरंगे’, खुफिया कैमरों से निगरानी

चंदौली [राकेश श्रीवास्तव] : रेल अस्पतालों में ‘वाइफाइ तरंगे’ दौड़ेंगी। खुफिया कैमरों के जरिए जिम्मेदार पल-पल की निगरानी रख सकेंगे। नई व्यवस्था लागू करने के पीछे रेल अस्पतालों को कर्मचारियों के लिए मुफीद बनाने की रणनीति है। अस्पताल में वाइफाइ होने से चिकित्सक विशेषज्ञों से संवाद करेंगे तो जिम्मेदार सीसीटीवी कैमरे के जरिए सुरक्षा, सफाई समेत पल-पल की गतिविधियों पर नजर रख सकेंगे। मंत्रालय के निर्देश पर रेलवे बोर्ड ने 17 जोन के सैकड़ों अस्पतालों को 31 अक्टूबर तक नई सुविधा से सुसज्जित करने को कहा है। 

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यूं लाभकारी होंगी वाइफाई तरंगे 

रेलवे के पास उच्चीकृत अस्पतालों को एक लंबा चेन है। मसलन हेल्थ यूनिट, उच्चीकृत अस्पताल, मंडलीय अस्पताल, सेंट्रल अस्पताल के बाद महानगरों में आयुर्विज्ञान सरीखे अस्पताल। मंडलीय अस्पतालों के चिकित्सक मरीजों को सेंट्रल अस्पताल या फिर महानगरों में सर्व सुविधाओं वाले मेडिकल संस्थानों के विशेषज्ञों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बातचीत कर मुश्किलों का हल ढूंढ़ सकते हैं। मरीज, चिकित्सक से भी संवाद होगा, जिससे तीमारदार दौड़भाग करने से बच जाएंगे। वर्तमान में मरीज को रेफर करने का ही एक विकल्प है।  

खुफिया कैमरे मील का पत्थर साबित होंगे 

यूं तो सीसीटीवी कैमरे लगाने के पीछे फिलहाल सफाई एवं सुरक्षा की निगरानी ही अहम हैं। मसलन, अधिकारी अस्पताल की स्थिति पल-पल देखेंगे तो मैन पॉवर का खुद-ब-खुद शतप्रतिशत इस्तेमाल होने लगेगा। दरअसल, मंडलीय अस्पताल में कर्मचारियों की चक्रानुक्रम में ड्यूटी लगती है। कर्मचारियों के निगरानी की आनलाइन सुविधा न होने से इमरजेंसी ड्यूटी के कर्मियों का भी आपात काल में इंतजार करना पड़ता है। सीसीटीवी कैमरे लगे होने पर चिकित्सक, कर्मचारियों की निर्धारित अवधि में मौजूदगी मजबूरी बन जाएगी। 

थमेंगे निजीकरण के कदम, 3.68 लाख कर्मियों को लाभ

हाल के दिनों में रेलवे के हेल्थ यूनिटों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। रेलकर्मी मंडलीय अस्पताल या फिर सेंट्रल अस्पतालों को रुख करते हैं। रेलवे बोर्ड के दो बदलाव से रेलकर्मचारी फिर से अपने अस्पतालों की ओर लौटेंगे। दरअसल, अस्पताल प्रशासन से मरीज, तीमारदार को बेहतर इलाज, सफाई, सुरक्षा की दरकार होती है, जो मिलने लगेगी। हाल के कुछ सालों से रेलवे सेहत के क्षेत्र में सिस्टम मजबूत करने के बजाए निजीकरण की दिशा में कदम बढ़ाने लगा था।


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