वाराणसी हादसाः कौन बचा रहा है सेतु निगम के एमडी राजन मित्तल को
शासन की जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद शुक्रवार को दो और अभियंताओं को तो निलंबित कर दिया गया लेकिन मित्तल पर मेहरबानी बरकरार है।
लखनऊ (जेएनएन)। वाराणसी में पुल हादसे के बाद सेतु निगम के एमडी राजन मित्तल के खिलाफ की गई कार्रवाई महज नजरों का धोखा है। हकीकत यह है कि वह सेतु निगम से भी बड़ी निर्माण संस्था राजकीय निर्माण निगम के मुखिया पद का दायित्व अभी भी संभाल रहे हैं। शासन की जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद शुक्रवार को दो और अभियंताओं को तो निलंबित कर दिया गया लेकिन मित्तल पर मेहरबानी बरकरार है। समिति ने पुल हादसे में राजन समेत सात अभियंताओं को दोषी माना है जिसमें अबतक छह निलंबित हो चुके हैं। सिर्फ राजन के खिलाफ ही कार्रवाई नहीं हुई है। माना जा रहा है कि भाजपा शासन में गहरी पैठ के चलते मित्तल को बचाने की कोशिशें की जा रही हैं।
राजन मित्तल की सत्ता में पकड़ हमेशा ही मजबूत रही है। सपा सरकार में भी वह सेतु निगम के एमडी का पद हथियाने में सफल रहे थे भाजपा शासन में इस पद के साथ ही राजकीय निर्माण निगम के एमडी का प्रभार दे दिया गया। इसके लिए कई सीनियरों की अनदेखी भी की गई। सपा शासन में राजन मित्तल का कार्यकाल एक जून 2014 से लेकर 20 अगस्त 2015 तक रहा है। भाजपा सरकार बनने के बाद उन्होंने 11 जुलाई 2017 को फिर से निगम का एमडी पद हासिल कर लिया। बीते 21 अप्रैल को उन्हें राजकीय निर्माण निगम का अतिरिक्त प्रभार भी दे दिया गया। राजकीय निर्माण निगम का एमडी प्रमुख अभियंता स्तर का पद है जबकि वह चीफ इंजीनियर लेवल-2 स्तर के अभियंता हैं।
वस्तुत: राजकीय निर्माण निगम सेतु निगम से भी बड़ा विभाग है, इसीलिए इसका मुखिया बनने के लिए सीनियर अभियंताओं में जोड़-तोड़ चला करती है। निगम के कामों पर अक्सर दाग भी लगते रहे। सपा-बसपा शासन में जहां कई निर्माण कार्यों को लेकर सीएजी ने उंगलियां उठाई थीं, वहीं कई कामों की जांच आज भी चल रही है।
राजकीय निर्माण निगम का कार्यक्षेत्र कितना व्यापक है, इसे इससे भी समझा जा सकता है कि वर्तमान में उसके पास प्रदेश व देश के 14 राज्यों में 1800 से अधिक प्रोजेक्ट हैैं। इनमें 100 करोड़ रुपये से अधिक के 60 काम हैं, जबकि 50 करोड़ से अधिक कामों की संख्या 108 है। वर्तमान में राजकीय निर्माण निगम लगभग 11, 500 करोड़ रुपये के काम करा रहा है।
सेतु निगम की साख पर सवाल
सेतु निगम अपने कार्य की उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है लेकिन वाराणसी हादसे ने उसकी साख पर सवाल खड़े किए हैं। कभी इस निगम की इतनी साख थी कि वह भारत के बाहर तक के काम लेता था। प्रदेश के बाहर के तो कई काम सेतु निगम ने कराये। लेकिन धीरे-धीरे बाहर के काम कम होते गए।
सेतु निगम इस समय प्रदेश में 183 काम करा रहा है। इनमें 83 रेलवे ओवर ब्रिज हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पूर्व में निगम का ध्यान बड़े सेतु पर अधिक होता था। अब प्रदेश में उसके पास पर्याप्त काम हैैं इसलिए बाहर के कामों पर ध्यान केंद्रित नहीं किया जा रहा है। स्टाफ की संख्या भी लगभग आधी रह गई है। इसका भी क्षमता पर असर हुआ है। स्टाफ की कमी का हाल यह है कि सहायक अभियंताओं के 240 पदों में सिर्फ 121 ही काम कर रहे हैैं।