बुनकरों की मांगों को प्रदेश सरकार ने स्वीकारा तो कांग्रेस ने कहा संघर्षों की जीत
मैदागिन में कांग्रेस कार्यालय पर बुनकरों के पक्ष में हुए सरकार के फैसले के उपरांत बुनकर साथियों के साथ बैठक के बाद प्रेस वार्ता में इसे कांग्रेस के संघर्षों की जीत बताया गया।
वाराणसी, जेएनएन। मैदागिन में कांग्रेस कार्यालय पर बुनकरों के पक्ष में हुए सरकार के फैसले के उपरांत बुनकर साथियों के साथ बैठक के बाद प्रेस वार्ता में इसे कांग्रेस के संघर्षों की जीत बताया गया। महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे व बुनकर नेता व पार्षद रमजान अली ने सयुक्त रूप से इस दौरान प्रेस वार्ता को संबोधित किया। बुनकरों के कुछ मुद्दों को सरकार द्वारा मान लिये जाने पर संतोष व्यक्त किया है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से लेकर प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू बुनकरों के मुद्दे पर मुखर रहे हैं।
बताया कि मई माह में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि पूरे प्रदेश में एक बड़ी आबादी बुनकरी से जुड़ी हुई है। इस महामारी में उनका पूरा कारोबार चौपट हो गया है। हैंडलूम और इनके कारखाने बंद पड़े हैं। न ही उत्पादन हो रहा है और न कोई बिक्री। इनके ऊपर बैंकों का भारी कर्ज़ है।बिजली का बिल भुगतान करने की स्थिति नहीं है। बुनकरों को तत्काल राहत पहुंचाने की जरूरत है। बुनकरों के बिजली के बिल माफ किया जाएँ और प्रत्येक बुनकर परिवार को प्रतिमाह 12 हजार रुपया क्षतिपूर्ति राशि दिया जाए।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बुनकरों का सवाल सदन में प्रमुखता के साथ उठाया। सिर्फ इतना ही नहीं बुनकरों के सवाल पर बनारस में बैठक में भाग लेने पर सरकार ने उनके समेत कई बड़े नेताओं के ऊपर मुकदमा दर्ज किया। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व तमकुहीराज विधायक अजय कुमार लल्लू ने विधानसभा में नियम 51 के तहत बुनकरों का सवाल प्रमुखता से उठाया था। अजय कुमार लल्लू ने नियम 51 के तहत सवाल उठाते हुए कहा था कि बुनकरों के लिए मांग किया था कि- बुनकरों के बिजली का बिल किसानों की भांति फिक्स किया जाए। प्रति लूम बिजली दर पूर्व की भांति न्यूनतम निर्धारित किया जाए। करघा इकाइयों को अपग्रेड किया जाए। जिससे पूर्वांचल में काटन उत्पादों का निर्माण हो सके।
उन्होंने मांग किया था कि काटन उद्योग के प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह अनुदान देकर साइजिंग प्लान्ट लगाए जाएं।जौनपुर, मगहर, बाराबंकी, अकबरपुर, अमरोहा, मऊ, गाजीपुर के बन्द पड़े करघा मिलों को फिर से शुरू किया जाए।साथ ही साथ वाराणसी, गोरखपुर, टाण्डा, मऊ और सन्तकबीर नगर जैसे बड़े बुनकर क्षेत्रों को इण्डस्ट्रियल एरिया घोषित कर वहां बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। मांग यह भी थी कि करघा उद्योग द्वारा उत्पादित वस्त्रों के लाभदायक मूल्य पर बिक्री हेतु पहले की तरह यूपिका हैण्डलूम कार्पोरेशन को संचालित किया जाए। बुनकरों को रंग, धागा आदि कच्चे माल की खरीद और उत्पाद की बिक्री पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाए और उनके उत्पाद के रखरखाव का समुचित प्रबंध किया जाए। बुनकरों को तकनीकी व कौशल प्रशिक्षण देने के लिए प्रदेश में कम से कम दो सरकारी प्रशिक्षण केन्द्र खोले जाएं।
बुनकर हित के लिए कांग्रेस शासन में बनाये गये राम शाह कमीशन की रिपोर्ट को लागू किया जाए। बुनकरों के आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन की समस्याओं को दूर करने के लिए अन्य आयोगों की भांति बुनकर आयोग का गठन किया जाए। उन्होंने मांग की कि हथकरघा उद्योग के बेहतरी के लिए ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराये जाने की मांग की थी। जारी बयान में महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे व बुनकर नेता पार्षद रमजान अली ने कहा कि सरकार साझे संघर्ष की वजह से बुनकर भाइयों की फिक्स बिजली की मांग को सरकार ने जुलाई तक स्वीकार कर लिया है। आगे आम सहमति से योजना बनाने का आश्वासन दिया गया है। कांग्रेस बुनकर भाइयों के हर मुद्दे पर संघर्ष करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह संघर्ष तबतक चलेगा जबतक बुनकर भाइयों की हर मांग मान न ली जाए। इस दौरान कांग्रेस महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे, पार्षद व बुनकर नेता रमजान अली, हाजी शमसुल आरफीन, जहीर अहमद, किशन यादव, अश्वनी यादव, इस्तियाक अली, आजाद, विकास पाण्डेय, राधेश्याम पाल आदि उपस्थित रहे।।