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लॉकडाउन में नौकरी छोड़ दोस्‍त के साथ शुरू की स्ट्राबेरी की खेती, सालाना 15 लाख रुपये तक कमाई

वाराणसी में मात्र दो महीने में ही स्‍ट्राबेरी की फसल निकलनी शुरू हो गई। रमेश मिश्रा ने बताया कि इसके लिए उन्होंने महाबलेश्वर पुणे के एक वैज्ञानिक से संपर्क करके वहीं से पौधे लेकर खेती की शुरुआत कर दिए।

By Abhishek sharmaEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 05:39 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 06:08 PM (IST)
लॉकडाउन में नौकरी छोड़ दोस्‍त के साथ शुरू की स्ट्राबेरी की खेती, सालाना 15 लाख रुपये तक कमाई
वाराणसी में मात्र दो महीने में ही स्‍ट्राबेरी की फसल निकलनी शुरू हो गई।

वाराणसी [रवि पांडेय]। कोरोना काल में लॉक डाउन के दौरान लोगों की नौकरी पर संकट आया तो खेती और कामधंधे की तरफ रुख किये। ऐसे ही बनारस के इस शख्‍स की भी कहानी है। परमहंस नगर कंदवा के रहने वाले रमेश मिश्रा बीएचयू के पूर्व छात्र के साथ ही ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी बास्केटबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं। रमेश मिश्रा शहर के प्रतिष्ठित विद्यालय में नौकरी करते थे लेकिन लॉक डाउन के दौरान जब वेतन और नौकरी का संकट आया तो अपने मित्र मदन मोहन और इंटरनेट मीडिया से कुछ अलग करने का तरीका अपनाया और स्ट्राबेरी की खेती के लिए रोहनिया क्षेत्र के अमरा खैरा चक में अपने परिचित की दो एकड़ जमीन 10 साल के लिए लीज पर लेकर अक्टूबर से खेती की शुरुआत कर दिए। मात्र दो महीने में ही उससे फसल निकलना शुरू हो गया। रमेश मिश्रा ने बताया कि इसके लिए उन्होंने महाबलेश्वर पुणे के एक वैज्ञानिक से संपर्क करके वहीं से पौधे लेकर खेती की शुरुआत कर दिए। रमेश मिश्रा ने बताया कि चार महीने की खेती में 15 लाख तक की बचत हो सकती है।

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कामर्शियल और आधुनिक के साथ ही आर्गेनिक खेती पर ध्यान

रमेश मिश्रा और मदन मोहन ने बताया कि कोरोना काल को देखते हुए लोग इम्यूनिटी बढ़ाने और केमिकल फ्री के साथ ही शुद्ध खाने पर ध्यान दिए हैं। भविष्य की संभावना को देखते हुए स्ट्राबेरी के साथ ही पीला खरबूजा और रेड लेडी पपीता के अलावा सब्जी लगाएंगे। इस खेती में 10 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला है। आसपास के किसानों को भी इस तरह की खेती के लिए जागरूक कर रहे हैं।

महाबलेश्वर से मंगाए 16 हजार पौधे 

रमेश मिश्रा ने पहली बार महाबलेश्वर से 16 हजार पौधे मंगाए हैं। एक पौधा 15 रुपये का पड़ा। प्रत्येक पौधे से 900 ग्राम से लेकर 1 किलो से ज्यादा स्ट्राबेरी निकलता है। रमेश मिश्रा ने बताया कि स्ट्राबेरी की खेती में मिट्टी की जांच और पौधों के लिए मित्र राजेश रावत का सहयोग लिए। पहली बार स्ट्राबेरी की खेती के लिए गांव से गोबर लेकर खेत तैयार किये। पानी की बचत के लिए टपक विधि का इस्तेमाल किये। पौधों को कीट से बचाने के लिए गेंदे की भी कुछ खेती और जगह जगह स्टिक पैड का प्रयोग किये हैं।

 

सालाना 15 लाख तक होगी कमाई , 10 से ज्यादा लोगों को मिला रोजगार

रमेश मिश्रा ने बताया कि अक्टूबर से लेकर फरवरी तक यह फसल पूरी हो जाती है। चार महीने की खेती में 15 लाख तक की बचत हो सकती है। अभी 30 से 40 किलो स्ट्राबेरी पैकेट बनाकर मार्केट भेजा जा रहा है। बनारस में 300 रुपये किलो तक बिक रहा है जबकि इसको विदेश भी भेजने की तैयारी है। रमेश मिश्रा ने बताया कि इस खेती से अन्य किसानों को भी लाभ मिल सकता है। खेती के लिए यहांं 10 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही आने वाले समय मे कमाई का जरिया बन सकता है। बाकी समय लिए अन्य खेती पर भी प्रगोग किया जा रहा है।

स्ट्राबेरी की खेती आकर्षण का केन्द्र और किसानों के लिए प्रेरणा

बनारस में स्ट्राबेरी की खेती सुनकर लोग फार्म हाउस देखने परिवार के साथ जाते हैं और सेल्फी तथा फ़ोटो भी लेते हैं। स्ट्राबेरी की खेती आकर्षण का केंद्र बन रही है और साथ ही नई तरह की खेती अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगी।


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