क्या है उभ्भा नरसंहार और खुफिया तंत्र अलर्ट क्यों हो गई है, यहां जानिए एक क्लिक में
सोनभद्र में उभ्भा नरसंहार का एक वर्ष 17 जुलाई को हो रहा है। इस दिन गांव में बरसी मनाए जाने की आशंका है। कोरोना काल में इसको लेकर पुलिस-प्रशासन के साथ ही खुफिया तंत्र अलर्ट है।
सोनभद्र, जेएनएन। उभ्भा नरसंहार का एक वर्ष 17 जुलाई को हो रहा है। इस दिन गांव में बरसी मनाए जाने की आशंका है। आदिवासियों ने गांव में स्मारक बनाए जाने को लेकर मंथन शुरू कर दिया है, जिसको लेकर जिला प्रशासन के माथे पर चिंता की लकीर खींच गई है। बरसी पर बाहर से भी कुछ राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों के लोगों के आने की सूचना है। कोरोना काल में इसको लेकर पुलिस-प्रशासन के साथ ही खुफिया तंत्र अलर्ट है। पल-पल की रिपोर्ट से अधिकारी अवगत हो रहे हैं।
घोरावल तहसील क्षेत्र के उभ्भा गांव में जमीन विवाद को लेकर 17 जुलाई 2019 को गांव के प्रधान व ग्रामीणों में संघर्ष हो गया था। जिसके कारण 11 लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ गई थी। घटना के बाद प्रदेश व देश की राजनीति में उबाल आ गया था। देश के बड़े-बड़े नेताओं का जमावड़ा उभ्भा में लगना शुरू हो गया था। मामले की सरगर्मी यह थी कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दो बार उभ्भा आना पड़ा था। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पीडि़त आदिवासियों को राहत देने के लिए कई बड़े घोषणाएं की। जिसको जिला स्तरीय अधिकारियों ने धीरे-धीरे करके अमलीजामा पहनाया।
किस तरह से अलर्ट है प्रशासन
उभ्भा की बरसी जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे प्रशासनिक अमले की गतिविधि तेज होती जा रही है। 14 जुलाई को जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक ने गांव का दौरा कर ग्रामीणों से बात की। इस दौरान बरसी के दिन किसी तरह का आयोजन न करने की अपील ग्रामीणों से की। इसके पीछ अधिकारियों ने यह हवाला दिया कि वर्तमान समय में कोरोना काल चल रहा है जिसके कारण एकसाथ कई लोगों को एकत्रित नहीं होना चाहिए, वहीं जिले में धारा 144 भी लागू है। खुफिया विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आदिवासी घटना स्थल पर स्मारक बनाने व मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा देने की मांग कर सकते हैं। जिसको लेकर प्रशासनिक गतिविधि तेज कर दिया गया है।
यह था मामला
घोरावल तहसील क्षेत्र के मूर्तिया ग्राम पंचायत के उभ्भा गांव में आदर्श सोसायटी की करीब 1200 बीघा जमीन पर लंबे समय से स्थानीय आदिवासी जोत-कोड़ कर रहे थे। इसी दौरान कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से मूर्तिया के प्रधान यज्ञदत्त ङ्क्षसह ने 120 बीघा जमीन की रजिस्ट्री अपने रिश्तेदारों के नाम करवा ली। रजिस्ट्री की जमीन पर कब्जा लेने के लिए 17 जुलाई 2019 को प्रधान व उसके समर्थकों व आदिवासियों में मारपीट शुरू हो गया। मामला इतना बढ़ गया कि इस घटना में आदिवासियों के पक्ष से 11 लोग मारे गए थे।