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जानिए...क्‍या है काशी विश्‍वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद और वर्तमान स्थिति

कारीडोर निर्माण दौरान काफी प्राचीन मंदिर और शिवलिंग के साथ ही मंदिराें के अवशेष भी मिले हैं। कई लेखकों ने भी काशी विश्‍वनाथ मंदिर की ऐतिहासिकता और प्रमाणिकता के साथ ही मंदिर विध्‍वंस को लेकर लेख और किताबें लिखी हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 03:02 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 11:03 PM (IST)
जानिए...क्‍या है काशी विश्‍वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद और वर्तमान स्थिति
काशी विश्‍वनाथ मंदिर की प्रमाणिकता के साथ ही मंदिर विध्‍वंस को लेकर लेख और किताबें लिखी गई हैं।

वाराणसी, जेएनएन। अयोध्‍या मामले का हल निकलने के साथ ही अब अयोध्‍या में पीएम के द्वारा भूमि पूजन के बाद मंदिर का निर्माण भी शुरू हो चुका है। वहीं काशी विश्‍वनाथ मंदिर का विवाद भी वर्षों पुराना है। इस वर्ष वाराणसी की अदालत में इस प्रकरण के निस्‍तारण को लेकर भी खूब चर्चाएं सोशल मीडिया से लेकर सियासी हलकों में बनी हुई हैं। कुछ माह पूर्व भजपा नेता और अधिवक्‍ता सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने भी काशी विश्‍वनाथ मंदिर क्षेत्र के सर्वेक्षण को लेकर पहल करने की बात कहकर काशी विश्‍वनाथ मंदिर पर भी चर्चा छेड़ दी थी।

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मंदिर के पक्ष में पुरातात्‍विक सर्वेक्षण कराने की मांग की जा रही है ताकि यहां मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर स्थिति स्‍पष्‍ट हो सके। वहीं काशी विश्‍वनाथ कारीडोर निर्माण में निकलने वाले प्राचीन साक्ष्‍यों को भी धरोहर के रूप में सहेजने का क्रम जारी है। कारीडोर निर्माण दौरान काफी प्राचीन मंदिर और शिवलिंग के साथ ही मंदिराें के अवशेष भी मिले हैं। कई लेखकों ने भी काशी विश्‍वनाथ मंदिर की ऐतिहासिकता और प्रमाणिकता के साथ ही मंदिर विध्‍वंस को लेकर लेख और किताबें लिखी हैं।

विवाद की वर्तमान स्थिति

इस समय अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से निगरानी याचिका वाराणसी जिला जज की अदालत में लंबित है। याचिका के अनुसार अधीनस्थ अदालत को सुनवाई का अधिकार नहीं है बल्कि सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ को ही इस मामले में अधिकार है। गुरुवार को इस बाबत अदालत की ओर से निगरानी याचिकाओं की सुनवाई एक साथ 12 नवंबर को करने की जानकारी दी गई है।

1990 के दशक से लंबित है मामला

काशी विश्‍वनाथ मंदिर प्रकरण वर्ष 1991 से लंबित है। इस मामले को लेकर अधीनस्थ न्यायालय के सुनवाई के अधिकार को चुनौती देते हुए दाखिल रिव्‍यू पिटीशन में कहा गया है कि सुनवाई का अधिकार सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ को ही है। प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ से जुड़ा ज्ञानवापी प्रकरण तीन दशक पुराना है।

विवाद का क्षेत्र बना ज्ञानवापी

वाराणसी में काशी विश्‍वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में बनी मस्जिद परिसर में ज्ञानवापी नाम का अति प्राचीन कुआं स्थित है। इसी कुएं के ठीक उत्तर की ओर भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ महादेव का मंदिर मौजूद है। इस मामले में सबसे पहले मुकदमा दायर करने वाले दो वादियों क्रमश: डा. रामरंग शर्मा और पं. सोमनाथ व्यास की मृत्यु हो चुकी है। 1990 के दशक में अयोध्‍या विवाद के दौरान ही यह मामला वाराणसी में शुरू हुआ था। इस दौरान दायर मुकदमे में बताया गया था कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मस्जिद ज्योतिर्लिंग भगवान आदि विश्वेश्वर मंदिर का ही एक अंश है। लिहाजा वहांपर हिंदू आस्थावानों को ही पूजा-पाठ के साथ ही दर्शन और पूजन के साथ निर्माण करने और धार्मिक गतिविधियों का अधिकार है।

पुरातात्‍विक सर्वेक्षण की उठ रही मांग

बीते वर्ष दिसंबर माह में भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की मांग की थी। इसको लेकर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से अदालत में निगरानी संबंधी याचिका दाखिल हुई थी। पुरातात्विक सर्वेक्षक कराने की मांग के बाद दाखिल निगरानी याचिकाओं को लेकर अब सुनवायी चल रही है।


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