मौसम : सुस्त मानसून की बादल कर रहे पूर्वाचल में भरपाई
वाराणसी आते-आते मानसून बीमार पड़ गया है इसलिए उसकी रफ्तार धीमी हो गई है।
वाराणसी : मानसून बीमार पड़ गया है। इस लिए उसकी रफ्तार धीमी हो गई है। काशी आने से पहले ही उसकी हालत बिगड़ जा रही है। यही कारण है कि यहा पर अभी तक मानसून की दस्तक नहीं हुई और लोगों को भीषण गर्मी का ताप झेलना पड़ रहा है। हालाकि प्री मानसूनी बादलों की वजह से काफी राहत है। ऐसे में मानसून को एक संजीवनी की दरकार है, जिससे की उसको ताकत मिल पाए। वैसे यहा पर मानसून के 26 जून तक आने की उम्मीद जताई जा रही है। तेज बारिश के बाद ही यहा पर लोगों को थोड़ी राहत मिलेगी और खेती कार्य में रफ्तार आएगी।
मौसम विज्ञानी प्रो. एसएन पाडेय के अनुसार इस बार मानसून केरल में तो पहले ही आ गया था। इस लिए उम्मीद जताई जा रही थी कि यहा भी 15 जून तक पहुंच जाएगा, लेकिन वह बीच रास्ते में ही धीमा पड़ गया। हालाकि उत्तरी बिहार तक मानसून पहुंच गया था। काशी में पेड़-पौधों की कमी होने के कारण बारिश की भी संभावना भी बहुत कम पड़ रही है। वरना प्री मानसून में पूर्वाचल के कई हिस्सों में भरपूर बारिश हुई है।
प्रो. पाडेय ने बताया कि 50 साल के औसत को देखा जाए तो काशी में 15-20 जून तक मानसून पहुंच जाता है। हा, कई बार लेट भी हुआ है। यह स्थिति वायुमंडल में गड़बड़ी के चलते हुई है। फिर से केरल से मानसून चलेगा और उसकी ताकत भी अच्छी रही तो जल्द ही यहा जाएगा। 26 के बाद भी लेट हुआ होगा भारी नुकसान
कृषि विज्ञान संस्थान, बीएचयू के प्रो. पीके सिंह ने बताया कि फिलहाल मानसून लेट होने से बहुत ज्यादा नुकसान नहीं है। हा, अगर 26 जून के बाद भी मानसून लेट होता है तो 20-25 प्रतिशत तक उपज प्रभावित होगी। बताया कि लंबी अवधि वाली प्रजाति की नर्सरी लग जानी चाहिए थी, लेकिन मानसून की देरी से प्रभावित हो रही है। छोटी और मध्यम अवधि वाली प्रजाति की नर्सरी 20 जनू के बाद ही लगती है। बारिश के बाद नहीं आता मानसून तो होती परेशानी
काय चिकित्सा विभाग, बीएचयू के प्रो. जेएस त्रिपाठी के अनुसार अगर मानसून के पहले एक दो बारिश हो जाती तो स्वास्थ्य के लिए खतरा और बढ़ जाता। नमी के कारण मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ जाता। काशी में बारिश नहीं होने से गर्मी तो झेलनी पड़ रही है, लेकिन फिलहाल किसी बीमारी के प्रकोप का खतरा नहीं है। मानसून आने के बाद कई बीमारियों के पनपने की आशका बढ़ जाएगी।