भदोही में कालीन उत्पादन और तैयारी में मौसम बना बाधक, कोरोना संकमण काल में हुआ काफी नुकसान
कोरोना महामारी के चलते मार्च से ही कालीनों का कामकाज प्रभावित है। अप्रैल व मई में 90 फीसद कालीन कंपनियों में ताले लग गए थे। संक्रमण दर में कमी आने व हालात में सुधार होने के बाद धीरे धीरे काम काज भी पटरी पर आने लगा था।
जागरण संवाददाता, भदोही। लंबे समय से ठप कामकाज पटरी पर आया ही था कि मौसम ने कामगारों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। तीन दिन से रुक- रुक हो रही बारिश व मौसम गंभीर मिजाज के कारण कालीनों का आउटडोर कार्य पुन: ठप हो गए। मौसम की बेरूखी से मजदूरों के साथ-साथ कालीन उद्यमियों की चिंता बढ़ गई है। आर्डर के माल तैयार कराने व फिनिशिंग पैकिंग कराने में जुटे निर्यातक भी मौसम को लेकर परेशान हैं।
कोरोना महामारी के चलते मार्च से ही कालीनों का कामकाज प्रभावित है। अप्रैल व मई में 90 फीसद कालीन कंपनियों में ताले लग गए थे। संक्रमण दर में कमी आने व हालात में सुधार होने के बाद धीरे धीरे काम काज भी पटरी पर आने लगा था। पहले से पैकिंग माल का निर्यात करने के बाद उद्यमी पुराने आर्डर के कालीनों की तेजी के साथ फिनिशिंग व पैकिंग में कराने में जुटे थे। इस बीच बारिश ने किए कराए पर पानी फेर दिया। मैदानों में पानी लगने के कारण जहां टेढ़ा व लेटेक्सिंग का काम बंद हो गया है वहीं धुलाई व रंगाई का कार्य भी बाधित हो गया। वैसे तो मौसम का मिजाज पिछले एक सप्ताह से गंभीर है लेकिन तीन दिन से रुक रुक बारिश हो रही है। इसके कारण आउटडोर कार्य पूरी तरह से ठप हो गए हैं। प्रमुख कालीन निर्यातक श्याम नारायण यादव का कहना है कि पहले कोरोना की मार से व्यवसाय पर प्रभाव पड़ा अब मौसम ने संकट बढ़ा दिया है।
पलायन करने लगे हैं मजदूर : कालीनों के विभिन्न कार्यों से जुड़े हजारों मजदूरों व बुनकरों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया। दूसरे प्रांतों से आकर रंगाई व धुलाई का काम करने वाले मजदूर पलायन करने लगे हैं। कालीनों की धुलाई कराने वाले सहाबाबाद निवासी कंहैयालाल मौर्या का कहना है कि एक सप्ताह से धुलाई कार्य ठप है। मौसम में सुधार की अधिक संभावना नहीं है। यही कारण है कि बिहार, मध्य प्रदेश सहित अन्य प्रांतों के मजदूर घर वापसी कर रहे हैं।