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Weather Alert : मौसम में बदलाव से सर्दी-जुकाम, सांस की तकलीफ और सांस का अटैक भी बढ़ा

सर्दी-जुकाम सांस की तकलीफ सांस का अटैक आदि भी बढ़ा है। मंडलीय अस्पताल की ओपीडी में 15 दिन पहले जहां 10-12 मरीज ही श्वांस संबंधी परेशानी के साथ पहुंचते थे वहीं अब यह आंकड़ा बढ़कर 20 से 25 हो गया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 12:09 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 12:09 PM (IST)
Weather Alert : मौसम में बदलाव से सर्दी-जुकाम, सांस की तकलीफ और सांस का अटैक भी बढ़ा
सर्दी-जुकाम, सांस की तकलीफ, सांस का अटैक आदि भी बढ़ा है।

वाराणसी, जेएएनएन। मौसम बदलने के साथ ही प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में दमा व सीओपीडी (क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है। सर्दी-जुकाम, सांस की तकलीफ, सांस का अटैक आदि भी बढ़ा है। मंडलीय अस्पताल की ओपीडी में 15 दिन पहले जहां 10-12 मरीज ही श्वांस संबंधी परेशानी के साथ पहुंचते थे, वहीं अब यह आंकड़ा बढ़कर 20 से 25 हो गया है। कोरोना वायरस का सबसे अधिक अटैक श्वसन तंत्र पर ही देखने को मिला है। इन मरीजों के लिए यह घातक साबित हो सकता है।

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दरअसल, प्रदूषण का जो स्तर नवंबर के शुरुआत में होना चाहिए, वह अभी हो गया है। सितंबर में जहां वातावरण में पीएम-10 की मात्रा जहां 100-125 के आस-पास थी, वहीं अब यह 250 के करीब पहुंच गया है। मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा स्थित टीबी एवं चेस्ट विभाग के डा. घनश्याम श्रीवास्तव के मुताबिक इन दिनों सर्दी-जुकाम, सांस की तकलीफ, सांस का अटैक आदि बढ़ गया है। वहीं पोस्ट कोविड मरीज भी सांस की तकलीफ संग पहुंच रहे हैं।

 सांस फूलने के साथ बनता है बलगम

टीबी एवं चेस्ट विभाग-बीएचयू के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. एसके अग्रवाल के मुताबिक क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़े की बीमारी है। इसमें सांस फूलने के साथ बलगम बनता है। यह बीमारी सिगरेट पीने वालों या लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने वाली महिलाओं को अधिक होती है। इसमें श्वसन तंत्र फेल हो जाता है और आक्सीजन सेचुरेशन तय मानक 92 से घटने लगता है। इसका अगला स्टेज है सीओपीडी टाइप-2, जिसमें आक्सीजन कम व कार्बन डाई आक्साइड अधिक बनने लगता है। इसके कारण कारण जीभ नीली पड़ने लगती है। हालांकि सही समय पर इलाज से यह ठीक भी हो जाता है।

श्वांस रोगी इन बातों का रखें ख्याल

- रात में सोते समय पंखा न चलाएं।

- घर से बाहर मास्क लगाकर निकलें।

- धुंआ, धूल वाले स्थानों से दूर रहें।

- सुबह-शाम जागिंग से बचें।

- सुबह गुनगुने पानी से ही स्नान करें।

- दिनभर में आठ से दस ग्लास गुनगुना पानी पियें।

- हर आठ घंटे में या सुबह-शाम सादे पानी का भाप दो से पांच मिनट तक लें।

- रात में सात घंटे की भरपूर नींद लें और तनाव मुक्त रहें।


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