वाराणसी की 40 हजार बेटियों की पढ़ाई की राह हुई आसान, मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना से अभिभावकों के सपने हो रहे साकार
चालू वित्तीय वर्ष में 10032 बेटियां शामिल हैं। वाराणसी के जिला महिला कल्याण अधिकारी अंकिता श्रीवास्तव ने बताया कि कन्या सुमंगला योजना में बालिकाओं को 15 हजार रुपये की आर्थिक सहायता छह चरणों में प्रदान की जाती है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : सेवापुरी निवासी 15 वर्षीया दिव्या के मजदूर पिता का सपना बेटी को पढ़ाकर टीचर बनाने का था। उनके अचानक निधन के बाद दिव्या की पढ़ाई पर संकट आ गया। इस बीच उसे मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना की जानकारी मिली। आवेदन किया और खाते में तीन हजार रुपये आए। गवर्नमेंट हाईस्कूल में कक्षा नौवीं की छात्रा दिव्या ने किताब-कापी खरीद पढ़ाई शुरू की।
उधर, रोहनिया की आरती के आटो चालक पिता उसे आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाना नहीं चाहते थे। मां सोनारा देवी नहीं चाहती थीं कि उनकी बेटी भी उनकी तरह अनपढ़ रह जाए। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की सलाह पर उन्होंने मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना का फार्म भरा। इसकेतहत बेटी को मिले पांच हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि से फीस जमा कर स्नातक में दाखिला कराया।
यह कहानी सिर्फ दिव्या और आरती की ही नहीं है उन हजारों बालिकाओं और किशोरियों की है जिनके लिए मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना वरदान साबित हो रही है। योजना के तहत मिली प्रोत्साहन राशि से वह आगे की पढ़ाई पूरी कर रही हैं। जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रवीण त्रिपाठी बताते हैैं कि बालिकाओं को उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना शुरू की गई है। इसके तहत जिले में अब तक 39,725 बालिकाओं-किशोरियों को कन्या सुमंगला योजना का लाभ मिल रहा है।
चालू वित्तीय वर्ष में 10,032 बेटियां शामिल हैं। जिला महिला कल्याण अधिकारी अंकिता श्रीवास्तव ने बताया कि कन्या सुमंगला योजना में बालिकाओं को 15 हजार रुपये की आर्थिक सहायता छह चरणों में प्रदान की जाती है। बालिका का जन्म होने पर दो हजार रुपये, पूर्ण टीकाकरण पर एक हजार, कक्षा एक में प्रवेश पर दो हजार, कक्षा छह में प्रवेश पर दो हजार व कक्षा नौ में प्रवेश के लिए तीन हजार रुपये मिलते हैं। बेटी 12वीं पास कर स्नातक या दो वर्षीय या उससे अधिक के डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश लेती है तो पांच हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है।