श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा दरबार का प्रवेश द्वार बंद, भोग आरती का बदला रास्ता
मंदिर परिक्षेत्र के रेड जोन स्थित पुलिस चौकी ध्वस्तीकरण के कारण बाबा दरबार का मुख्य द्वार रविवार को बंद रहा। इससे भोग आरती का सामान भी दूसरे रास्ते से मंदिर भेजा गया
वाराणसी, जेएनएन। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के रेड जोन स्थित पुलिस चौकी ध्वस्तीकरण के कारण बाबा दरबार का मुख्य द्वार रविवार को बंद रहा। इससे भोग आरती का सामान भी दूसरे रास्ते से मंदिर भेजा गया। साथ ही श्रद्धालुओं को भी अन्य रास्तों से प्रवेश दिया गया। चौक थाने की पुलिस चौकी नौबतखाना के भूतल में स्थित है। इसका पूर्व में ध्वस्तीकरण आपत्ति के कारण रोक दिया गया था। तीन मंजिले नौबतखाना के प्रथम तल पर नगाड़ा और दूसरे तल पर कभी मजिस्ट्रेट कक्ष हुआ करता था। मंदिर प्रशासन की ध्वस्तीकरण को लेकर तत्परता को देखते हुए परिसर में चर्चाओं को भी पर लगे रहे।
प्राचीन नौबतखाना : मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने 1780 में कराया। द्वादश ज्योतिर्लिंग में गैर हिंदुओं का प्रवेश निषेध हुआ करता था। धर्म-मजहब से परे सार्वभौमिक आस्था को देखते हुए 1785 में वारेन हेस्टिंग्स के निर्देश पर तत्कालीन मजिस्ट्रेट मो. इब्राहिम खान ने मुख्य द्वार के पास नौबतखाना बनवाया। इसमें से ही विदेशी और गैर हिंदू बाबा की झांकी पाते थे। यहां से मंदिर तक ओवरब्रिज बना था जिससे बाबा को पुष्प या अन्य सामग्री अर्पण के लिए भेजी जा सकती थी। जेम्स प्रिंसेप तक ने अपनी पुस्तक में इसका उल्लेख किया है।
शहनाई की तान, नगाड़े की थाप : भोग आरती के दौरान दोपहर में यहां से कलाकार बाबा को शहनाई की तान सुनाते थे। उसके साथ ही यहां से बजने वाले नगाड़े की थाप अब थम चुकी है। इसके लिए तहसील से भुगतान का प्रावधान था।