वरुणापार में पेयजल आपूर्ति की लखनऊ से होगी निगरानी, प्रमुख सचिव के साथ ही विशेषज्ञों के दल ने तैयार की रिपोर्ट
सरकार की कवायद को देखते हुए उम्मीद होने लगी है कि अब वरुणापार इलाके में पेयजल समस्या का समुचित समाधान हो जाएगा।
वाराणसी, जेएनएन। सरकार की कवायद को देखते हुए उम्मीद होने लगी है कि अब वरुणापार इलाके में पेयजल समस्या का समुचित समाधान हो जाएगा। इलाके के 50 हजार घरों में गंगा जल पहुंचने लगेगा। खास यह कि इस इलाके में होने वाली पेयजल आपूर्ति की निगरानी लखनऊ से होगी। इसके लिए प्रत्येक ओवरहेड टंकियों में स्मार्ट सिस्टम लगाया जाएगा जिसमें लगे सिम से लखनऊ में बैठे जिम्मेदार अधिकारी के पास पल-पल की जानकारी पहुंचेगी।
इस कवायद को अमलीजामा देने के लिए प्रमुख सचिव मनोज कुमार के साथ अमृत योजना में पेयजल आपूर्ति से जुड़े दो विशेषज्ञ भी बनारस आए थे। इसमें एक अभिषेक दत्ता थे तो दूसरे एके गुप्ता। उन्होंने शुक्रवार को वरुणापार पेयजल योजना की जांच की। इस दौरान शिवपुर, नटिनियादाई, कादीपुर, अशोक नगर, अशोक बिहार आदि जगहों पर बने ओवरहेड टंकियों को देखा। जांच दल का प्रमुख फोकस ओवरहेड टंकियों को पानी से लबालब होने को लेकर था। इसमें लिए सारनाथ के बरईपुर में बने वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट यानी डब्ल्यूटीपी से शोधित पानी को छोड़ा गया। जांच टीम ने यह पाया कि डब्ल्यूटीपी के नजदीक की ओवरहेड टंकियां पहले भर गईं जबकि शिवपुर, कादीपुर, नटिनिया दाई, कचहरी आदि इलाके की ओवरहेड टंकियां भरने में वक्त लग गया। प्रेशर कम होने के कारण वे पूरी तरह लबालब भी नहीं हो सकीं।
टीम ने जांच प्रारंभिक जांच रिपोर्ट तैयार की है। इसमें एक साथ सभी टंकियों को नहीं भरने की वजह प्रेशर में कमी माना गया। तय हुआ कि लखनऊ जाकर एक ब्लू प्रिंट बनाया जाएगा जिसमें टंकियों तक पहुंचने वाले प्रेशर का आकलन किया जाएगा। इसके बाद एक फाइनल ब्लू प्रिंट बनाकर तय किया जाएगा कि सभी टंकियों को भरने के लिए डब्ल्यूटीपी के पास की टंकी को कितना प्रेशर देना होगा और दूर बनी कादीपुर, शिवपुर, नटिनियादाई की टंकियों को भरने के लिए कितना प्रेशर देना होगा। इसी आधार पर टंकियों को भरने वाली फीडर मेन पाइप लाइन में लगे गेटवाल्ब की चूडिय़ों को कसा जाएगा।
स्लो मीटर भेजेगा हर पल का डेटा
वरुणापार इलाके में 31 ओवरहेड टंकियां हैं जबकि एक भूमिगत जलाशय है। तय योजना के अनुसार इन ओवरहेड टंकियों व भूमिगत जलाशय के पास एक स्मार्ट सिस्टम लगाया जाएगा जिसका नाम स्लो मीटर है। इसमें एक सिम लगा रहेगा जो लखनऊ में बैठे जिम्मेदार अफसरों की मोबाइल फोन से जुड़ा होगा। सिम के माध्यम से पल-पल की रिपोर्ट लखनऊ भेजी जाएगी जहां से आपूर्ति संबंधित निर्देश दिया जाएगा। जांच टीम के साथ जल निगम के अधिशासी अभियंता अंकुर श्रीवास्तव, सहायक अभियंता कुलदीप कुमार प्रजापति, मेघा कंपनी के जीएम बीएस पटलवाल, एजीएम आलोक चतुर्वेदी आदि मौजूद थे।