पानी के धंधे में भूजल का सत्यानाश, सैकड़ों लोगों ने बोरिंग कराकर लगा लिए प्लांट
घरों, दुकानों, अस्पतालों व दफ्तरों में हर जगह इन दिनों आरओ वाटर के गैलन देखने को मिल जाएंगे, इस गैलन में वही पानी है जिसके लिए दो बार कीमत चुकानी पड़ती है।
वाराणसी (जेएनएन) । घरों, दुकानों, अस्पतालों व दफ्तरों में हर जगह इन दिनों आरओ वाटर के गैलन देखने को मिल जाएंगे। इस गैलन में वही पानी है जिसके लिए दो बार कीमत चुकानी पड़ती है। एक बार पानी का टैक्स और दूसरी बार गैलन खरीद पर। शहर में लोगों ने अपने घरों या कार्यालयों में पानी का कनेक्शन भी ले रखा है और उन्हें पानी के टैक्स के रूप में भारी भरकम राशि भी अदा करनी पड़ती है। इसके बाद भी जलकल विभाग से आने वाला पानी पीने लायक नहीं होता है। बस इसी का फायदा ये अवैध प्लांट संचालक उठा रहे हैं। शहर में सैकड़ों की संख्या में लोग बोङ्क्षरग कराकर प्लांट लगाए हैं। धड़ल्ले से पानी बेचा जा रहा है। यह सीधे अंडरग्राउंड वाटर लेवल को क्षति पहुंचा रहा है। जिले में रोजाना करीब 3 से 4 हजार लीटर रोजाना ब्रांडेड पानी सप्लाई होती है। सवा लाख रुपये का रोज का औसत कारोबार होता हे।
जल दोहन का सबसे बड़ा कारण बने अवैध आरओ प्लांट बिना अनुमति शहर के कोने-कोने में फैल चुके हैं। इसके पंजीकरण की बात की जाए तो किसी विभाग को नहीं पता कि इन्हें लाइसेंस कौन दे रहा है। सभी एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। शुद्ध पानी के लिए आरओ प्लांट में सत्तर फीसद पानी बर्बाद होता है। जिले में करीब 17 कंपनियों को पानी बेचने का लाइसेंस मिला हुआ है।
अशुद्ध पानी हर बीमारी का कारण बनता है। स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए ही लोग अब आरओ वाटर को ही अपनी दिनचर्या में शामिल करते जा रहे हैं। आरओ प्लांट से निकलकर घरों तक पहुंचने वाला पानी कितना शुद्ध है इसकी कोई जांच नहीं होती है। शहर में पनप चुके वाटर सप्लायर्स आरओ तकनीक के नाम पर साधारण पानी को ही ठंडा कर गैलन से सप्लाई कर रहे हैं। साफ और ठंडे पानी की बढ़ती मांग को देखते हुए शहर के कई जगहों में आरओ प्लांट लगवाए गए हैं।
बोले अधिकारी : अवैध तरीके से पैक पानी के खिलाफ तो कार्रवाई का नियम है लेकिन गैलन वाले पानी को रोकने के लिए इंतजाम नहीं है। जो कंपनियां पैक पानी बाजार में बेचती है उस पर ध्यान रखा जाता है। विभागीय जांच होती है और शिकायत मिलने पर कार्रवाई भी की जाती है। - संजय प्रताप सिंह, अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन।