जल संचयन- जिम्मेदार खामोश, पानी को तरसेंगी पीढि़यां
वाराणसी : पानी का जलस्तर लगातार नीचे जाने और पानी का संकट बढ़ने के बाद भी जिम्मेदार तनिक भी जल संचयन
वाराणसी : पानी का जलस्तर लगातार नीचे जाने और पानी का संकट बढ़ने के बाद भी जिम्मेदार तनिक भी जल संचयन को लेकर गंभीर नहीं हैं। यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में पानी के लिए हम और आप दोनों तरसेंगे तथा आने वाली पीढि़यां हमें कभी माफ नहीं करेगी। विकास प्राधिकरण के अफसर भवन निर्माण होने के बाद वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा की नहीं, देखने तक की जहमत नहीं उठाते हैं। यही कारण है कि वीडीए की ओर से पास नक्शे में भी 20 फीसद वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लग सके। जबकि वीडीए नक्शा पास करने के दौरान मकान में वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की शर्त रखता है।
पानी का जलस्तर लगातार गिरने को लेकर सरकार चिंतित। जल संचयन को लेकर सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाओं को संचालित करने के साथ संबंधित विभागों को निर्देश दे रखे हैं। जल संचयन को लेकर वीडीए को जिम्मेदारी ज्यादा दी गई है, क्योंकि मकान की छत पर बारिश का पानी शुद्ध और साफ एकत्रित होने के साथ वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के माध्यम से संचित किया जा सकता है।
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योजनाओं को लगाया पलीता
योजना को पलीता लगाने का कार्य विभागीय अधिकारियों के भ्रष्टाचार ने भी किया। वर्तमान में हालात यह हैं कि करोड़ों रुपये फूंक दिए गए लेकिन अभी तक जल संचयन की योजना पूर्ण रूप से आकार नहीं ले सकीं। वहीं रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने में वाराणसी विकास प्राधिकरण उदासीन बना हुआ है। नगर में 400 से अधिक मल्टी स्टोरी बिल्डिंग हैं लेकिन बमुश्किल 20 फीसद लोगों ने ही रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया है। नियम है कि दो सौ वर्ग मीटर के भवनों में यह सिस्टम लगाना अनिवार्य है। इसके लिए नक्शा बनवाने के दौरान ही वीडीए शुल्क जमा करा लेता है। सिस्टम लगाने पर ही वीडीए की ओर से पूर्णता प्रमाण-पत्र दिया जाता है।
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वरुणा को दिया जा रहा आकार
जल संचयन के दृष्टिगत वरुणा नदी को आकार दिया जा रहा है। इसके तहत वरुणा कॉरीडोर का निर्माण हो रहा है। नदी के दोनों ओर 50 मीटर की हरित पट्टी बनाई जा रही है। इसको पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जा रहा है। वरुणा बरसाती नदी है और सरायमोहाना के पास गंगा से मिलती है। इसलिए वर्ष भर नदी में पानी भरा रहने के लिए अन्य उपाय भी किए गए हैं। बारिश में जहां स्मार्ट वाटर ड्रेनेज सिस्टम से शहर का पानी वरुणा में समा जाएगा उसी प्रकार अन्य मौसम में गोइठहां में बन रहे 120 एमएलडी एसटीपी से 60 एमएलडी पानी का इंतजाम रोज किया जाएगा। प्लांट का शोधित पानी स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम की पाइप लाइन से नदी में भेजा जाएगा।
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नक्शे निरस्त किए, कार्रवाई नहीं
गिव एंड टेक का फार्मूला बनारस में फेल हो गया। रेन वाटर हार्वेस्टिंग न लगाने पर वीडीए ने 49 नक्शे निरस्त तो किए लेकिन उसके आगे क्या हुआ किसी को मालूम नहीं है। वीडीए नोटिस जारी कर भूल गए। जिम्मेदारों से नोटिस का जवाब भी नहीं दिया कि आखिर उनके स्तर से यह लापरवाही क्यों हुई। इंजीनियरों को कार्रवाई के दायरे में लाया गया, मगर यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया। वीडीए 20 विभागों को भी नोटिस जारी करते हुए शात हो गया। तत्कालीन उपाध्यक्ष के उठे कार्रवाई के कदम बदले निजाम में क्यों पीछे हट गए।
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लगाया वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
दैनिक जागरण ने जलदान अभियान चलाकर बनारस के लोगों को गिरते भूजल स्तर के प्रति जागरूक करने का काम किया है। इसका असर आम लोगों पर दिखाई भी पड़ रहा है। विनय कुंज अपार्टमेंट के अध्यक्ष आरएस सिंह ने बताया कि पानी का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। भविष्य में और बढ़ेगा। ऐसे में अपार्टमेंट में वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का निर्णय लिया गया। हमने जल संचयन पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाली पीढि़यां हमें माफ नहीं करेगी।