खाकी भी साथी... दृष्टि दिव्यांग माधव दयाल मेहता के कानों में अचानक मीठी आवाज पड़ी- 'कहां जाना है'
डीएम कार्यालय से बाहर निकलते ही एक महिला पुलिसकर्मी की आवाज दृष्टि दिव्यांग माधव दयाल मेहता के कानो में पड़ी कहां जाना है हमने कहा कचहरी चौराहे पर तो महिला पुलिसकर्मी ने कहा चलिए मैं छोड़ देती हूं।
वाराणसी [नवनीत रत्न पाठक]। लॉकडाउन के दौरान खाकी की दरियादिली लोगों ने देखी तो अनलॉक शुरु होने के बाद लापरवाह लोगों पर खाकी ने चालान का भी खूब हंटर चलाया। लॉकडाउन के दौरान अपनी जान हथेली पर रखकर खाकी वर्दी ने आम जनता का पेट भरने के लिए कहीं लंगर चलाया तो कहीं लोगों के घर में अनाज पहुंचाया। 100 नंबर पर अपराध के फोन नहीं बल्कि लोगों की भूख से मदद की उम्मीद होती थी आैर शायद की कोई पुलिस से निराश हुआ हो। सोशल मीडिया पर भी किसी ने मदद की गुहार लगाई तो खाकी सीधे लोगों के चौखट तक पहुंच कर मदद करने में जुट गई।
पुलिस की वह छवि अनलॉक शुरु होते ही एक बार फिर से बदलने लगी और लोगों की लापरवाही पर चालान सीधे घर पहुंचने लगे तो लोग खाकी की मदद का दौर भी भूलने लगे थे। अब मास्क न लगाने वाले भी पुलिस के निशाने पर हैं। मामला सिर्फ कानून व्यवस्था ही बनाए रखने का नहीं बल्कि लोगों की जिंदगी बचाने के लिए अब हेलमेट और मास्क की भी निगरानी पुलिस की प्राथमिकता में है। लोगों को आते जाते बिना मास्क के टोकने और चालान का दौर शुरु होने के बाद लोगों के मन में खाकी से बचने का भी दौर शुरु हो चुका है। इस बीच एक तस्वीर ने लॉकडाउन की यादें दोबारा ताजा कर दी हैं।
गुरुवार की दोपहर डीएम कार्यालय से बाहर निकलते ही एक महिला पुलिसकर्मी की मीठी आवाज अचानक दृष्टि दिव्यांग माधव दयाल मेहता के कानो में पड़ी, 'कहां जाना है'? जवाब मिला कि कचहरी चौराहे पर, तो महिला पुलिसकर्मी ने कहा चलिए मैं छोड़ देती हूं। महिला के इस अपनत्व भाव से माधव बिना परेशानी गंतव्य तक पहुंच गए। महिला पुलिसकर्मी की इस सहृदयता की वहां सभी ने सराहना करते हुए कहा कि खाकी भी साथी होते हैं। हालांकि दृष्टि दिव्यांग माधव दयाल मेहता को शायद ही पता चल सके कि उनकी मदद करने वाली महिला एक पुलिसकर्मी थी।