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साढ़े तीन करोड़ ₹ से वाराणसी के विश्वसुंदरी पुल का जीर्णोद्धार, मैस्टिक अस्फाल्ट तकनीक का होगा प्रयोग

वाराणसी में विश्वसुंदरी पुल के जीर्णोद्धार पर साढ़े तीन करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा। इसके लिए प्लेट विदेश से मंगाई गई हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 04:00 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 09:50 AM (IST)
साढ़े तीन करोड़ ₹ से वाराणसी के विश्वसुंदरी पुल का जीर्णोद्धार, मैस्टिक अस्फाल्ट तकनीक का होगा प्रयोग
साढ़े तीन करोड़ ₹ से वाराणसी के विश्वसुंदरी पुल का जीर्णोद्धार, मैस्टिक अस्फाल्ट तकनीक का होगा प्रयोग

रवि पांडेय, वाराणसी : विश्व सुंदरी पुल के जीर्णोद्धार पर साढ़े तीन करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा। इसके लिए प्लेट विदेश से मंगाई गई हैं। नई तकनीक से मैस्टिक अस्फाल्ट की एक परत लगाई जाएगी जो रनवे और दिल्ली के नए पुल में इस्तेमाल किया गया है। पुल के एक लेन बनने में 35 दिन लगेगा। दोनों तरफ कार्य में करीब ढाई महीने लग जाएंगे।

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राष्ट्रीय राजमार्ग-2 के दिल्ली और कोलकाता को जोडऩे वाली सड़क पर ओवरलोड गाडिय़ों की संख्या बढऩे के कारण गंगा नदी पर बने विश्व सुंदरी पुल काफी दयनीय हो गया है। दिसंबर में बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा पर कर्मनाशा नदी का पुल टूटा तो दैनिक जागरण ने विश्वसुंदरी पुल के जर्जर होने की खबर छापी। खबर के बाद एनएचएआइ और कार्यदायी संस्था सोमा इंडस में हड़कंप मच गया। सर्वे के बाद पता चला कि पुल के कई ज्वाइंट की बेयरिंग और रबर पैड टूट गए हैं। इस कारण गाडिय़ों के चलने पर आवाज और कंपन बढ़ गया था। सबसे पहले पी चार ज्वाइंट टूट गया। सर्वे में पता चला कि सभी जॉइंट जर्जर स्थिति में हैं।

देश भर में बड़े बड़े पुल का निर्माण करने वाली भोपाल की सैनफील्ड नामक कंपनी ने जब अपनी टीम के साथ सर्वे किया तो पता चला की पुल में लगे 12 ज्वाइंट के सभी 24 एक्सपेंशन प्लेट जर्जर हो चुके हैं । उन्हें बदलने के साथ ही पुल की क्षमता को बढ़ाने की तकनीक पर विचार विमर्श हुआ।

ओवरलोड और तापमान के असर को रोकेगा मैस्टिक अस्फाल्ट तकनीक

दशक भर में बढ़ रही गाडिय़ों की संख्या से पुल पर दबाव बढ़ गया था। ऐसे में चौड़ाई तो नहीं बढ़ाई जा सकती लेकिन पुल को सुरक्षित करने के लिए नई तकनीक का ही सहारा है। सैनफील्ड कंपनी के अनुसार मैस्टिक अस्फाल्ट तकनीक से पुल की क्षमता बढ़ाया जा सकता है जिसके लिए एक्सपेंशन प्लेट के साथ ही एक लेयर ऊपर लगाई जाएगी जिसका असर गर्मी तापमान और ओवरलोड गाडिय़ों के असर को बिल्कुल कम कर देगा। नई तकनीक से पुल का जीर्णोद्धार होने के बाद 8 से 9 साल तक इस पुल की क्षमता काफी अच्छी रहेगी ।


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