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वाराणसी में स्मॉग ने दी वायरस को ताकत, 25 फीसद तक बढ़ गई सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या

शहर पर छाया स्मॉग सिर्फ श्वास रोगियों के लिए ही खतरा नहीं यह सर्दी-जुकाम और बुखार भी बढ़ा रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 05 Nov 2019 10:31 AM (IST)Updated: Tue, 05 Nov 2019 10:22 PM (IST)
वाराणसी में स्मॉग ने दी वायरस को ताकत, 25 फीसद तक बढ़ गई सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या
वाराणसी में स्मॉग ने दी वायरस को ताकत, 25 फीसद तक बढ़ गई सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या

वाराणसी, जेएनएन। शहर पर छाया स्मॉग सिर्फ श्वास रोगियों के लिए ही खतरा नहीं, यह सर्दी-जुकाम और बुखार भी बढ़ा रहा है। इसके पीछे कारण यह कि नमी से ताकत पाकर वायरस-बैक्टीरिया कुछ अधिक ही हमलावर हो चले हैं। सरकारी के साथ निजी अस्पतालों के ओपीडी में यह दिखा जहां सोमवार को रोगियों कतार अन्य दिनों की अपेक्षा दो गुनी रही। 

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एक ओर मौसम का बदलाव और दूसरी तरफ स्मॉग का असर रहा कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या 25 फीसद तक बढ़ गई। कुल मरीजों में 50 फीसद तक सर्दी-खांसी, वायरल फीवर व श्वास रोग से पीडि़त थे। दोपहर बाद आपात चिकित्सा इकाई में भी ऐसे मरीजों की भीड़ रही। दीनदयाल उपाध्याय व लालबहादुर शास्त्री राजकीय अस्पताल में भी यही हाल रहा। मंडलीय अस्पताल में नित्य औसतन 1500 तो पं. दीनदयाल अस्पताल में 1200 और लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में एक हजार मरीज आते हैैं। मरीजों की भीड़ बढऩे से ओपीडी तय समय से एक घंटे अधिक तक चली। 

 

धुआं व कुहांसा का गठजोड़ 

वास्तव में स्मॉग, स्मोक व फाग यानी धुआं और कुहासे का समन्वित रूप है। इसके आसमान में छाए होने से धूल व धुएं के कण उपर नहीं जा पा रहे तो धूप भी पूरी तरह नीचे नहीं आ रही है और नमी बनी हुई है। इससे आमतौर पर बरसात बाद सुप्त हो जाने वाले वायरस को बल मिल रहा है जो बीमारियों का घेरा बढ़ा रहा है। 

एसोसिएशन आफ फिजीशियन ऑफ इंडिया के स्थानीय अध्यक्ष डा. पीके तिवारी के अनुसार वातावरण में नमी से वायरस व बैक्टीरिया मजबूत हुआ है। इससे श्वास रोग के साथ ही वायरल फीवर और सर्दी- खांसी-जुकाम का खतरा बढ़ा है। इसमें ह्रïदय रोगियों को भी सावधान रहने की जरूरत है। कारण यह कि प्रदूषण का असर फेफड़े से होते रक्त तक जाता है और यह पूरे सिस्टम को प्रभावित करता है। 

 

वायु प्रदूषण से भी बचाएगा हेलमेट 

-हवा में घुली धूल से बचाने में भी हेलमेट कारगर है। 

-धूल वाले इलाकों में जाने से बचें, निकलें तो मास्क लगाकर। 

-मॉर्निंग वाक और व्यायाम से खासकर बुजुर्ग और श्वास-ह्रदय रोगी बचें। 

-बुखार होने पर खुद दवा लेने के बजाय डाक्टर की सलाह लें। 

-घर के सामने खुला मैदान या धूल वाला स्थान हो तो पानी छिड़काव करें। 

 

कई जगह जलाया गया कूड़ा

धुंध को लेकर हाय तौबा मचने के बावजूद नगर निगम के कर्मचारी सड़कों पर कूड़ा जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। नगवां, नरिया, सिगरा, जैतपुरा सहित कई स्थानों पर कूड़ा जलता हुआ पाया गया। इस संबंध में प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी रामसकल यादव का कहना है कि कूड़ा नगर निगम के कर्मचारियों ने नहीं आसपास के लोगों ने जलाया था। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि कई लोग अपने घरों का कूड़ा निकालकर जला दे रहे हैं। 

प्रदूषण नियंत्रण की अनदेखी पर ठीकेदार संग अधिकारी होंगे जिम्मेदार

शहर में वायु प्रदूषण की खराब स्थिति पर जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने संबंधित विभागों को चेतावनी दी है कि प्रदूषण नियंत्रण को लेकर अनदेखी करने पर ठीकेदार के साथ ही अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी। राइफल क्लब सभागार में सोमवार को जिला पर्यावरण समिति की बैठक मेंं डीएम ने कहा कि आप सभी पर्यावरण समिति के सदस्य हैं और प्रदूषण रोकने में अपनी जिम्मेदारी गम्भीरता एवं संवेदनशीलता के साथ निभाएं। विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि आज से ही सभी अपने से संबंधित कार्यों व दायित्वों के अनुसार कार्य प्रारम्भ कर दें। कार्यदायी संस्थाओं को निर्देश देते हुए कहा कि वे अपने-अपने निर्माण कार्यों की साइट चिन्हित कर सूचीबद्ध करें। वहां प्रदूषण नियंत्रण के मानकों को पूरा करने की रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यदि ठीकेदारों द्वारा निर्माण कराया जा रहा हो तो उन्हें प्रदूषण नियंत्रण संबंधित विभागीय मानकों के अनुपालन की जानकारी दे दें। जांच में मानकों की अनदेखी मिली तो जुर्माना के साथ ही विभागीय कार्रवाई की जाएगी। बैठक में विभागों और कार्यदायी एजेंसियों के अधिकारी आदि मौजूद रहे। 

तीन दिन में देनी होगी रिपोर्ट

जिलाधिकारी ने नगर निगम, जल निगम, ब्रिज कारपोरेशन, रेलवे, वीडीए, बीएसएनएल तथा विद्युत आदि सभी संबंधित विभागों को तीन दिन में रिपोर्ट देने को कहा है। उन्हें वायु प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित किए जाने वाले कार्य के विषय में बताना होगा। प्रदूषण नियंत्रण संबंधि अपने विभाग के कार्य की प्रगति प्रस्तुत करनी होगी। 

नदी से 500 मीटर में न मिले कोई सालिड वेस्ट 

जिलाधिकारी निर्देश दिया कि नदी के 500 मीटर क्षेत्र में किसी भी प्रकार का सालिड वेस्ट नहीं पाया जाना चाहिए। इसके लिए चिन्हीकरण कर दिया जाए। 500 मीटर में आने वाले गांव सूचीबद्ध कर, आबादी को नगर निगम, ग्राम पंचायत व बीडीओ कूड़ा मुक्त मिलें। प्रदूषण नियंत्रण के लिए विभाग अपने विभागीय कार्यों के अनुसार प्रारूप निर्धारित कर संबंधित डाटा अपलोड करें। उसकी नियमित मानीटरिंग की जाए। 


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