Move to Jagran APP

काशी मंथन की ओर से भारतीय लोकतंत्र और संसदीय प्रणाली विषयक व्याख्यान आयोजित Varanasi news

काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित मालवीय सभागार में बुधवार को काशी मंथन की ओर से भारतीय लोकतंत्र और संसदीय प्रणाली विषयक व्याख्यान आयोजित हुआ।

By Edited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 01:49 AM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 08:02 AM (IST)
काशी मंथन की ओर से भारतीय लोकतंत्र और संसदीय प्रणाली विषयक व्याख्यान आयोजित Varanasi news
काशी मंथन की ओर से भारतीय लोकतंत्र और संसदीय प्रणाली विषयक व्याख्यान आयोजित Varanasi news

वाराणसी, जेएनएन। काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित मालवीय सभागार में बुधवार को काशी मंथन की ओर से 'भारतीय लोकतंत्र और संसदीय प्रणाली' विषयक व्याख्यान आयोजित हुआ। वक्ताओं ने छात्र-छात्राओं को संसदीय कार्यप्रणाली से रूबरू कराते हुए भविष्य की चुनौतियों के मद्देनजर स्वयं को तैयार रखने का आह्वान किया। बतौर मुख्य वक्ता राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश ने बीएचयू में बिताए अपने छात्र जीवन का संस्मरण सुनाया। कहा- एक दौर था जब काशी, कोच्चि, पुणे जैसे शहरों को सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर जाना जाता था, वर्तमान में सिलिकॉन वैली दुनिया के संस्कृतियों की दिशा तय रही है।

loksabha election banner

पहले बदलाव दशकों या शताब्दियों में होते थे, आज पांच या दस साल में देखने को मिल रहे हैं। वहीं तकनीक ने जहां लोकतंत्र को मजबूत किया है वहीं इसके समक्ष चुनौतियां भी पेश की है। लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली की जानकारी देते हुए कहा कि पिछले कुछ दशकों में राज्यसभा व लोकसभा चर्चा से ज्यादा विरोध-प्रदर्शन करने का अखाड़ा बन गया है। बदलाव के लिए ऐसे कानून जिन्हें बीस-तीस साल पहले पास होना चाहिए था वह लंबे समय तक संसद ही में लटके रहे। एक नागरिक के तौर पर हम अपनी जिम्मेदारियों से लगातार विमुख होते रहे। यही कारण है कि हमारे जन प्रतिनिधि भी लगातार निष्क्रिय होते चले गए। ऐसे में भविष्य की चुनौतियों को समझते हुए हमें खुद को तैयार करने की जरूरत है। इससे पूर्व विशिष्ट अतिथि राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा ने कहा कि लोकतंत्र की परंपरा हमारे यहां वैदिक काल से है।

संसदीय प्रणाली हमारी जमीन से अधिक पश्चिमी मान्यताओं से प्रेरित हैं। यदि अपनी होती तो गांधी के रामराज्य की संकल्पना से जुड़ी होती जो ग्राम स्वराज और विकेंद्रीकरण की बात करते थे। वहीं विषय प्रस्तावना देते हुए डा. धीरेंद्र राय ने भी भारतीय लोकतात्रिक परंपराओं पर प्रकाश डाला। स्वागत काशी मंथन के संयोजक एवं विवि के संयुक्त कुलसचिव मयंक नारायण सिंह, संचालन अदिति सिंह व धन्यवाद ज्ञापन डा. सुमिल तिवारी ने किया। इस अवसर पर डा. नेहा पांडेय, डा. ब्यूटी यादव, डा. अभय कुमार, दिव्या सिंह, विक्रांत कुशवाहा, पंकज सिंह, कीर्ति, अंशिका, रजित बघेल, देवाशीष गांगुली आदि थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.