बलिया में यहां सब्जी की खेती से चलता है सबका घर-परिवार, बिना किसी बिचौलिए के होता है मुनाफा
बैरिया नगर पंचायत अंतर्गत मिर्जापुर सुरजन छपरा बीबी टोला आदि चार टोलों के लोगों का जीवनयापन बड़े ही मजे से सिर्फ सब्जी की खेती से ही हो रहा है।
बलिया, जेएनएन। जिले में किसानों ने कमाई के लिए खेती को चुना और अपने फैसले को सही भी साबित करके दिखाया है। बात हो रही है बैरिया नगर पंचायत अंतर्गत मिर्जापुर, सुरजन छपरा, बीबी टोला आदि चार टोलों के लोगों का जीवनयापन बड़े ही मजे से सिर्फ सब्जी की खेती से ही हो रहा है। लगभग 80 एकड़ खेतों में सब्जी उत्पादन से यहां की बड़ी आबादी का भरण पोषण, शादी विवाह, बीमारी, पढ़ाई, घर मकान निर्माण सबकुछ होता है। दिनभर इन गांव के लोग खेतों में हाड़तोड़ मेहनत करते हैं। अपना उत्पाद लेकर सुबह पांच से सात बजे के बीच बीवी टोला में लगने वाले थोक सब्जी मंडी में पहुंचते हैं। यहां ग्राहकों से सीधे मोलभाव कर बिना किसी बिचौलिए के अपनी सब्जी नकद बेच देते हैं, इससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी हो जाता है।
भंडारण की व्यवस्था न होने से क्षति
सब्जी का अच्छा उत्पादन भी यहां के कर्मठ धरती पुत्रों के लिए इसलिए जी का जंजाल बन जाता है कि उन्हें सब्जी को भंडारण करने की व्यवस्था नहीं दी गई है। इसलिए उन्हें कम कीमत में भी अपने उत्पाद बेचने पड़ते हैं। मिर्जापुर बीबी टोला के खेतों में गोभी, पत्ता गोभी, हरा मिर्च, टमाटर, शलजम, गाजर, मूली, मटर, धनिया पत्ता, देशी पालक का साग, आलू, लहसुन, प्याज, बींस आदि का खूब उत्पादन होता है। यहां के किसान ऐसी खेती चुनते हैं जिसमे दो से ढाई महीने के अंदर खेत खाली हो जाए और अगली फसल की भी बोआई हो सके। मिर्जापुर के किसान अपना सब्जी उत्पाद लेकर बीबी टोला में पहुंचते हैं तो वहां से बड़े व्यापारी बलिया शहर, सिकंदरपुर, बिल्थरारोड, हल्दी, नीरूपुर तथा बिहार के छपरा जिले के मांझी, एकमा, दाऊदपुर, हसनपुरा एवं आरा जिले के सिन्हा पुल के रास्ते सीधे आरा व सिवान आदि स्थानों तक ले जाते हैं।
महंगे रेट में लगान पर लेते हैं खेत
मिर्जापुर के किसानों के लिए किसी भी तरह के सरकारी इंतजाम नहीं किए गए हैं। यह अपने से परंपरागत खेती करते है। यहां के अधिकांश किसान जिनके पास बहुत कम खेत है, वे लगान पर बहुत महंगे दरों पर खेत लेकर सब्जी की खेती करते हैं। यहां एक साल के लिए खेत की बंदोबस्ती न्यूनतम 20 हजार रुपये से लेकर अधिकतम 40 हजार प्रति बीघा तक के रेट में होती है। यहां जो मंडी समिति जो बनी है, वह भी इनके लिए उपयोगी नहीं है। सभी लोग अपने हाथ से ही खुद की किस्मत लिखते हैं।